- 1972 में उठी थी शाहजहांपुर को नगर पंचायत बनाने की मांग
- छह वर्ष पूर्व सपा सरकार में मयस्सर हुआ मुकाम
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: शाहजहांपुर का जिक्र छिड़ते ही जेहन में तरो-ताजगी का अहसास हिलोरे लेने लगता है। बागवानी कारोबार के साथ मंडी में सजे विभिन्न प्रजातियों के आम, लीची सड़क किनारे लहलहाली पौधशालाओं के बीच मुस्कुराते रंग-बिरंगे फूलों के दृश्य और उस पर यहां की फिजा में घुली तहजीब की खुशबू इस बस्ती को खास पहचान दिलाती है। हम पेश कर रहे हैं शाहजहांपुर के ग्रामीण अंचल से नगर निकाय तक के सफर पर एक रिपार्ट…
मेरठ का शाहजहांपुर करीब पौने चार सौ वर्ष पूर्व गढ़ रोड पर छोटे गांव के रूप में आबाद हुआ था। किवंदति है कि अपने शासनकाल में बादशाह शाहजहां ने पठान बाहुल्य इस बस्ती में रात्री विश्राम किया था। तब से इसका नाम शाहजहांपुर पड़ गया। कालांतर में यह बस्ती गांव के रूप में विकसित हुई और आजादी के बाद 1952-53 में इसे ग्राम पंचायत का दर्जा मिला। बाबू इल्हाम उल्ला खां यहां प्रथम प्रधान चुने गए।
गांव से नगर का सफर
ग्राम पंचायत गठन के बाद शाहजहांपुर में तालीम व तरक्की का खास दौर चला। पठानों के साथ दूसरी मुख्य जाति वैश्यों ने यहां व्यापार के अवसर तलाशे जिससे बाजार विकसित हुआ। पठानों ने बागवानी शुरू की तो वैश्यों ने फलमंडी चालू कर दी। हालांकि अब पठान और अन्य लोग भी यहां आढ़त का काम कर रहे हैं। बागवानी और व्यापार के साथ दूसरे जरूरी प्रतिष्ठान खुले तो लोगों का रुझान बढ़ा। जिससे जनसंख्या वृद्धि हुई और विकास के लिए नगर पंचायत की मांग उठने लगी।
कानपुर में देखा नगर पंचायत का सपना
शाहजहांपुर को नगर पंचायत का दर्जा दिलाने की मांग सर्वप्रथम 1972 में आबिद खां पुत्र मुहम्मद अहमद खां ने उठाई थी। उन दिनों आबिद खां कानपुर में इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहे थे। दरअसल 1968 में मिडिल करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह कानपुर चले गए थे। वहीं उनके जेहन में यह विचार आया। 1975 में सड़क दुघर्टना में 21 वर्ष की उम्र में उनकी मौत हो गई।
धरने-प्रदर्शनों से साधा लक्ष्य
1980 में आबिद खां के छोटे भाई डा. यूसुफ ने बतौर ग्राम पंचायत सदस्य नगर पंचायत का मुद्दा तत्कालीन प्रधान रकीब खां के समक्ष उठाया। जो ढाई दशक विभिन्न प्रधानों के कार्यकाल में उठता रहा। 2005 के सपा और 2007 के बसपा शासनकाल में भी सिर्फ खानापूर्ति की गई। 2006 में शाहजहांपुर विकास मंच ने कलक्टेट में धरने के साथ आंदोलन को धार दी। रोज 100 चिट्ठियों की मुहिम चली।
बहरहाल 2009 में अमीर फैसल खां की अध्यक्षता में खुली बैठक में प्रस्ताव पारित हुआ। 2010 में भूमि प्रबंधन और सीमांकन का काम निपटा। 2013 में मंच ने फिर ब्लाक, तहसील और जिला स्तर पर आंदोलन किया। तमाम औपचारिकताओं के बाद 22 दिसंबर 2016 को शाहजहांपुर नगर पंचायत बनी।
राना खानम बनीं प्रथम चेयरपर्सन
नगर पंचायत घोषित होने पर 22 नवंबर 2017 को यहां मतदान, 01 दिसंबर को मतगणना और 12 दिसंबर को शपथ के बाद राना खानम पत्नी तबारकउल्ला शाहजहांपुर की पहली चेयरपर्सन बनीं। तत्कालीन प्रधान सदफ बेगम पत्नी वसीउर्रहमान मुख्य मुकाबले में रहीं।
सुगबुगाहट से सक्रिय हुए संभावित प्रत्याशी
फिलहाल नगर पंचायत चुनाव की पुन: सुगबुगाहट के साथ स्थिति स्पष्ट न होते हुए भी शाहजहांपुर से तबारकउल्ला, वसीउर्रहमान, नसीब आलम, अयाज खां, तारिक खां, शाद खां समेत आधा दर्जन से अधिक समान्य वर्ग के संभावित प्रत्याशी जोड़-तोड़ में लग गए हैं। वहीं पिछड़ा वर्ग से पूर्व प्रधान अब्दुल वाहिद कुरैशी, इमरान अली, इस्तेकार आढ़ती समेत कई लोग चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। वह गुपचुप तरीके से तैयारी में जुटे हैं।