- शहर के अलग-अलग इलाकों में घूम रहे सैकड़ों निराश्रित गोवंश को मयस्सर नहीं पीने के लिए साफ पानी
- दूषित पानी और कीचड़युक्त पीने से हो सकती है पशुओं को भयंकर बीमारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में सैकड़ों निराश्रित गोवंश प्रशासन की देखरेख के अभाव में अत्यंत दयनीय स्थिति में दर-बदर की ठोकरे खाते घूम रही हैं। निराश्रित गोवंश इधर-उधर घास-फूंस व अन्य कूड़ा-करकट खाकर पेट तो भर लेते हैं, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या पीने के साफ पानी की हैं।
शहर में पशुओं के लिए पीने के साफ पानी की ठोस व्यवस्था न होने के कारण सैकड़ों गोवंश मजबूरन बारिश का इधर-उधर भरा हुआ दूषित पानी व कीचड़युक्त पीकर प्यास बुझा रहे हैं। ऐसे में उनको संक्रमित रोग होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
बता दे कि शहर के विभिन्न हिस्सों में सैकड़ों गोवंश सड़कों पर जीवन यापन करने को मजबूर हैं। चूंकि प्रशासन ने इनके लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए हुए हैं।
जबकि योगी सरकार गोवंश को लेकर सख्त है। शहर के बाहरी इलाकों में सड़क के आसपास खड़ी घास-फूंस एवं शहर में लोगों द्वारा डाले गए कूड़े-करकट से पेट भरने के बाद जब गोवंश को प्यास लगती है, तो दूर-दूर तक इन्हें पीने के पानी की कोई उचित व्यवस्था नहीं मिलती।
ऐसे में बेतहासा प्यास से बेहाल गोवंश बारिश के भरे हुए दूषित पानी व गंदे नालों से उत्पन्न कीचड़ को पीकर प्यास को शांत कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन इस बात की अनदेखी करते हुए निराश्रित गोवंश के लिए पीने के साफ पानी का कोई मुकम्मल इंतजाम करने की योजना बनाता नहीं दिख रहा है।
ऐसे में गोवश को दूषित पानी पीकर ही अपना गुजारा करना पड़ रहा है। पशु चिकित्सकों के अनुसार दूषित पानी पीने से पशुओं को घातक संक्रामक रोग होने की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती है।
रविवार को तहसील परिसर, भैंसाली डिपो, रेलवे स्टेशन के समीप समेत कई इलाकों में बारिश के भरे हुए दूषित और कीचड़युक्त पानी को पीकर प्यास बुझाने की गोवंश कोशिश करते दिखे, लेकिन इस दूषित पानी को दो-चार घूंट पीने के बाद ही गोवंश नथुने चढ़ाने लगे।
प्यास न बुझने की स्थिति में शहर के सैकड़ों गोवंश पीने के साफ पानी की तलाश में दूसरे इलाकों में जाकर पानी तलाशते रहे। बता दे कि शहर में एक गोशाला गोसेवा आयोग से पंजीकृत है जो गोपाल गोशाला के नाम से है, इसके अलावा एक अस्थाई गो आश्रय स्थल है जो परतापुर बराल में है।
इसका संचालन नगर निगम करता है, लेकिन दुर्भाग्य से इन दोनों ही गोशालाओं में शहर में दर-बदर भटक रहे सैकड़ों गोवंश के लिए कोई जगह नहीं हैं, इसके अलावा निजी गोशालाओं में भी इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। साथ ही, शहर के प्रमुख गोसेवक भी इनकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
”जिस प्रकार दूषित पानी पीने से इंसान बीमार पड़ जाता है, ठीक उसी प्रकार दूषित पानी पीने से पशु भी बीमार हो जाता है। यदि पानी के अन्दर बैक्टीरिया मौजूद है तो पशु को टायफाइड, डायरिया, आंतों का इंफेक्शन आदि अन्य प्रकार की घातक बीमारी लग सकती है। यदि पानी में कीड़े हैं और वे पशु के पेट में चले जाएं तो वे भी पशुओं में कई भयंकर बीमारियों को जन्म देते हैं। कुल मिलाकर पशु के लिए दूषित पानी अत्यंत घातक है।”
-डा. अनिल कंसल, मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, मेरठ