Wednesday, June 4, 2025
- Advertisement -

पीएचडी नहीं, तब भी पढ़ा सकेंगे यूनिवर्सिटी में

  • कृषि विवि के प्रो. डा. आरएस सेंगर ने पीएचडी को लेकर यूजीसी द्वारा किए गए बदलाव पर की चर्चा

जनवाणी संवाददाता |

मोदीपुरम: सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि के प्रो. डा. आरएस सेंगर ने पीएचडी को लेकर यूजीसी द्वारा किए गए बदलाव को लेकर चर्चा की है और इस पूरे बदलाव के बारे में जानकारी दी है। उनके द्वारा दी गई जानकारी इस प्रकार से है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नए नोटिफिकेशन के तहत कॉलेज और विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त के लिए अब पीएचडी की डिग्री होना जरूरी नहीं है।

अब इस पद के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नेट राज्य पात्रता परीक्षा सेट और राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा अति उत्तम होना पर्याप्त है। यूजीसी के नए नियम एक जुलाई से लागू हो गए है। शिक्षा जगत में यह प्रश्न उभर रहा है कि यूजीसी ने 2018 में अपने आदेशों में संशोधन क्यों किया और क्या इससे संकाय में भर्ती की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ेगा।

यूजीसी ने अपने फैसले को क्यों पलटा?

इस फैसले के पीछे नियुक्ति में अनावश्यक बाधाओं को हटाना और नेट को व्यापक बनाने की मंशा हो सकती है। यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एवं जगदीश कुमार का कहना है कि कुछ विषयों जैसे नीति निर्माण डिजाइन विदेशी भाषा व शुक्ला जैसे संख्याओं के लिए पीएचडी उम्मीदवारों का मिलना मुश्किल होता है अब पीएचडी की शर्त हटाने से ऐसी विश्व में शिक्षण कार्य में रुचि रखने वाले अभ्यर्थियों को लेना आसान रहेगा

इससे शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट नहीं आएगी मानदंड और चयन समिति की संरचना में भी कोई बदलाव नहीं होगा यूजीसी अध्यक्ष ने स्पष्ट किया है कि सहायक प्रोफेसर के लिए नेट सेट एस एल आई टी न्यूनतम आवश्यकता है लेकिन विश्वविद्यालय या कॉलेज उम्मीदवारों की संख्या का प्रबंधन करने के लिए साक्षात्कार के लिए कुछ मानदंड तय कर सकते है। असल में उच्च शिक्षा संस्थान स्वस्थ होते हैं

इसलिए वे कुछ विषयों में उच्च चयन मानदंड निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र है। भारत में हर साल कई विषयों में पीएचडी एंट्रेंस के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा होती है 20,000 से ज्यादा जरूरतमंद छात्रों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग हर साल यूजीसी स्कॉलरशिप और फैलोशिप प्रदान करता है यह छात्रवृत्ति स्नातक से लेकर पोस्ट डॉक्टरेट के लिए भी दी जाती है

इतना सब पीएचडी की डिग्री देने के लिए पैसा खर्च होता है, लेकिन उसके बावजूद इसको असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्त के लिए पीएचडी की डिग्री होना जरूरी नहीं है का निर्णय लिए जाने के कारण कई प्रकार की भ्रांतियां पैदा हो गई है। जिसको समय रहते यूजीसी को दूर करना होगा।

पहले क्या थी इस पद के लिए पात्रता?

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अध्यापकों और अन्य एकेडमिक स्टाफ की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता के लिए यूजीसी ने जून 2010 में संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन निदेर्शों में कहा गया था कि सहायक प्रोफेसर पद के लिए अभ्यर्थी का नेट चेक और एसआईटी उत्तीर्ण होना जरूरी है। हालांकि पीएचडी किए अभ्यर्थियों को इस पात्रता शर्त से छूट दी गई थी।

पीएचडी पूरी करने के लिए अभ्यर्थियों को 3 साल 2018 से 21 का वक्त दिया गया। महामारी के मद्देनजर यूजीसी ने जुलाई 2021 में यह समय सीमा बढ़ाकर 2023 तक कर दी। यह मानदंड लागू होते इससे पहले ही यूजीसी ने पीएचडी की अनिवार्य नहीं होने को अधिसूचित कर दिया यानी यूजीसी ने अपने 2018 के फैसले को क्रिया नवयन से पहले ही पलट दिया।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Skin Care Tips: बाहर की धूल से चेहरा हो गया है फीका? ये आसान स्टेप्स लौटाएंगे चमक

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Saharanpur News: पिकअप वाहन की टक्कर से मजदूर की मौत, परिजनों ने किया हंगामा

जनवाणी संवाददाता |सहारनपुर: कुतुबशेर थाना क्षेत्र के गंगोह रोड...

WhatsApp: आज से WhatsApp होगा बंद! जानिए किन पुराने फोन्स पर नहीं मिलेगा सपोर्ट

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Shamli News: दिल्ली-शामली रेल मार्ग पर ट्रेन पलटाने की साजिश नाकाम

जनवाणी संवाददाता |शामली: शामली में दिल्ली-सहारनपुर रेल मार्ग पर...
spot_imgspot_img