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संगरूर से सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने मातृभाषा पंजाबी में ली शपथ
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अन्नदाताओं और जवानों के लिए लगाया इंकलाब जिंदाबाद, जय जवान जय किसान का नारा
जनवाणी ब्यूरो |
चंडीगढ़/नई दिल्ली: कुछ शख्स अलहदा होते हैं जो अपनी मौजूदगी, अपनी जुदा शैली से एक नया संदेश दे जाते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा संसद में मंगलवार को देखने को मिला था, जब पंजाब के संगरुर से लोकसभा सीट जीतकर आए युवा सांसद गुरमीत सिंह मीत हेयर ने शपथ लेने के बाद इंकलाब जिंदाबाद, जय जवान जय किसान का नारा भी बुलंद किया। इस स्लोगन से मीत हेयर ने सियासी गलियारों में अपनी जुदा छाप छोड़ी है और उन्हें काफी वाहवाही मिली है।
बेहद कम समय में पंजाब की राजनीति में अपने वजूद की छाप छोड़ने वाले गुरमीत सिंह मीत हेयर ने संसद में अपनी मातृभाषा पंजाबी में शपथ ग्रहण की और इसके बाद उन्होंने देश की आन बान शान के प्रतीक जवानों और अन्नदाता यानि किसानों की भावनाओं को सर्वोपरि रखते हुए जय जवान, जय किसान का नारा बुलंद करके अपनी सामाजिक और भावनात्मक सोच का भी इजहार कर दिया।
शपथ ग्रहण समारोह में इस कम उम्र में बतौर सांसद शपथ लेते हुए देखना, संसद भवन में मौजूद उनके परिजनों और पंजाब के सीएम भगवंत मान के लिए गर्वीले पलों को जीने जैसा था। मीत गॉडविन ग्रुप के बाजवा परिवार के दामाद हैं और उनका विवाह गॉडविन ग्रुप के निदेशक भूपेंद्र सिंह बाजवा की बेटी डॉ. गुरवीन कौर से हुआ है, गुरवीन पेशे से रेडियोलाजिस्ट हैं।
गुरमीत मीत हेयर पंजाब में संगरूर सीट से रिकार्ड मतों से जीत कर संसद पहुंचे हैं। 13 लोकसभा सीटों में आम आदमी पार्टी को तीन सीटें मिली हैं। इनमें से मीत ने संगरूर सीट पर विजय पताका फहराई और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी सुखपाल सिंह खैरा को 172650 वोटों से मात दी।
गुरमीत के नाम एक और उपलब्धि दर्ज है, उन्होंने बरनाला विधानसभा सीट दो बार जीती है। उन्होंने पहली बार 2017 में चुनावी महासमर में उतरने की ठानी और कांग्रेस के केवल सिंह ढिल्लो को हरा कर दिखाया कि वह सियासी समर में लंबी पारी खेलने की कूवत रखते हैं।
मीत ने यह शानदार सिलसिला 2022 में भी दोहराया तथा बरनाला क्षेत्र के 50 फीसदी वोट हासिल करके जीत दर्ज की। इसके बाद उन्होंने पार्टी के भरोसे पर खरा उतरते हुए संगरूर लोकसभा सीट के लिए किस्मत आजमाई तथा खैरा को हरा कर उन्होंने पंजाब के सीएम भंगवत मान की उम्मीदों पर खरा उतरने में सफलता हासिल की।
मीत का एक और रिकार्ड इस जीत के साथ जुड़ा है कि वह 1999 के बाद पहले प्रत्याशी हैं, जिन्होंने राज्य में अपनी पार्टी की सरकार होते हुए लोकसभा हलके संगरूर में जीत हासिल की है। इससे पहले सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ नतीजे आते रहे थे लेकिन, गुरमीत मीत की सौम्य छवि और आम आदमी से जुड़ाव की शैली ने इस युवा राजनीतिज्ञ की राह प्रशस्त कर दी। क्षेत्र में मीत नाम से मशहूर गुरमीत गॉडविन ग्रुप के बाजवा परिवार के दामाद हैं।
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