Friday, July 5, 2024
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“आखिर टूट ही गयी जिंदगी की लड़ी”

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43स्वर साम्राज्ञी ,स्वर कोकिला या आवाज़ की दुनिया की महारानी ,संगीत जगत की आन-बानऔर शान आदरणीया लता मंगेशकर “जिंदगी की ना टूटे लड़ी…गीत को स्वर में सजाने वाली लता जी की जिंदगी की लड़ी आखिर टूट ही गयी।
28 सितंबर 1929 में जन्मी भारतरत्न से सम्मानित लता दीदी ने आखिर 2022 को इस संसार को अलविदा कह ही दिया। फ़िल्म जगत में अपनी आवाज़ को बुलंदियों तक पहुंचाने व समूचे देश के दिलों में अपना विशिष्ट स्थान बनाने वाली लता मंगेशकर की सिर्फ इस नश्वर देह का त्याग हुआ है लेकिन वो हमेशा अपनी मधुर आवाज के रूप में हमेशा पूरे हिंदुस्तान के दिल में हमेशा जीवित रहेंगी। वैसे भी कलाकार कभी मरता नही है वो तो अमर होता है। देश की जानी-मानी गायिका लता मंगेशकर अनेक नामों से जाना जाता हैं स्वर साम्राज्ञी,राष्ट्र की आवाज़ ,भारत कोकिला व सहराब्दी की आवाज़ तथा स्वर कोकिला आदि अनेक नामों से भी पुकारा जाता रहा है।

वें पार्श्व गायिका के साथ ही एक संगीत निर्देशक व निर्माता भी रही।

1942 से 2022 तक के अपने कार्यकाल में उन्होंने अनगिनत फिल्मी व भक्ति गीतों को अपने मधुर स्वर से सजाकर संगीत जगत को एक अनूठा उपहार दिया है।

पिता दीनानाथ मंगेशकर की लाडली व माता शेवन्ती मंगेशकर के आंचल की नन्हीं गुड़िया हिंदुस्तान की शान बनकर लोगों के दिलों में अपना एक विशिष्ट व सम्मान जनक स्थान बना गयी।

उनके द्वारा स्वरबद्ध किये गीत युगों युगों तक हमारे अधरों पर थिरकते रहेंगे।

“लग जा गले के फिर ये हंसी शाम हो ना हो..

“तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं…

” आजा पिया तोहे प्यार दूँ…

“तुझसे नाराज नहीं जिंदगी..

अनेक प्रेम,इश्क,मुहब्बत के गीतों के साथ ही लता दी ने देश भक्ति गीतों को भी अपनी मधुर आवाज़ दी है कि जिन्हें सुनकर हर किसी की आंखें अनायास ही छलक जाती हैं और देश की सीमा पर खड़े माँ भारती के बेटों को भी ऊर्जा व सहारा मिलता रहा है।

“कर चले हम फिदा जान ओ तन साथियों ….

गीतों को सुनकर हर किसी का दिल रो उठता है।

लता दी ने अपना सम्पूर्ण जीवन संगीत को ही समर्पित किया है।

हमेशा से उनकी पहचान भारतीय सिनेमा जगत में एक पार्श्व गायिका के रूप में ही रही है। उनकी अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता दी का फिल्मी गायन में एक बहुत बड़ा योगदान रहा है।

लता दी ने अपने छः दशकों से भी अधिक के कार्यकाल में असंख्य उपलब्धियां हासिल की है व अपनी मधुर आवाज़ से छः दशकों से भी अधिक संगीत की दुनिया को सुरों से सजाया है और भारत की स्वर कोकिला लता दी ने बीस भाषाओं में लगभग तीस हजार गीत गाये हैं।

स्वर साम्राज्ञी लता दी को शब्द सुमन अर्पित करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि।

“मरते नहीं हैं कला के पुजारी कभी।

रहते जिंदा दिलों में सभी हमेशा ही।।

थिरकेंगे गीत जन-जन के अधरों पर।

दिलों में रहेगी जिंदा हमेशा ही लता दी।।


-सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’

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