उषा जैन
बचपन से लेकर किशोरावस्था की दहलीज तक पहुंचने के साथ ही शारीरिक परिवर्तन होने लगते हैं। इस समय का पपी फैट् वैसे तो युवावस्था तक पहुंचते स्वत: ही पिघल जाता है लेकिन व्यायाम और खेलकूद से जहां हड्डियां मजबूत बनती हैं, शरीर सुगठित बनता है, बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है, वहीं शरीर में इम्युनिटी मजबूत होती है। हर कोई चाहता है कि उसके पास एक परफेक्ट फिगर हो।
शरीर को चुस्त-दुरूस्त रखने के लिए आजकल एरोबिक्स एक अत्यंत लोकप्रिय व्यायाम माना जाता है। एरोबिक व्यायाम की एक वैज्ञानिक शैली है। एरोबिक शब्द एयर से बना है। इसका वैज्ञानिक अर्थ है शरीर में आॅक्सीजन की अधिक मात्रा यानी शुद्ध हवा को श्वास के जरिए शरीर में पहुंचाना। एरोबिक्स से जब आॅक्सीजन की ज्यादा मात्रा शरीर में पहुंचती है तो इससे ब्लड प्रेशर नॉर्मल होता है। हृदय की असामान्य धडकनें रेग्युलेट होती हैं। फेफड़े मजबूत होते हैं। किसी भी प्रकार का मानसिक संताप दूर होता है। सोचने की शक्ति तीव्र होती है। डलनेस दूर होती है।
व्यायाम एक सजा न लगे, इसके लिए पाश्चात्य धुनों के साथ ताल मिलाकर इसे किया जाता है जिससे यह एक्सरसाइज कम डांस का आभास देता है। इसके बाकायदा स्कूल होते हैं जहां प्रशिक्षक व्यायाम की विभिन्न मुद्राओं का प्रदर्शन करते हैं जिसे प्रशिक्षणार्थी फॉलो करते हैं। करीब एक घंटे इसकी क्लास चलती है। शुरू के पंद्रह मिनट वार्म अप करने के होते हैं। एरोबिक के कुछ एक्शन पीटी, ड्रिल आदि जैसे ही होते हैं। एरोबिक कैलोरीज बर्न करने का अच्छा तरीका है। इससे हृदय की गति तीव्र होती है और शरीर ज्यादा से ज्यादा आॅक्सीजन ग्रहण करता है।
इस व्यायाम की खासियत यह है कि इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि इसे करने वाला बोर न हो। संगीत की धुन पर किये जाने के कारण यह नृत्य का आनंद देता है। इसके साथ ही बीच-बीच में टीचर एक्शन में बदलाव करते रहते हैं जिससे कि प्रशिक्षण लेने वालों को ऊब और थकान महसूस नहीं होती, इन्टे्रस्ट बना रहता है।
एरोबिक्स में की जाने वाली क्रियाओं से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। हाथ, पैर पेट, कमर, कंधे, हिप्स, शरीर के सभी अंग पुष्ट होते हैं। बेसिक क्रियाओं के साथ ही उन में कुछ ऐसी क्रियाएं कराई जाती हैं ताकि शरीर अपनी सामान्य स्थिति में आ जाए। हर व्यायाम की तरह एरोबिक्स के भी कुछ रूल हैं जिन्हें फॉलो करना निहायत जरूरी है वर्ना इससे फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है। एक तो छोटे बच्चों और बहुत बूढ़े लोगों के लिये यह निबिद्ध है, यह बात ध्यान रखने की है।
दूसरे किसी गंभीर रोग के रोगी जैसे अस्थमा होने पर, दिल की बीमारी या कोई अन्य गंभीर रोग के रोगी के लिए यह व्यायाम नहीं है। एरोबिक एक्सपटर््स के अनुसार एरोबिक शुरू करने की उम्र 13-14 वर्ष से ठीक मानी जाएगी। अभ्यास के समय पैरों में जूते होने चाहिए। भार पंजों के बजाय एड़ी पर दिया जाना चाहिए, ताकि पैरों में मोच न आ जाए और लिगामेंट्स को कोई नुकसान न पहुंचे। एरोबिक से आपका एक स्वस्थ सुदृढ़ शरीर का सपना पूरा हो सकता है, ऐसा शरीर जो बीमारियों को पास न फटकने दे और आपको जीवन जीने का भरपूर लुत्फ दे।