जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सोफीपुर शूटिंग रेंज के प्रतिबंधित ऐरिया में अवैध निर्माण चल रहे हैं। कॉलोनी तक विकसित की जा रही हैं, जहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता हैं। पहले भी खेतों में काम करने वाले किसानों के साथ घटनाएं घट चुकी हैं। इसके बावजूद प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध तरीके से निर्मित की जा रही बिल्डिंग के निर्माण को एमडीए रोक नहीं पा रहा है।
मंगलवार को अधिवक्ता अशोक चौहान कमिश्नर से मिले तथा प्राधिकरण में भी शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की। अधिवक्ता का आरोप है कि सोफीपुर शूटिंग रेंज आर्मी का क्षेत्र हैं। यहां पर लाल डोरे के दायरे में कॉलोनी या फिर कोई भी गतिविधियां नहीं चलाई जा सकती, लेकिन शीलकुंज से लावड़ रोड पर जाने वाले रास्ते में आम के बाग के ठीक सामने व्यापक स्तर पर अवैध कॉलोनी विकसित की जा रही है, जो लोगों की जान को जोखिम में डाल सकती है।
क्योंकि फायरिंग रेंज के दायरे में आवासीय व व्यवसायिक गतिविधियां संचालित नहीं की जा सकती है। यह अवैध कॉलोनी मदन और बालेश की बतायी गयी हैं, जिस पर कार्रवाई की मांग अधिवक्ता ने की हैं। इसकी शिकायत कमिश्नर सुरेन्द्र कुमार सिंह से व प्राधिकरण उपाध्यक्ष की गैर मौजूदगी में सचिव से की गई।
शिकायत यह भी की गई कि प्रतिबंधित क्षेत्र में ऊर्जा निगम के अफसरों ने कैसे बिजली का कनेक्शन दे दिया, इसकी भी जांच कराई जानी चाहिए। कॉलोनी अवैध हैं, फिर भी ट्रांसफार्मर व खंभे लगाकर बिजली की आपूर्ति चालू कर दी गई हैं। इसकी जांच कराने की मांग की हैं, जिसमें ऊर्जा निगम के अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है।
लाल डोरे के दायरे में बना दी दुकानें
लाल डोरे के दायरे में कोई जमीन नहीं खरीदता था, लेकिन वर्तमान में लाल डोरा भी हैं, फिर कैसे दुकानों का भी निर्माण किया जा रहा है। सोफीपुर रेंज यहां पास में हैं। एक पुरानी कॉलेज की बिल्डिंग खंडहर बन गई हैं, लेकिन उसमें कॉलेज संचालित करने की अनुमति नहीं मिली, क्योंकि लावड़ रोड का यह क्षेत्र लाल डोरे में आता हैं।
इसी वजह से एक भी निर्माण नहीं किया जा सकता, लेकिन लावड़ रोड पर 10 से 15 दुकानों का निर्माण कर दिया है। बिल्डर का दुस्साहस देखिये कि लोगों की जान को जोखिम में डाल रहे हैं। दुकान बनाकर व बेचकर चले जाएंगे, लेकिन इसके बाद समस्या का सामना करना पड़ेगा भोल-भाले लोगों को। उधर, एमडीए के जोनल अधिकारी धीरज सिंह का कहना है कि अवैध दुकानों पर कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि यहां पर कोई मानचित्र एमडीए से स्वीकृत ही नहीं हो सकता, फिर दुकानों का निर्माण कैसे कर दिया गया?