Friday, July 11, 2025
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अधूरे विकास के बलबूते कैसे जीता जाएगा चुनाव?

  • निकाय चुनाव सिर पर, आधे से ज्यादा वार्डों में नहीं हुए विकास कार्य

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: निकाय चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है, सभी पार्टियों के संभावित उम्मीदवार और कार्यकर्ता चुनावी तैयारी में जुट गए हैं, लेकिन वार्डों में विकास की हकीकत देखकर वह खुद ही परेशान हैं। विकास कार्य न के बरारब हुए हैं और वर्तमान पार्षदों के हालात भी खराब हैं कि वह खुद अपने ही वार्डों में कार्य नहीं करा पाएं तो वह जनता के सामने क्या मुंह लेकर जाएंगे।

यहां निगम पार्षदों के कार्यकाल की बात करें तो दिसंबर माह में पार्षदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। शहर में वर्तमान में 90 वार्ड हैं और संभावना हैं। आने वाले समय में वार्डों की संख्या 100 से ऊपर पहुंच सकती है। अब अगर वार्डों की संख्या बढ़ती है तो चुनाव और भी मुश्किल होंगे, लेकिन वर्तमान हालातों की बात करें तो वर्तमान में ही वर्तमान पार्षद खुद ही अपने क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे हैं।

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शहर में वार्ड-69, 33 समेत अनगिनत वार्ड ऐसे हैं। जहां उनके वार्डों में कार्य ही नहीं हुए हैं। विकास ने नाम पर जनता को छला जा रहा है। उधर, नगर निगम की सीमा का विस्तार करने की बात लगातार चलती आ रही है। अगर सीमा विस्तार हुआ तो चुनाव और भी दिलचस्प होगा, क्योंकि वार्डों की संख्या बढ़कर 100 से अधिक हो जाएगी और ऐसे में सभी पार्टियों को चुनाव के लिए कड़ी मेहनत करनी होगाी।

शहर में कहीं नहीं दिखाई दिया कार्य

शहर में सभी पार्टियों की ओर से चुनावी तैयारी शुरू कर दी गई है। बसपा हो या कांग्रेस हो सभी पार्टियों के संभावित उम्मीदवार जनता के पास जा रहे हैं, लेकिन हर बार की तरह वह अब भी विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं। विकास के नाम पर आखिर वोट मांगे भी क्यों न क्योंकि विकास तो हुआ ही नहीं है।

शहर के वार्ड-33 की बात कहें तो यहां पार्षद पति इदरिश ने बताया कि उनका वार्ड वर्तमान में नरक बन चुका है। उनके वार्ड में आधे से ज्यादा कार्य अधूरे हैं और कार्य के टेंडर अटके हैं, लेकिन उन्हें पास तक नहीं किया जाता। यहां उनके वार्ड में ही क्षेत्र का डंपिंग ग्राउंड है जहां कूड़े का पहाड़ बनता जा रहा है और आस पास क्षेत्र का पानी भी खराब हो चुका है। ऐसे में किस मुंह को लेकर जनता के पास जाया जाएगा।

सेक्टर-12 और 13 की भी यही कहानी

निगम पार्षद और कार्यकारिणी सदस्य अब्दुल गफ्फार ने बताया कि सेक्टर-12 और 13 को ही ले लीजिए यहां यह वार्ड शास्त्रीनगर क्षेत्र के पॉश एरियों में आता हैं, लेकिन यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं है ऐसे में किस मुंह से यहां लोग वोट मांगने आएंगे। यही हाल पूरे अन्य सेक्टरों व अन्य वार्डों का भी है। शहर के अधिकांश मुस्लिम क्षेत्रों की बात की जाए तो वहां स्थिति काफी बुरी है।

महीनों से बोर्ड बैठक नहीं हुई जिस कारण कार्य नहीं हुए और अब जल्द ही निकाय चुनाव सिर पर आ चुके हैं। ऐसे में अगर बोर्ड बैठक नहीं हुई तो एक दो कार्य तो बाकी बचे समय में होने होंगे वह भी नहीं हो पाएंगे। शहर में आधे से ज्यादा वार्डों में यही समस्याएं हैं। इन्हीं मामलों को वह कई बार उठा चुके हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

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