- बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों का दिसंबर से मार्च माह तक हुआ था निरीक्षण
- 136 स्कूलों का एक से अधिक बार हुआ निरीक्षण, एक भी शिक्षक नहीं मिला अनुपस्थित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बेसिक शिक्षा विभाग के आधीन आनें वाले स्कूलों में शिक्षा का स्तर कैसा है, कितने बच्चे हैं, कितने शिक्षक उपस्थित है इसको लेकर दिसंबर से मार्च माह के बीच शासन ने सभी खंड शिक्षा अधिकरी व जिला बेसिक शिक्षाधिकारी को निरीक्षण करने के आदेश दिए थे।
जिसकी रिपोर्ट प्रेरणा समीक्षा मॉड्यूल आॅनलाइन मांगी गई जिसमें कई तरह की अनियमितता पाई गई है। अब शासन ने सभी निरीक्षणकर्ताओं द्वारा भेजी रिपोर्ट के बाद उनसे स्पष्टीकरण मांगा है। जाहिर है रिपोर्ट में खामियां पाएं जाने के बाद निरीक्षण अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने पत्र जारी करते हुए प्रदेश के सभी जिलों के बेसिक शिक्षाधिकारियों से निरीक्षण करने वाले अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।
एक ही स्कूल का कई बार हुआ निरीक्षण
शासन से जारी पत्र में कहा गया है कुल 2099 स्कूलों का निरीक्षण हुआ लेकिन इसमें अनियमितता बरती गई है। 136 स्कूलों का बार-बार निरीक्षण किया गया है साथ ही इनमें एक भी शिक्षक अनुपस्थित नहीं पाया गया जो संदेह पैदा करता है। नियमों के मुताबिक चार माह में प्रत्येक विद्यालय का निरीक्षण होना था
साथ ही इस दौरान कितने शिक्षक छुट्टी पर रहे या उनकी कहां ड्यूटी रही है इसकी रिपोर्ट भेजी जानी चाहिए थी। लेकिन प्रेरणा समीक्षा मॉड्यूल में यह स्पष्ठ नहीं हो रहा है। विभागीय अधिकारियों द्वारा भी 3801 स्कूलों का निरीक्षण किया गया जिसमें नियमों की अनदेखी की गई है।
बड़ी संख्या में स्कूलों का 4 से 8 बार निरीक्षण
खंड शिक्षा अधिकारी व जिला समन्वयकों को हर माह स्कूल भ्रमण का लक्ष्य दिया गया था जिसमें उनके क्षेत्र के सभी स्कूलों का निरीक्षण करने के साथ खंड विकास अधिकारी द्वारा भी शत् प्रतिशत निरीक्षण किया जाना अनिवार्य था। लेकिन समिक्षा में 5762 स्कूलों का 4 से 8 बार निरीक्षण किया गया है। जबकि नियमों के मुताबिक सभी का निरीक्षण होना था लेकिन अधिकारियों ने यूनीक स्कूलों निरीक्षण नहीं किया गया है।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने सभी निरीक्षणकर्ता अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही जिले के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि ग्रीष्म कालीन अवकाश से पहले निरीक्षण की रिपोर्ट सही नहीं भेजी गई तो उनका वेतन अवरूद्ध कर दिया जाएगा। इनमें जनपद मेरठ के भी कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।