Thursday, July 10, 2025
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सबकुछ था जिंदगी में, फिर भी चुनी मौत

  • चार दिन पहले प्रयागराज ससुराल में जन्मदिन मनाकर लौटी डा. मोनिका दूबे की खुदकुशी को लेकर परिजन हैरान
  • मायके वालों ने पोस्टमार्टम से किया इंकार, फिर भी हुआ, कॅरियर के डिप्रेशन ने ली डा. मोनिका की जान

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: वक्त कब किसका बदल जाए कोई कह नहीं सकता। मेडिकल कालेज की डीएमआरडी डा. मोनिका दुबे को 15 दिन बाद मेरठ को अलविदा कह कर प्रयागराज में अपना कॅरियर शुरू करना था। इसके लिये ससुर ने पॉश इलाके सिविल लाइन में मकान भी ले लिया था। चार दिन पहले ससुराल से लौटकर आई मोनिका ससुराल जाने के बजाय हमेशा के लिये दुनिया छोड़कर चली गई। डिप्रेशन ने मोनिका को इस कदर अपने शिकंजे में लिया कि गले में नॉयलान की रस्सी बांधते समय उसे जरा भी याद नहीं आया कि दो महीने पहले वो अपनी शादी की पहली वर्षगांठ मनाकर आई है।

मूलत: शिकोहाबाद की रहने वाली मोनिका दुबे की अरेंज मैरिज प्रयागराज निवासी डा.कुलदीप मिश्रा पुत्र डा. पवन मिश्रा के साथ हुई थी। 14 महीने पहले हुई शादी में सबकुछ सही चल रहा था। मोनिका दुबे पीजी की लिखित परीक्षा दे चुकी थीं तथा प्रयोगात्मक परीक्षा भी दे चुकी थीं। परीक्षा समाप्त हो जाने के बाद मोनिका अपने घर इलाहाबाद चली गयी थी। चार जुलाई को वो प्रयागराज से मेडिकल कॉलेज वापस आयी थी और आते ही रेडियोलाजी विभाग में अपनी ड्यूटी भी की थी।

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मंगलवार रात लगभग 10 बजे उसके पति ने मोनिका को कई बार फोन किया, लेकिन फोन नहीं उठा तो पति ने मोनिका के साथ ही रेडियोलॉजी विभाग में पढ़ रहे उसके सहपाठी डा. आसिफ को फोन किया कि मोनिका उनका फोन नही उठा रही है। डा. आसिफ ने पीजी गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली दूसरी छात्राओं से कहा कि देखो मोनिका फोन नहीं उठा रही है।

मौके पर गई छात्राओं ने जाकर देखा कि मोनिका के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद है। छात्राओं ने धक्का मारकर दरवाजा खोल कर देखा तो मोनिका फंदे से लटकी हुई थी। छात्राओं ने तुरंत अपने साथियों को बुलाया और तुरंत उसे उतार कर आपातकालीन विभाग ले जाया गया

जहां हर सम्भव प्रयास किया गया, लेकिन मोनिका को बचाया नहीं जा सका और उसकी मृत्यु हो गयी थी। बुधवार को सुबह 11 बजे के करीब प्रयागराज से मोनिका का पति डा. कुलदीप, ससुर पवन मिश्रा, मोनिका का भाई सिद्धार्थ समेत तमाम परिवारीजन और रिश्तेदार रोते बिलखते मेडिकल कालेज पहुंचे।

मोर्चरी में शव देख बिलख पड़ा पति

पोस्टमार्टम हाउस से चंद कदम की दूरी पर बने मोर्चरी में मोनिका का शव रखा गया था। पति कुलदीप जैसे ही मोर्चरी के अंदर घुसा और चेहरे से सफेद चादर हटाई तो वो फफक कर रो पड़ा और बोला मोनिका क्यों छोड़कर चली गई। पास में खड़े पिता और साले ने किसी तरह कुलदीप को संभाला।

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मोनिका के शांत पड़े चेहरे को काफी देर तक देखने के बाद उसने गले की तरफ देखा। जब उसे कई लाल निशान दिखाई दिये वो खुद को नहीं संभाल पाया। उसकी मोनिका जिससे वो नाराज होने पर भी मुस्करा कर बात करता था आज वो उसके दर्द को महसूस करने की स्थिति में नहीं थी। पत्नी के शव के सीने पर सिर रखकर वो थोड़ा रोया, फिर उसके पिता ने उसे ढांढस और साहस देते हुए अलग किया।

दोनों परिवार पोस्टमार्टम के लिये राजी नहीं

मेडिकल कालेज में आने के बाद दोनों परिवारों के बीच बातचीत हुई और तय किया गया कि मोनिका के शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाएंगे। इंस्पेक्टर मेडिकल संत शरण सिंह ने एसपी सिटी विनीत भटनागर को बताया तो एसपी सिटी ने हड़काते हुए कहा कि मोनिका विवाहिता है और शादी को सिर्फ एक साल ही हुए हैं। इसका पोस्टमार्टम कराया जाएगा। इसके बाद पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कराई गई।

डा. आसिफ से नाराज थे मोनिका के परिजन

परिजनों का कहना था कि डा. आसिफ को उस वक्त की वीडियो और फोटो लेनी चाहिये थी। जब मोनिका फंदा लगाकर लटकी हुई थी। जबकि गर्ल्स हॉस्टल के उस कमरे में छात्राएं मोनिका को देखने गई थी। परिजन इस बात को लेकर परेशान थे कि मोनिका ने शाम के वक्त किससे बात की थी। वहीं, रेडियोलाजी विभागाध्यक्ष डा. यास्मीन उजमानी का कहना था कि मोनिका काफी गंभीर छात्रा थी और शांत व सरल व्यवहार की थी।

ब्रजघाट ले गए अंतिम संस्कार को

पोस्टमार्टम के बाद जब परिजनों को शव सौंपा गया तो परिजन शव को लेकर ब्रजघाट ले गए जहां अंतिम संस्कार किया गया।

पति ने कहा-डिप्रेशन में आती थी

डा. मोनिका महत्वाकांक्षी थी और अपने कॅरियर के प्रति काफी संवेदनशील थी। पति ने बताया कि दोनों लोग चूंकि डाक्टर हैं, इस कारण आपस में बातचीत करने का समय भी मुश्किल से निकालना पड़ता था।

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