नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आयुर्वेद में गोखरू के पौधे अधिक महत्व दिया गया है। इसको सबसे पुरानी जड़ी बूटी माना जाता है। इसका उपयोग करने से मनुष्य अधिक समय तक स्वास्थ्य रहता है। साथ ही तमाम तरह की बीमारी से निजात भी मिल जाती है। दरअसल, आयुर्वेद में यह एक ऐसा पौधा है जो वात, पित्त और कफ तीनों के लिए बेहद फायदेमंद है। इस पौधे का तना व फल औषधीय गुणों से भरपूर हैं। साथ ही यह शरीर को ठंडक प्रदान भी करता है। यह महिला और पुरूष दोनों के लिए ही लाभदायक माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इस गोखरू पौधे के बारे में कुछ विशेष बाते..
क्या है पौधे की पहचान?
गोखरू पर छोटे-छोटे पीले फूल खिलते हैं और छोटे आकार के कांटेदार फल लगते हैं, जो औषधि बनाने के काम आते हैं। यह हरियाणा, राजस्थान में खासकर बहुत मिलता है।
क्या हैं गुण?
आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में बड़े पैमाने पर गोखरू का उपयोग किया जाता है। गोखरू का उपयोग अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। आयुर्वेद बाजार में गोखरू के फलों की बहुत मांग है।
गुर्दे की पथरी में करता है आराम
गोखरू मूत्रवर्धक गुणों के लिए मशहूर है। यह गुर्दे की पथरी को तोड़ने और मूत्र प्रवाह को बेहतर करने में बहुत मदद करता है।
पुरूषों की स्वास्थ्य में करता है सुधार
गोखरू के इस्तेमाल से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे पुरुषों में यौन शक्ति, ऊर्जा और प्रजनन क्षमता में सुधार हो सकता है।
हार्ट को रखता है हेल्दी
गोखरू ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और हृदय को मजबूत करने में मदद करता है। इसमें मौजूद सैपोनिन हृदय रोगों से बचाव में सहायक होते हैं। इसका सेवन जोड़ों के दर्द और गठिया में भी राहत दे सकता है।
पाचन क्रिया का रखता है ख्याल
गोखरू पाचन को बेहतर करने में मदद करता है और कब्ज से परेशान मरीजों को इससे राहत दिलाता है।
स्किन के रोगों के लिए भी होता है इस्तेमाल
गोखरू का इस्तेमाल त्वचा रोगों जैसे एक्जिमा और खुजली के इलाज के लिए भी किया जाता है।