Wednesday, July 9, 2025
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डाकघर का निरीक्षण करने पहुंचे चीफ पोस्टमास्टर जनरल

  • क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाने का कार्य रोकने के निर्देश
  • गाजियाबाद की सिविल विंग की तकनीकी टीम के साथ किया डाकघर का निरीक्षण

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: घंटाघर स्थित प्रधान डाकघर में दरार आने के मामले में शनिवार को लखनऊ से डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचे। सर्किल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल बी. सेल्वा कुमार ने डाक निदेशक आनंद कुमार व सिविल विंग की तकनीकी टीम के साथ घंटाघर डाकघर का निरीक्षण किया और निर्देश दिए कि भवन को तोड़ने का कार्य अभी रोक दिया जाए। क्योंकि भवन की मौजूदा स्थिति के बारे में पूरी रिपोर्ट बनाकर दिल्ली भेजी जाएगी।

वहां से दिशा-निर्देश मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इसके एक दिन पहले बरेली से पोस्टमास्टर जनरल संजय सिंह ने दौरा किया था। चीफ पोस्टमास्टर जनरल बी. सेल्वा कुमार के साथ निदेशक आनंद कुमार व गाजियाबाद से सिविल विंग की सहायक अभियंता डीके गोयल ने भी प्रधान डाकघर भवन का निरीक्षण किया। उन्होंने भवन के क्षतिग्रस्त हिस्से को भूतल से लेकर प्रथम तल तक का मुआयना किया।

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डाकघर के पीछे गली में डाक विभाग के अधिकारियों ने निर्माणाधीन बिल्डिंग का बेसमेंट भी देखा। इस दौरान प्रवर अधीक्षक अनुराग निखारे ने उन्हें अभी तक की नगर निगम की कार्रवाई के बारे में बताया। इसके बाद चीफ पोस्टमास्टर जनरल निर्माणाधीन भवन में पहुंचे। उन्होंने मौजूद लोगों से भी स्थिति की जानकारी ली। फिलहाल, क्षतिग्रस्त हिस्से को हटाने का कार्य रोक दिया गया है। इसके आगे की कार्रवाई डाक अधिकारियों के निर्देश मिलने तक रोक दी गई है।

निजी स्कूल कर रहे शिक्षा के अधिकार की अनदेखी

सरकार द्वारा गरीब व असहाय परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत योजना चलाई जाती है। इसमें निजी स्कूलों की पहली कक्षा में 25 प्रतिशत बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान है। लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है। पब्लिक स्कूल अभिभावक संघ ने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर शिक्षा के अधिकार का पालन नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

ऐसा ही मामला वेस्टर्न कचहरी रोड स्थित दीवान पब्लिक स्कूल का है। विजय कुमार के पुत्र लक्ष्य का चयन आरटीई के आधार पर लॉटरी के द्वारा कक्षा एक में हुआ था। इसकी सूचना 21 मार्च को जिला बेसिक शिक्षाधिकारी के यहां से बच्चे के पिता को दी गई थी। जब विजय अपने बेटे के लिए जारी हुए आरटीई पत्र को लेकर उक्त स्कूल में पहुंचे तो उन्हें स्कूल के गेट पर ही रोक लिया गया।

जब बीएसए का पत्र दिखाया गया तो स्कूल के कार्डिनेटर ने कहा कि वह किसी आदेश को नहीं मानते। यदि बच्चे को स्कूल में पढ़ाना है तो पूरी फीस जमा करनी होगी। यदि बात नहीं मानी गई तो बच्चे के दस्तावेजों में कोई भी कमी निकालकर प्रवेश के आदेश को निष्क्रीय कर दिया जाएगा। पीड़ित पिता ने जिलाधिकारी से दीवान स्कूल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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