Wednesday, July 3, 2024
- Advertisement -
Homeसंवादसप्तरंगदेश में बढ़ती दिल की बीमारियां

देश में बढ़ती दिल की बीमारियां

- Advertisement -

 

Nazariya 15


Amit Bajnath Garg 1विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार, 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में दिल के दौरे पड़ने के मामले में भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे आगे है। वर्ष 2020 के आखिर तक भारत में हृदय वाहिका रोग मौत और विकलांगता के सबसे प्रमुख कारण होंगे। दिल के दौरे से ग्रस्त अधिकांश लोगों की मौत केवल इस कारण से हो जाती है कि वह सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। लोग इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि कार्डियो प्लमरी रीससिटेशन अथवा सीपीआर की तकनीक सीखने में मुश्किल से केवल पांच मिनट लगते हैं। पहले 40 साल से कम उम्र के कोरोनरी धमनी रोगों से ग्रस्त लोगों का प्रतिशत महज 10 प्रतिशत था, जो बढ़कर आज 30 प्रतिशत हो गया है। भारत में दिल की बीमारियों ने सबसे बड़े हत्यारे के रूप में संक्रामक रोगों की जगह ले ली है। आंकड़ों के मुताबिक, शहरी आबादी का लगभग 30 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी का 15 प्रतिशत उच्च रक्तचाप और दिल के दौरे से पीड़ित है। जैसे-जैसे दिल की बीमारियों के जोखिम कारक बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है। हर साल 24 लाख भारतीयों की मौत हृदय रोगों के कारण होती है।

कम उम्र में हार्ट अटैक वाले मामले दिनों-दिन भारत में बढ़ते जा रहे हैं। अमेरिका के एक रिसर्च जरनल में छपे लेख के मुताबिक, 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हुई। इसमें से तकरीबन 2.3 करोड़ लोगों की उम्र 40 साल से कम है यानी 40 फीसदी हार्ट के मरीजों की उम्र 40 साल से कम है। भारत के लिए ये आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं।

जानकार बताते हैं कि पूरी दुनिया में भारत में ये आंकड़े सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। प्री-मैच्योर डेथ यानी अकाल मृत्यु के कारणों में 2005 में दिल की बीमारी का स्थान तीसरा था, लेकिन 2016 में दिल की बीमारी अकाल मृत्यु का पहला कारण बन गई है। 10-15 साल पहले तक दिल की बीमारी को अक्सर बुजुर्गों से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन पिछले एक दशक में दिल से जुड़ी बीमारी के आंकड़े कुछ और कहानी कहते हैं।

डॉक्टर्स के मुताबिक, यूं तो भारत में हार्ट डिजीज से हो रही मौतों का कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन दुनिया में 25 लाख लोगों की मौत का कारण हार्ट डिजीज है। वर्ष 2030 तक यह आंकड़ा तीन करोड़ तक हो जाएगा। वहीं भारत में इन मौतों की 26 प्रतिशत मौत हार्ट डिजीज से हो रही हैं। ताज्जुब की बात यह कि 18 साल तक की उम्र के युवाओं को हार्ट डिजीज हो रही हैं। इनमें कोरोनरी आर्टरी डिजीज, दिल का दौरा प्रमुख हैं। इंडियन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, भारत में होने वाले कुल हार्ट अटैक का 50 प्रतिशत 50 से कम उम्र और 25 प्रतिशत 40 से कम उम्र के लोगों में होता है। गांवों की अपेक्षा शहर के लोग इस बीमारी के प्रति ज्यादा जागरूक हैं। कुछ लोगों में हार्ट अटैक का कोई लक्षण सामने नहीं आता, जिसे साइलेंट मायोकार्डियल इंफेक्शन कहते हैं। ऐसा आमतौर पर उन मरीजों में होता है, जो डायबिटीज से पीड़ित होते हैं। सीने में दर्द, जकड़न या दबाव के साथ अगर मतली, अपच, सीने में जलन या पेट में दर्द हो तो इसे नजरअंदाज न करें। यह हार्ट अटैक के संकेत हो सकते हैं।

पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. यशपाल शर्मा कहते हैं कि जो दर्द हाथ तक फैलता हो या चक्कर आ रहे हों या रक्तचाप में अचानक गिरावट आ जाए तो इसे भी हल्के में न लें। छाती के बीच में दर्द या दबाव, जो आपके गले या जबड़े तक फैलता हो या तेज चलने या सीढिय़ां चढ़ने पर सांस फूलती हो तो सचेत हो जाइए। आॅब्सट्रेक्टिव स्लीप एपनिया के कारण अत्यधिक खर्राटे हों या किसी स्पष्ट कारण के बगैर पसीना आ रहा हो और दिल की धड़कन अनियमित हो रही हो। सफेद और गुलाबी बलगम के साथ लंबे समय से खांसी हो रही हो या पैर और एडिय़ों में सूजन हो तो यह हार्ट फेल्योर के संकेत हैं।

कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि दरअसल देश के युवाओं का दिल कमजोर हो गया है। उनके मुताबिक, कमजोर दिल का कारण हमारी नए जमाने की जीवन शैली है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, महिलाओं में प्री-मेनोपॉज हार्ट की बीमारी नहीं होती। इसके पीछे महिलाओं में पाए जाने वाले सेक्स हार्मोन हैं, जो उन्हें दिल की बीमारी से बचाते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में महिलाओं में प्री-मेनोपॉज वाली उम्र में भी हार्ट अटैक जैसे बीमारियां देखी जा रही हैं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के डॉ. श्रीनाथ रेड्डी के मुताबिक, अगर कोई महिला स्मोकिंग करती है या गर्भनिरोधक पिल्स का लंबे समय से इस्तेमाल करती रही है तो प्राकृतिक रूप से उसके शरीर की हार्ट अटैक से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।

हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए युवाओं को अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने की जरूरत है। बहुत हद तक योग से ये बदलाव संभव है। योग से न सिर्फ तनाव दूर होता है, बल्कि लोग शांत चित्त और ज्यादा एकाग्र होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जंक फूड पर सरकार को ज्यादा टैक्स लगाना चाहिए, जैसे सरकार तंबाकू और सिगरेट पर लगाती है। साथ ही जंक फूड पर बड़े-बड़े मोटे अक्षरों में वॉर्निंग भी लिखनी चाहिए। सरकार इसके लिए नियम बना सकती है।

अक्सर ये भी सुनने में आता है कि हार्ट अटैक का सीधा संबंध शरीर के कोलेस्ट्रोल लेवल से होता है, इसलिए अधिक तेल में तला हुआ खाना न तो बनाएं और न ही खाएं। कोलेस्ट्रोल से नहीं, लेकिन ट्रांस फैट से हार्ट अटैक की समस्या हो सकती है। ट्रांस फैट शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रोल को कम करता है और बुरे कोलेस्ट्रोल को बढ़ाता है। वनस्पति और डालडा ट्रांस फैट के मुख्य स्रोत हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए।


janwani address 116

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments