नमस्कर, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है। ऐसे ही गुरूवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक को विशेष फलों की प्राप्ति होती हैं। ऐसा माना जाता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की आराधना और व्रत रखने पर साधक के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं, इतना ही नहीं उसपर धन की देवी मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है।
ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को देवगुरु बृहस्पति से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन की पूजा-पाठ से कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत होती है, जिसके प्रभाव से साधक की विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। वहीं इस दिन कुछ खास उपाय करने से आर्थिक समस्याएं भी दूर होती हैं और उसके घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। ऐसे में चलिए जानते है इन उपायों के बारे में…
गुरुवार के उपाय
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन पीले रंग की चीजों का ही ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें। ऐसा करने पर विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं।
- ज्योतिषियों की मानें तो गुरुवार के दिन आटे की एक लोई में चने की दाल, गुड़ और हल्दी मिलाकर गाय को खिलाएं। इस उपाय से साधक के धन धान्य में वृद्धि होती है।
- गुरुवार के दिन विष्णु भगवान और लक्ष्मी जी की एक साथ पूजा करें। पूजा में शक्तिशाली मंत्रों का जाप करें। माना जाता है कि इससे दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
- इस दिन पीली चीजों का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, जिसके प्रभाव से साधक के सभी तरह के दुख समाप्त होते हैं।
- गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और पूजा के बाद अपनी कलाई में हल्दी का टीका लगा लें। मान्यता है कि इससे आर्थिक समस्याएं समाप्त होती हैं।
- ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर ‘ॐ बृ बृहस्पते नमः’ मंत्र का जाप करें। इससे जीवन में चल रही सभी समस्याएं समाप्त होने लगती हैं।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरुवार के दिन सुबह और शाम दोनों समय भगवान विष्णु की पूजा करें। इस दौरान पूजा में इस आरती को जरूर करें। इससे वह प्रसन्न होते हैं।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