Monday, August 11, 2025
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Ganadhip Sankashti Chaturthi 2023: गणधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत आज,जानें पूजन विधि मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। कार्तिक मास के बाद मार्गशीर्ष महीने के शुरूआत हो चुकी है। वहीं, हर महीने की तरह इस महीने में भी शुक्ल और कृष्ण पक्ष होते हैं। साथ ही इस माघ में दो चतुर्थी पड़ती हैं जो कि एक शुक्ल और दूसरी कृष्ण पक्ष तिथि चल रही है। यह कृष्ण पक्ष चल रहा है और आज यानि 30 नवंबर को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत मनाया जा रहा है।

इस दिन चतुर्थी का व्रत रखा जाता है और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। माना जाता है कि, इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही इनकी पूजा करने से जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। तो चलिए जानते हैं गणधिप संकष्टी चतुर्थी की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में..

गणधिप संकष्टी चतुर्थी 2023

मार्गशीर्ष माह की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 नवंबर 2023,को रखा जा रहा है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद व्रत की शुरुआत होती है। फिर शाम को भगवान गणेश की पूजा और चंद्र देव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।

गणधिप संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजन मुहूर्त

गणेश जी की पूजा का मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 08 बजकर 13 मिनट तक। शाम का मुहूर्त – शाम 04 बजकर 05 मिनट से रात 07 बजकर 05 मिनट तक।

गणधिप संकष्टी चतुर्थी 2023 चंद्रोदय का समय चंद्रोदय

संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा का भी महत्व है। चतुर्थी की पूजा और व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही सफल होता है। 30 नवंबर को रात 07 बजकर 54 मिनट पर चंद्रोदय होगा। इसके बाद आप चंद्रमा की पूजा कर सकते हैं।

गणधिप संकष्टी चतुर्थी 2023 व्रत के नियम

  • जो लोग गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख रहे हैं, उन्हें ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करना अनिवार्य है।
  • स्नान आदि के उपरांत स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
  • उसके बाद पूजा स्थल में जाकर व्रत का संकल्प लें।
  • इस दिन व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
  • तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें।
  • क्रोध पर काबू रखें और खुद पर संयम बनाए रखें।
  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी के मंत्रों के जाप के साथ श्री गणेश स्त्रोत का पाठ भी करें।
  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रोदय के पश्चात अर्घ्य देकर ही करें।
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