- भ्रष्टाचार पर लगातार प्रहार: मामला ‘जनवाणी’ तक पहुंचा तो बैठी जांच, निगम में मचा हड़कंप
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: निगम में कार्यरत सफाई कर्मचारी एक पुराने मुकदमे में वारंट के चलते जेल चला गया, कुछ दिन बाद उसकी जमानत हो तो वह जेल से बाहर भी आ गया। इसमें जितने दिन वह जेल में बंद रहा उसकी रजिस्टर में ड्यूटी चढ़ा दी गई और उसका वेतन बना दिया गया। कर्मचारी का वेतन उसके खाते में पहुंचा तो तब जाकर उसे जानकारी हुई। इसमें संबंधित अधिकारी ने जेल में बंद रहने के दौरान उसकी जो ड्यूटी रजिस्टर में चढ़ाई थी।
उनको लेकर कर्मचारी से बातचीत की तो मामले का खुलासा हुआ। यह मामला नगर निगम में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामला ‘जनवाणी’ तक पहुंचा तो अधिकारी मामले की लीपापोती में जुट गये। वहीं, कुछ लोगों ने दबी जुबान से बताया कि यह मामला तो पकड़ में इसलिये आ गया कि कर्मचारी जेल में चला गया और न जाने कितने ऐसे मामले हैं।
जिसमें कर्मचारी को पता तक नहीं चला और उसकी उपस्थिति रजिस्टर में हाजिरी चढ़ाकर वेतन बनाकर निकाल लिया जाता है। जितने दिन की वास्तविक ड्यूटी रजिस्टर में चढ़ी होती है, उसका पेमेंट जारी करने के बाद यदि मामला खुला तो बढ़ाई गई ड्यूटी के पैसे को बांट लिया जाता है।
नगर निगम क्षेत्र लक्ष्मीनगर निवासी स्थाई सफाई कर्मचारी सोहनपाल पुत्र शमशेरा वार्ड-44 में कार्यरत है। वह पुराने मुकदमे में वांरट के चलते नवंबर माह में जेल चला गया था। इसी बीच निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की कड़ी में उसके जेल में बंद रहने के दिनों की ड्यूटी भी रजिस्टर में चढ़ा दी गई और उसका वेतन भी बना दिया गया। नगर निगम में बिना ड्यूटी पर जाये सफाई कर्मचारियों के रजिस्टर में हाजिरी चढ़ाकर वेतन बना दिए जाने के न जाने कितने मामले चर्चाओं में हैं।
चर्चा है कि कुछ कर्मचारी तो अपनी एवेज में कम पैसे पर दूसरे सफाई कर्मचारी को ड्यूटी पर भेज देते हैं। कुछ सफाई नायक एवं निगम के बडेÞ आलाधिकारियों की मजबूत पकड़ के चलते अपनी मूल ड्यूटी सफाई कर्मचारी के रूप में फील्ड में भी नहीं जाते और पूरे माह का वेतन पाते हैं।
कुछ कर्मचारी तो ऐसे हैं, जिनकी मजबूत पकड़ निगम में नहीं है और वह फील्ड में जी तोड़ मेहनत करते हैं और उनके वार्ड में साफ-सफाई व्यवस्था ठीक नहीं है। यह कहते हुये उन्हे परेशान तक किया जाता है, लेकिन कभी कभी मामला पकड़ में आने पर यह मजबूत सेटिंग निगम के अधिकारियों का जी का जंजाल बन जाती है।
जैसे की स्थाई सफाई कर्मचारी सोहनपाल पुत्र शमशेरा का मामला निगम के अधिकारियों के गले की फांस बन गया है। मामला नवंबर 2022 से जुड़ा है, किसी पुराने मुकदमे में वारंट के चलते सोहनपाल को गत चार नवंबर को जेल जाना पड़ गया था। वहीं, दूसरी ओर उसकी ड्यूटी नगर निगम के उस रजिस्टर में चलती रही, जिसमें वह सफाई कर्मचारी के रूप में फील्ड में कार्य करता था। कुछ दिनों बाद वह जेल से बाहर आया तो वह फिर से अपनी ड्यूटी पर चलाया गया।
उसका नवंबर माह के 30 दिनों में 29 दिनों का वेतन बना दिया गया। जबकि सप्ताह भर से अधिक वह जेल में रहने के दौरान अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित रहा। मामले का खुलासा न हो उसके लिये अधिकारियों ने मजबूत सेटिंग के चलते उस वार्ड के सफाई सुपरवाइजर क्षेत्र बदलकर उसे उसके सफाई कर्मचारी के मूल पद पर भेजते हुये मामले को रफा-दफा कर दिया।
यह मामला ‘जनवाणी’ तक पहुंचा तो मामले में जांच बैठा दी गई। इस मामले में नगर निगम में हड़कंप मच गया कि सफाई कर्मचारी जेल में और उसका वेतन बना दिया गया। उससे बडी बात इस मामले का खुलासा होने के बाद भी लापरवाह कर्मचारियों पर कोई बड़ी कार्रवाई तक नहीं की गई।
मामला संज्ञान में आया है। इस गंभीर मामले में जांच बैठा दी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद मामले में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कराई जायेगी। -प्रमोद कुमार, अपर नगरायुक्त नगर निगम मेरठ।
मामला संज्ञान में आया है। मामले में जांच के लिये विधिक राय ली जा रही है। जेल में बंद रहते सफाई कर्मचारी का वेतन कैसे बना दिया गया? जांच के बाद कार्रवाई कराई जायेगी। -डा. हरपाल सिंह, प्रभारी मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी एवं पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी नगर निगम मेरठ।
इस फर्जी हाजिरी के मामले में मेरा कोई दोष नहीं है। जिसने भी मेरे जेल में बंद रहने के दौरान रजिस्टर में हाजिरी चढ़ाई है। उसकी जांच होनी चाहिए। -सोहनपाल सिंह, स्थाई सफाई कर्मचारी नगर निगम मेरठ।