सुनीता गाबा
वृद्धावस्था जीवन का एक ऐसा मोड़ है जिसका सामना हर व्यक्ति को करना पड़ता है। इस अवस्था को निरोगी व स्वस्थ बना कर रखना जहां कुछ हद तक इंसान के अपने हाथों में होता है वहीं कुछ परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। जो अपने हाथों में है, उस पर हमें काफी ध्यान देना चाहिए। इस अवस्था में खान पान पर भी आपका स्वास्थ्य निर्भर करता है। क्या खाया जाए, क्या न खाए जाए, इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए:-
क्या खाएं
’ कैल्शियम, विटामिन व प्रोटीन युक्त पौष्टिक भोजन खाना लें, जिसमें सभी पोषक तत्व मौजूद हों।
’ नमक, चीनी व घी का प्रयोग बहुत सीमित मात्रा में करें।
’ हल्का भोजन सुपाच्य होता है, अत: उसी का सेवन करें।
’ जो आसानी से चबा कर खाया जा सके, उसी भोजन का सेवन करें।
’ कम खाना, स्वस्थ रहना, इस बात को ध्यान में रखते हुए भूख से कम भोजन खाएं। अधिक भोजन पाचन शक्ति को खराब कर देता है।
’ सलाद और फल चबा कर खाने में परेशानी होने पर सलाद और फल कद्दूकस कर के या कभी थोड़े दही में मिलाकर खा सकते हैं।
’ नाश्ते में दूध वाला दलिया, नमकीन दलिया, दूध में कॉर्नफ्लेक्स अच्छी तरह भिगोकर नर्म होने पर खा सकते हैं।
’ प्रयास करें कि सब्जी भी हल्की ढीली या रसा लिए हुए खायें।
’ रात्रि में 7-8 बजे तक अवश्य भोजन कर लें भोजन पचने में कोई परेशानी न हो।
’ दिन भर 6 से 8 गिलास पानी पिएं। शाम 7 बजे के बाद पानी की मात्रा कुछ कम कर दें जिससे रात को बार बार मूत्र त्यागने की परेशानी से बचा जा सके।
’ भोजन आराम से बैठ कर शांत और प्रसन्नचित मन से करें।
’ सब्जी-दाल का सूप व ताजे फलों का रस सेहत के लिए उत्तम होता है। उसका नियमित सेवन कब्ज दूर करता है।
’ दूध यदि ठीक पच जाता है तो दिन में एक बार दूध अवश्य लें। दूध हड्डियों के रख रखाव के लिए उचित होता है।
’ स्वयं को अधिक समय तक भूखा न रखें।
क्या न खाएं
’ डॉक्टरों ने जो चीज खाने से मना की हो, उसका सेवन न करें।
’ चाय, काफी का सेवन कम करें। शराब और धूम्रपान का सेवन बंद कर दें।
’ गरिष्ठ व तेज मसालों वाला भोजन न करें।
’ सख्त भोजन न खायें। ऐसा भोजन चबाने और पचाने में तकलीफ देह होता है।
’ सूखी ब्रेड, सूखी चपाती आदि न खायें। अचार, पापड़ और मुरब्बे को भोजन का हिस्सा न बनायें। इनके सेवन से नमक और चीनी अनजाने में अधिक चली जाएगी।
’ शरीर की शक्ति से अधिक भोजन न करें व न ही शक्ति से अधिक कार्य करें।