Sunday, September 8, 2024
- Advertisement -
Homeसंवादसेहतवंशानुगत हृदय रोग

वंशानुगत हृदय रोग

- Advertisement -

Sehat


सीतेश कुमार द्विवेदी |

हृदय रोग भारतीयों की बड़ी बीमारी बनती जा रही है। देश की जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ यहां हृदय रोगी व उससे होने वाली मौतों की संख्या भी बढ़ रही है। यहां का वंशानुगत इतिहास लोगों को जल्द ही हृदय रोगी बनाता है। यहां के लोगों का खानपान तेल, घी अर्थात अधिक वसा वाला है जो कोलेस्ट्राल को बढ़ाकर हार्ट अटैक का कारण बनता है। हृदय रोग से दुनियां में मरने वालों में से 17 प्रतिशत भारतीय होते हैं। 40 वर्ष से कम आयु में हृदयाघात से मरने वालों में भारत का शिखर स्थान है। अपने देश के तीस प्रतिशत लोग हृदयाघात से मर रहे हैं। इस सबके बाद भी हम भारतीय दुनिया की हर आफत को मोल लेकर अंगीकार रहे हैं। जंक फूड को अंधा-धुंध उदरस्थ कर रहे हैं। आधुनिक सुख-सुविधा व संसाधनों का लाभ उठाते हम लगातार आराम पसंद हो रहे हैं। हमारी जीवनशैली श्रम शून्य होती जा रही है। नई पीढ़ी इस सबमें तेजी के साथ ढलते जा रही है। उसे अंगीकार करते जा रही है।

हृदय रोग के कारण
अपने यहां हृदय रोग व इसके रोगी बढ़ने के पीछे जीवनशैली, बाहरी कारण एवं वंशानुगत इतिहास है। यहां की जीवनशैली में धूम्रपान, अत्यधिक तेल व वसायुक्त भोजन का सेवन, घर व बाहर का तनाव, शारीरिक श्रम का अभाव, कोल्ड ड्रिंक्स, फास्ट फूड एवं जंक फूड का अधिक सेवन जैसे नीति कारण बढ़ गए हैं। पर्यावरण प्रदूषण बढ़ गया है। इस सबके साथ यदि व्यक्ति के पास हृदय रोग का वंशानुगत इतिहास मौजूद है तो वह जल्द ही हार्ट पेशेंट बन जाता है।

बचाव के उपाय
हम जीवनशैली को बदल सकते हैं और उसे स्वस्थ एवं सेहतमंद स्थिति में ला सकते हैं। खानपान को उपयुक्त पौष्टिक कर सकते हैं। आधुनिक पेय व जंक फूड को त्याग करते हैं। नमक, शक्कर, तेल, घी, वसा का उपयोग सीमित कर सकते हैं। आधुनिक संसाधनों का लाभ उठाते श्रम, व्यायाम को महत्त्वपूर्ण स्थान दे सकते हैं। धूम्रपान, नशा व गुटखा, तंबाकू त्याग सकते हैं। तनाव दूर करने के लिए ध्यान, प्राणायाम कर सकते हैं। बाहरी प्रदूषण तो हमारे वश में नहीं है किन्तु कुछ प्रदूषण को हम अपने स्तर पर कम कर सकते हैं। हृदय रोग के वंशानुगत इतिहास वाले व्यक्ति युवावस्था के बाद प्रतिवर्ष सेहत की संपूर्ण जांच करा कर चिकित्सक से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। तेल, घी, वसा, नमक, शक्कर को अत्यंत न्यून कर सकते हैं। खानपान में फल, सब्जी सलाद एवं जीवनशैली में श्रम, व्यायाम को स्थान दे कर बेहतर जिंदगी पा सकते हैं।

वंशानुगत रोगियों के लिए खास बातें
-नियमित डॉक्टरी जांच करायें।
-भोजन में फल, सब्जी, सलाद व रेशेदार पदार्थ हों।
-भोजन में पूर्ण व अंकुरित अनाज भी हो।
-भोजन चबा-चबाकर जरूरत के अनुसार करें।
-तेल, घी, वसा, नमक, शक्कर की मात्रा कम कर दें।
-दिन के भोजन के बाद थोड़ा विश्राम करें। रात्रि के भोजन के बाद थोड़ा घूमें।
-नींद पर्याप्त व शांतिपूर्ण हो।
-तनाव, क्रोध, चिंता हड़बड़ी न करें।
-श्रमपूर्ण कार्य करें। व्यायाम करें।
-योग, प्राणायाम व ध्यान करें।
-व्यसन व वासना से दूर रहें।
-सद्विचार व सदकर्म करें।


janwani address 8

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments