Monday, July 1, 2024
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ओटीटी के लिए काम करते हुए खुश हूं- फ्लोरा सैनी

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CINEWANI


1999 में साउथ फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिंग कैरियर की शुरुआत करने के बाद फ्लोरा सैनी को तेलुगु फिल्म नरसिम्हा नायडू (2002) में पहली कामयाबी मिली। बॉक्स ऑफिस पर अत्यंत सफल साबित हुई इस फिल्म में उन्होंने संध्या नाम की लड़की का लीड रोल निभाया था। बॉलीवुड में फ्लोरा सैनी की पहली फिल्म इमरान खालिद द्वारा निर्देशित ‘सबसे बड़ा बेईमान’ (2000) थी।

उसके बाद वो उसी साल रिलीज ‘ग्रीन सिग्नल’ में नजर आई। टीपी अग्रवाल द्वारा निर्मित ‘भारत भाग्य विधाता’ (2002) में बॉलीवुड दर्शकों के बीच पहली बार फ्लोरा सैनी को पहचान मिली। उसके बाद उन्होंने ‘लव इन नेपाल’ (2004) की। सलमान खान स्टॉरर ‘दबंग 2’ (2012) में उनका एक कैमियो था। ‘दबंग 2’ के बाद सैनी ‘या रब’ (2014) ‘लक्ष्मी’ (2014) ‘एम एस जी द मैसेंजर’ (2015) ‘धनक’ (2015) ‘गुड्डू की गन’ (2015) ‘दो लफ्जों की कहानी’ (2016) ‘बेगम जान’ (2017) ‘स़्त्री’ (2018) ‘फ्रॉड सैंया’ (2019) ‘बहुत हुआ सामान’ (2020) ‘दरबान’ (2021) ‘12 ओ क्लॉक’ (2021) और ‘चड्डी’ (2021) जैसी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं।

मार्च 2008 में फ्लोरा सैनी को जाली वीजा दस्तावेज रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और तमिल फिल्म उद्योग में प्रतिबंधित कर दिया गया। ऐसे में सिर्फ बॉलीवुड की फिल्मों से उनके कैरियर की गाड़ी आगे बढती रही। 2016 में ओटीटी ने कई कलाकारों के लिए सफलता के नए द्वारा खोलें दिए। मौके का फायदा उठाते हुए सैनी ने ‘मेड इन इंडिया’, ‘गंदी बात’, ‘मायानगरी: सिटी ऑफ ड्रीम्स’ और ‘आर्या’ जैसी कई वेब सिरीज में काम करते हुए भरपूर कामयाबी का स्वाद चखा।

प्रस्तुत हैं फ्लोरा सैनी के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश:

फिल्मों में आपका कैरियर लगभग खत्म मान लिया गया था लेकिन ओटीटी ने आपके मृतप्राय: कैरियर में नए सिरे से जान फूंकदी?

मैं भाग्यशाली रही कि ओटीटी ने मेरे लिए नए दरवाजे खोल दिए हैं। पुरुष प्रधान इंडस्ट्री में यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि ओटीटी ने महिला किरदारों को एक अलग ही तरीके से आगे बढाया है। इसके पहले महिलाओं के लिए यहां बहुत अधिक भूमिकाएं नहीं लिखी जाती थीं।

क्या आपको यकीन था कि एक दिन आप इस तरह वापसी कर सकेंगी?

मुझे पक्का विश्वास था कि जब अच्छा वक्त नहीं रहा तो बुरा वक्त भी नहीं रहेगा लेकिन मुझे लगता था कि इसके लिए मुझे अपनी पूरी क्षमता के साथ आना होगा। मैं भाग्यशाली रही कि मेरी कोशिशें कामयाब हुई और पहले की तरह एक बार फिर मेरा अच्छा वक्त लौट आया।

फिलहाल आपका अच्छा वक्त चल रहा है। क्या फिर से बुरे वक्त का सामना करने के लिए तैयार हैं?

बिल्कुल, इसी का नाम तो जिंदगी है। और फिर हम तो उस ग्लैमर इंडस्ट्री में अपनी रोजी रोटी की तलाश कर रहे हैं जिसमें कुछ भी निश्चित नहीं है।

क्या फिर से मुख्य धारा की फिल्मों में लौटने की इच्छा है?

यदि आप कुछ भी पाना चाहते हैं, तो उसके लिए आपके अंदर उन चुनौतियों को स्वीकार करने और प्रतिस्पर्धा से टकराने की हिम्मत होनी चाहिए और मुझे लगता है कि यह दोनों खूबियां मेरे अंदर मौजूद हैं। वैसे फिलहाल मैं ओटीटी के लिए काम करते हुए बेहद खुश हूं।

दूसरी एक्ट्रेसों की तरह आप कभी भी अपने किरदारों के साथ नए एक्सपेरीमेंट करते हुए नजर नहीं आर्इं। लगता है कि आपको एक सधी सधाई इमेज के साथ निश्चित फ्रेम में काम करना ज्यादा पसंद है?

यह कहना एकदम गलत होगा कि मैंने कभी भी अपने किरदारों के साथ कुछ नया करने की कोशिश नहीं की। मैं हर तरह के किरदार निभाना चाहती हूं और निभा भी सकती हूं। मैं उन लोगों को धन्यवाद देती हूं, जिन्हैं लगता है कि मैं कोई भी रोल कर सकती हूं लेकिन कई बार ऐसा भी होता है जब आपको सिर्फ वही करना होता है जो कमर्शियली सही होता है।

                                                                                                               सुभाष शिरढोनकर


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