नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। दुनियाभर में इनदिनों एक ही खबर की चर्चा खूब हो रही है, वह खबर है हिंडनबर्ग की। तो आज हम सबसे पहले हिंडनबर्ग की ही बात करेंगे। सर्वप्रथम यह जानना जरूरी है हिंडनबर्ग किस बला का नाम है और इसका काम क्या है, वह कौन है जो इसको संचालित करता है और उसका उद्देश्य क्या है।
25 जनवरी को अदानी ग्रुप की कंपनियों के बारे में अमेरिका की ‘हिंडनबर्ग’ कंपनी ने एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट का टाइटल है- ‘दुनिया का तीसरा सबसे अमीर आदमी किस तरह कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा धोखा कर
रहा है’।
नाथन एंडरसन नाम का एक व्यक्ति अमेरिका के कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस विषय में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश करता है। जल्द ही उसे एक डेटा रिसर्च कंपनी में नौकरी मिलती है। यहां उसका काम पैसों के इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट से जुड़ा हुआ होता है। नौकरी करते हुए एंडरसन डेटा और शेयर मार्केट की बारीकियों को समझ लेता है। उसे अब इस बात का अंदाजा हो जाता है कि शेयर मार्केट की दुनिया पूंजीपतियों का सबसे बड़ा ठिकाना है।
6 मई 1937 को ब्रिटेन के मैनचेस्टर में हिंडनबर्ग नामक एक जर्मन एयर स्पेसशिप हवा में क्रैश हो गया था। इस हादसे में 35 लोगों की मौत हुई थी। जांच में पता चला कि कंपनी ने नियमों का पालन नहीं किया था। इस घटना को लेकर एंडरसन का मानना है कि स्पेसशिप कंपनी इस हादसे को टाल सकती थी। 80 साल पहले हुई घटना ने नाथन एंडरसन के दिल और दिमाग पर गहरा असर छोड़ा था। इसीलिए उसने 2017 में अपनी कंपनी का नाम ‘हिंडनबर्ग’ रखा। ये नाम रखने का मकसद सिर्फ एक था कि हिंडनबर्ग की तर्ज पर शेयर मार्केट में लाभ कमाने वालों पर नजर रखना और उनकी पोल पट्टी खोलना। साथ ही शेयर मार्केट में किसी क्रैश को कैसे रोका जा सके।
नाथन एंडरसन ने फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी शुरू किया। इसका परिणाम 2017 में दिखा जब एंडरसन ने ‘हिंडनबर्ग’ नाम से एक कंपनी की शुरुआत कर दी।
अब बहुत ही बारीकी से समझने की बात है। नाथन एंडरसन की कंपनी ‘हिंडनबर्ग’ का मुख्य काम शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च यानि शोध करना है। इस रिसर्च के जरिए ‘हिंडनबर्ग’ कंपनी कई बातें पता करती है।
मसलन….
कहीं शेयर मार्केट में पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है। कहीं बड़ी कंपनियां अपने फायदे के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो नहीं कर रही हैं। कोई कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में अवैध तरीके से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही हैं।
इस तरह रिसर्च पूरी करने के बाद ‘हिंडनबर्ग’ कंपनी एक विस्तार से रिपोर्ट तैयार कर प्रकाशित करती है। कई मौकों पर इस कंपनी की रिपोर्ट का दुनियाभर के शेयर मार्केट पर असर देखने को मिला है।
अगर आप ‘हिंडनबर्ग’ कंपनी की रिपोर्ट पढ़ेंगे तो आपको स्पष्ट रूप से साफ पता चल जाएगा कि ‘हिंडनबर्ग’ कंपनी ने जानबूझ कर ऐसी रिपोर्ट अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर गिराने के लिए ही जारी की है। इसका खुलासा क्योंकि ‘हिंडनबर्ग’ कंपनी ने अदानी ग्रुप की कंपनियों पर ‘शॉर्ट पोजिशन’ ले रखी है। आपको बता दें कि शेयर बाजार से पैसा कमाने के मुख्य रूप से दो ही तरीके होते हैं। पहला तरीका है लांग पोजिशन और दूसरा तरीका है शॉर्ट पोजिशन।
‘हिंडनबर्ग’ कंपनी ऐसे करती है शेयर मार्केट में खेल
अब आप इस उदाहरण से समझिएगा…. यहां समझाने के लिए दो काल्पनिक नाम ‘अशोका’ और ‘सुफला’ लिखे गए हैं। इनका वास्तविक नामों से कोई वास्ता सरोकार नहीं है।
मान लीजिए किसी कंपनी या व्यक्ति ने 100 रुपए में किसी कंपनी के शेयर खरीदे और 150 रुपए में बेच दिए। ऐसे में उसे 50 रुपए का लाभ मिलता है। इस तरीके को लांग पोजिशन कहते हैं।
इसी तरह मान लीजिए कि हिंडनबर्ग कंपनी ने शेयर मार्केट से जुड़ी किसी ‘अशोका’ नामक कंपनी से एक महीने के लिए 10 शेयर उधार लिए और ‘सुफला’ नामक कंपनी को बेच दिए। इस वक्त बाजार में एक शेयर की कीमत 100 है और उसने उसी कीमत में ‘सुफला’ को बेचे हैं। अब हिंडनबर्ग को भरोसा है कि उसकी रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद अदानी ग्रुप के शेयर की कीमत गिरेगी।
