जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) एनसीआरटीसी के विरोध में मैदान में कूद गई। भाकियू नेताओं ने ग्राम मोहिउद्दीनुपर में मकानों के ध्वस्तीकरण का विरोध कर दिया।
भाकियू नेताओं ने पंचायत कर ऐलान कर दिया कि पहले मुआवजा, बाद में कब्जा मिलेगा। सरकार जब किसान पर भरोसा नहीं कर रही है तो किसान सरकार पर कैसे भरोसा करेंगे? भाकियू नेताओं ने कहा कि सर्किल रेट से चार गुना ज्यादा मुआवजा मिलना चाहिए। लोगों के मकान टूट रहे हैं, उनका भी मुआवजा मिले।
भारतीय किसान यूनियन की हुई पंचायत में कहा कि एनसीआरटीसी किसान मजदूरों के मकानों को तोड़ने के लिए लगाया गया है, जिसका भारतीय किसान यूनियन जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी, पूर्व जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह दबथुवा, रविंद्र सिंह दौराला ने ऐलान किया कि किसानों व मजदूरों का किसी भी सूरत में उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा।
किसान मजदूरों ने यहां अनिश्चितकालीन धरना भी आरंभ कर दिया है। इस धरने में भाकियू की गाजियाबाद विंग की टीम भी पहुंची तथा धरना तब तक खत्म नहीं करने का ऐलान कर दिया कि किसानों को पहले मुआवजा मिलेगा, इसके बाद ही तोड़फोड़ होने दी जाएगी।
यदि पुलिस-प्रशासन ने किसानों के साथ जबरदस्ती की तो महापंचायत कर बड़ा आंदोलन किया जाएगा। इसमें किसान किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे। इस ऐलान के करते ही भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत व भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे।
गाजियाबाद के भाकियू जिलाध्यक्ष चौधरी विजेंद्र सिंह, जिला प्रभारी जय कुमार मलिक ने भी धरने में पहुंचकर आंदोलन में कदम से कदम मिलाकर चलने का ऐलान किया।
भाकियू का यह आंदोलन अनिश्चित कालीन चलेगा। इस आंदोलन से प्रशासन की भी सांसे फूल गई है। क्योंकि अचानक रैपिड रेल का निर्माण तेजी से चल रहा था, जिस पर ब्रेक लग गया है।