Monday, July 1, 2024
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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे यानि हादसों का ‘एक्सप्रेस-वे’

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  • शायद ही कोई दिन ऐसा न जाता हो जो एक्सप्रेस-वे पर हादसे न होते हो

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे अब हादसों का एक्सप्रेस-वे बन गया है। शायद ही कोई दिन ऐसा न जाता हो जहां हादसे न होते हों। यातायात के नियम लोगों की सुरक्षा के लिए ही बनाए जाते हैं, लेकिन वाहन चालक यातायात के सभी नियमों को ताक पर रखकर अपने तथा दूसरे बेकसूर लोगों की मृत्यु का कारण बन जाते हैं। कुछ युवा तो अपने वाहन की गति को 100 से कम रखना शान के खिलाफ समझते हैं।

सड़क पर स्टंट करना, सिग्नल तोड़ा तो उनके लिए आम बात है। पुलिस तमाशबीन होती है, क्योंकि उनकी जेबें नोटों से भर दी जाती हैं। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन तथा हेडफोन का इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद लोग फोन पर बातें करने में इतने व्यस्त हो जाते है कि आगे-पीछे से आने वाला वाहन न तो उन्हें दिखाई देता है और न ही हार्न सुनाई देता है। ट्रक चालकों द्वारा मदिरापान करके वाहन चलाना और नींद की झपकी आना भी सड़क हादसों का कारण बन जाता है। लोग ड्राइविंग को खेल समझने लगे हैं।

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दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर रोक के बावजूद धड़ल्ले से दुपहिया वाहनों की आवाजाही जारी है। बाइक आदि के कारण यहां हादसों में भी इजाफा हुआ है। वहीं एनएचएआई मामले में बेबस नजर आ रहा है तो पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। आखिर टोल प्लाजा पर ही प्रतिबंधित वाहन क्यों नहीं रोक लिए जाते? बूम बैरियर ही न उठने दिया जाए। फिर कैसे कोई वाहन चला जाएगा।

आखिर टोल एनएचएआई लेता है, फिर एनएचएआइ ही क्यों नहीं रोकता वाहन। यह एक बड़ा सवाल है। टोल प्लाजा पर ही ऐसे वाहन चालकों को रोकने की कोशिश की जाती है तो वाहन चालक दबंगई दिखाते हुए मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। स्टाफ के साथ गाली-गलौज करते हैं।

यातायात नियमों का पालना जरूरी

यातायात नियमों की पालना नहीं होने की वजह से आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं। नशे में धुत होकर तेज गाड़ी चलाना भी एक कारण है। हादसों के लिए कुछ हद तक यहां की सड़कें भी जिम्मेदार हंै। बिना आराम किए गाड़ी चलाना हादसे को आमंत्रण देना ही है। सरकार यदि इन हादसों को कम करना चाहती है, तो नियमों की पालना में सख्ती बरती जाए।

जागरूकता और जिम्मेदारी जरूरी

शहर में आए दिन दिल दहला देने वाले सड़क हादसे हो रहे हैं, जिसमें कई निर्दोष लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इन सब दुर्घटनाओं का मुख्य कारण लोगों में सड़क सुरक्षा की जानकारी का अभाव है। साथ ही एनएचएआई का ढुलमुल रवैया भी इन सब हादसों के लिए जिम्मेदार है। जागरूकता और जिम्मेदारी के द्वारा ही इन हादसों पर रोक लगाई जा सकती है।

नींद और नशा मुख्य कारण

सड़कों पर होने वाले हादसों का मुख्य कारण पर्याप्त नींद का अभाव तथा नशे की प्रवृत्ति है। साथ ही तेज गति भी मुख्य कारण है। खराब सड़कों से भी वाहन का संतुलन बिगड़ जाता है। घूस देकर खराब फिटनेस के वाहनों को बेरोकटोक हाईवे पर चलाना भी हादसों को निमंत्रण देना है।

तेज गति से वाहन चलाने से हो रहे हैं हादसे

ट्रैफिक नियमों का पालन पूर्ण ईमानदारी से नहीं करते। अधिक गति से गाड़ी चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, सही समय पर ओवरटेक नहीं करना, मोड़ पर गति कम न करना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बात करना, गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट समाप्त होने पर भी गाड़ी का संचालन करना आदि महत्वपूर्ण कारण है। जिनकी वजह से सड़क हादसों में कमी नहीं हो पा रही है।

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