तुम्हारे दिल में रहना अच्छा लगता है
तुम्हें अपना कहना अच्छा लगता है
नहीं हो तुम कहीं आस पास भी मेरे।
फिर भी निगाहों से ढूंढना अच्छा लगता है
यादों की बारात में नाचती है तन्हाइयां मेरी
तेरी यादों में सोना और जागना अच्छा लगता है
क्या खबर मिल जाओ कहीं ख्यालों की भीड़ में
इसलिए सजना और संवरना अच्छा लगता है
मिले ही नहीं जब तुमसे तो फिर बिछडते कैसे।
मिलने के ख्याल से दिल का धड़कना अच्छा लगता है
मैं बेबाक नदी सी तुम समंदर हो गहरे गहरे
मोहब्बत बनकर तुममें उतरना अच्छा लगता है
कभी कभार कर लेती हूं जब फोन तुम्हें
कैसी हो ‘सुमन’ सुनना अच्छा लगता है