- छह माह बाद धीरे-धीरे सुधरेगा अर्थव्यवस्था बेरोजगारी में होगा इजाफा
- सरकार को वर्तमान नीतियों पर करना चाहिए मंथन, विशेषज्ञों से ले राय
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोविड-19 से उत्पन्न हुई परिस्थितियों के बीच देश में लगाए गए लॉकडाउन के कारण जीडीपी में आने वाली दो तिमाही तक सुधार की उम्मीद नहीं है।
यही नहीं उसके पश्चात भी धीरे-धीरे ही जीडीपी पटरी पर आ पाएगी। जिसके कारण आने वाले समय में महंगाई और बेरोजगारी का आलम देखने को मिलेगा।
ये बात गुरुवार को अर्थशास्त्र विशेषज्ञों ने जनवाणी टीम से बात करते हुए कही। उन्होंने कहा कि भले ही सरकार द्वारा जीडीपी को सुधारने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं, लेकिन वह प्रयास अभी कारगर साबित होते नहीं दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि देश मे आठ तिमाही से जीडीपी मे गिरावट देखी जा रही थी।
वहीं, कोरोना कारण से तीन महीने के लॉकडाउन में जहां देश में बेरोजगारी बढ़ी है, वही सरकार की इनकम पर भी काफी असर पड़ा है। जिस वजह से जीडीपी में गिरावट दर्ज की गई है।
ऐसे में जीडीपी को सुधारने के लिए सरकार को आम आदमी की जेब भरनी होगी। जिसके लिए रोजगार के अवसर पैदा करने होगे।
जब रोजगार बढ़ेगे आम आदमी के पास पैसे होगे वह खर्च करेगा तो उसका असर भी देखने को मिलेगा। साथ ही सरकार को डिजिटल तरीके से लोगों की उत्पादन में लागत कम और इनकम ज्यादा पर जोर देना होगा।
सरकार ने जिस 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान तो किया, लेकिन उसका क्रियान्यवन जमीनी स्तर पर कितना हुआ उसका सरकार को सोचना चाहिए। उसमें से आठ लाख करोड़ रुपये का पैकेज बैंकिंग सेक्टर को दिया और 12 लाख करोड़ का पैकेट अलग स्तर पर दिया।
मगर बैंकिंग सेक्टर में आठ लाख करोड़ से ज्यादा का पैकेज देते तो शायद बदलाव देखने को मिल सकता था। ऐसे में सरकार नए नीति तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए। फिर वर्तमान और विशेषज्ञ द्वारा बताए गए प्रारूप का अध्ययन करने के पश्चात देखना चाहिए कि किस स्तर से जीडीपी को सुधार सकते हैं।

अभी दो तिमाही तक जीडीपी में और गिरावट दज होगी। उसके बाद धीरे-धीरे बदलाव देखने को मिलेगा। सरकार को वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए जीडीपी को सुधारने के लिए विशेषज्ञों की राय लेनी चाहिए। उसके पश्चात नई नीति निर्धारित करते हुए अर्थव्यवस्था को सुधारना चाहिए। आने वाले समय में महंगाई देखने को मिलेगी। छह माह बाद भी एक दम जीडीपी में वृद्धि नहीं होगी। सरकार को रोजगार की तरफ विशेष ध्यान देने होंगे। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में नेट की स्पीड पर ध्यान देते हुए किसानों को भी डिजिटल मुहिम से जोड़ते हुए उनकी आय भी मजबूत करनी होगी। तभी देश की अर्थव्यवस्था मजबूती की तरफ बढ़ेगी।
-प्रो. दिनेश कुमार, विवि विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र

पिछले आठ तिमाही से जीडीपी में लगातार गिरावट हो रही है। लॉकडाउन में व्यापार को बहुत नुकसान हुआ है। ऐसे में केन्द्र सरकार को राज्य सरकार के साथ तालमेल मिलाकर अर्थव्यवस्था को सुधारना चाहिए। साथ ही कोरोना वायरस रोकने के लिए भी ठोस कदम उठाए। जहां आवश्यकता हो वहीं लॉकडाउन रहे। जिससे अर्थव्यवस्था का पहिया चलता रहें। सरकार को अपनी नीतियों में भी बदलाव करना होगा। जब तक सरकार यह स्वीकार नहीं करेगी कि अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। तब तक बदलाव नहीं होगा। सरकार को खर्च करना होगा। किस तरह से खर्च के लिए साधन मुहैया हो सरकार को उसके उपाय पर मंथन करना चाहिए। रोजगार के लिए भी तीव्र गति से कार्य करने होंगे।
-प्रो. अतवीर सिंह, सीसीएसयू अर्थशास्त्र

हाल ही में यूनियन मिनिस्ट्री आफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोगाम इंप्लीमेंटेशन द्वारा जारी किए गए क्वार्टर-1 में 2020-21 के अनुसार हमारे देश की जीडीपी में -23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसका प्रमुख कारण कोविड-19 महामारी भी है, क्योंकि 25 मार्च 2020 से लगभग 68 दिन तक संपूर्ण लॉकडाउन के कारण देश को बेरोजगारी, सप्लाई सप्लाई चेन का टूटना एवं कंज्यूमर डिमांड में गिरावट जैसे परिणामों का सामना करना पड़ा है। इसके पूर्व भी 2019-20 क्वार्टर-4 के अंत में जीडीपी में सिर्फ 3.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। जैसे कोविड-19 महामारी अभी तक खत्म नहीं हुई है और आने वाले समय में भी इसका असर देश में रहेगा। जिसके कारण जीडीपी पर भी इसका असर देखा जाएगा। सरकार को जरूरत है कि इस तरह के कार्यों को बढ़ावा दें, जोकि प्रतिदिन कार्य करने वालों की आय का माध्यम बन सके। जिससे कंजप्शन बड़े और अर्थव्यवस्था को कम समय में सुधारा जा सके।
–सीए राजीव गुप्ता, पूर्व चेयरमैन, मेरठ सीए ब्रांच