अब मान लीजिए रिपोर्ट पब्लिश होते ही अडाणी के एक शेयर का भाव 100 से गिरकर 80 हो गया। ऐसे में हिंडनबर्ग अब बाजार से 80 रुपए में 10 शेयर खरीदकर ‘अशोका’ कंपनी को लौटा देगा। इस तरह हिंडनबर्ग को एक शेयर पर 20 रुपए तक लाभ मिलता है। इसे ही शॉर्ट पोजिशन कहते हैं।
नाथन एंडरसन की कंपनी ने अदानी ग्रुप की कंपनी पर यही शॉर्ट पोजिशन दांव खेला है। इसके लिए उसने अपनी दो साल की रिसर्च को आधार बनाया है।
हिंडनबर्ग ने अदानी ग्रुप को लेकर अपनी रिपोर्ट में तीन बड़े आरोप लगाए हैं, जिसकी वजह से अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर में गिरावट आई है।
‘हिंडनबर्ग’ कंपनी का है यह पहला आरोप
अदानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर की कीमत उसी सेक्टर में बिजनेस करने वाली दूसरी कंपनियों की तुलना में 85 प्रतिशत तक ज्यादा है। दरअसल, शेयर की कीमत उस कंपनी को होने वाले मुनाफे से तय होती है। बाजार अनुमान लगाता है किसी कंपनी को होने वाले मुनाफे के मुकाबले उस कंपनी के शेयर की कीमत कितनी ज्यादा होगी। इसे प्राइज अर्निंग अनुपात कहते हैं। अदानी ग्रुप की कंपनियों का प्राइज अर्निंग अनुपात दूसरी कंपनियों से काफी ज्यादा है।
‘हिंडनबर्ग’ कंपनी का है यह दूसरा आरोप
अदानी ग्रुप ने शेयर मार्केट में हेराफेरी करके अपने शेयरों की कीमत बढ़वाई है। अदानी ग्रुप ने मॉरीशस और दूसरे देश की कंपनियों में पैसे लगाए। उन कंपनियों ने बाद में अदानी ग्रुप की कंपनी से शेयर खरीदे।
इस तरह विदेशी कंपनी के शेयर खरीदने से अदानी ग्रुप की कंपनी में लोगों का भरोसा बढ़ता है। इससे शेयर की मांग बढ़ती है और मांग बढ़ते ही शेयर की कीमत भी बढ़ती है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि अदानी के भाई विनोद दुबई में बैठकर यही काम कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में विनोद अदानी से जुड़ी 38 कंपनियों का भी जिक्र किया गया है।
‘हिंडनबर्ग’ कंपनी का है यह तीसरा आरोप
अदानी ग्रुप पर 2.20 लाख करोड़ से ज्यादा का भारी कर्ज है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों ने अपनी हैसियत से ज्यादा कर्ज ले रखा है। अदानी ग्रुप की कई कंपनियों ने तो अपने शेयर तक गिरवी रखकर कर्ज लिए हैं। अदानी ग्रुप ने बीते दिनों ACC और अंबुजा कंपनी खरीदने के लिए भी कर्ज लिया था। ऐसे में बैंकों के पास वसूलने के लिए अदानी ग्रुप के शेयर के अलावा और कुछ भी नहीं है।
‘हिंडनबर्ग’ की रिपोर्ट से बर्बाद हुई यह कंपनी
2020 में इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली अमेरिकी कंपनी निकोला के शेयरों की कीमत तेजी से बढ़ रही थी। तभी सितंबर महीने में निकोला कंपनी को लेकर हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसके बाद इस कंपनी के शेयर 80 प्रतिशत तक टूट गए थे।
अपनी रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने दावा किया था कि निकोला ने अपनी कंपनी और गाड़ियों के बारे में निवेशकों को गलत जानकारी दी थी। खबर सामने आते ही अमेरिका के सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन ने निकोला के मालिक के खिलाफ फ्रॉड का आपराधिक मुकदमा चलाया था।
दोषी साबित होने पर निकोला के मालिक ट्रेवोर मिल्टन को 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा जुर्माना देना पड़ा था। जून 2020 में निकोला कंपनी की वैल्यूएशन 2.77 लाख करोड़ रुपए थी, जो कुछ दिनों बाद ही घटकर 11 हजार करोड़ रुपए रह गई।
अदानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के आरोपों पर दिया यह जवाब
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सामने आने के बाद अदानी ग्रुप ने भारी नुकसान को देखते हुए अपनी ओर से सफाई दी है। 26 जनवरी को अदानी ग्रुप ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट गलत सूचनाओं और फैक्ट्स के आधार पर तैयार की गई है। इसके जारी होने के बाद हमारे शेयरहोल्डर्स और इन्वेस्टर्स के सेंटिमेंट पर गलत असर हुआ है। ऐसे में हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।