Saturday, July 6, 2024
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सभी पापों से मुक्ति दिलाता जया एकादशी व्रत

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11 41इस व्रत का पालन पूरे विधि-विधान से करने से माता लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु की कृपा बरसती है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना की जाती है। पद्म पुराण में निहित है कि जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों और अधम योनि से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सभी भौतिक और अध्यातमिक सुखों की प्राप्ति होती है। एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठतम दर्जा दिया गया है। चाहे वह कोई भी एकादशी हो, हर एक एकदाशी का अपना एक अलग महत्व होता है। इसी कड़ी में माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी व्रत के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पूजा को पूरे विधान और वैदिक रिवाजों से करने पर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है और दुखों से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जया एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु का स्मरण करने से पिशाच योनि का भय नहीं रहता है।

जया एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में नंदन वन में एक उत्सव का आयोजन किया गया था, जहां सभी देवतागणों के साथ ऋषि-मुनि भी पधारे थे। इस उत्सव में माल्यावान नाम का एक गंधर्व गायक और पुष्यवती नाम की एक नृत्यांगना नृत्य कर रही थी। पुष्यवती माल्यावान के रूप पर मोहित होकर उसे रिझाने का प्रयास करने लगी। जिसका प्रभाव माल्यावान पर पड़ा, तो वह भी पुष्यवती की ओर आकर्षित हो गया और सुरताल भूल गया। उसका संगीत लयविहीन होने से उत्सव का रंग फीका पड़ने लगा, जिससे देवराज इंद्र क्रोधित हो उठे और उन्होंने दोनों को पृथ्वी लोक पर भेज दिया।
मृत्यु लोक में हिमालय के जंगल में वह दोनों पिशाचों का जीवन व्यतीत करने लगे। उन्हें अपने किए पर पछतावा भी था, और इस पिशाची जीवन से दुखी भी दे।

संयोगवश एक बार माघ शुक्ल की जया एकादशी को दोनों ने भोजन नहीं किया, केवल कंद मूल का सेवन किया। उन्होंने एक पीपल के पेड़ के नीचे रात गुजारी और अपनी गलती का पश्चताप करते हुए आगे गलती न दोहराना का प्रण लिया। इसके बाद सुबह होते ही उन्हें पिशाची जीवन से मुक्ति मिल गई। उन्हें इस बात का आभास ही नहीं था कि उस दिन जया एकादशी थी और अंजाने में उन्होंने जया एकादशी का व्रत कर लिया। यही वजह है कि भगवान विष्णु की कृपा उन पर हुई और वे दोनों पिशाच योनी से मुक्त हो गए। माल्यवान और पुष्यवती के स्वर्ग में आते देखा, तो आश्चर्यचकित होकर पूछा, तो उन्होंने दोनों से श्राप से मुक्ति के बारे में पूछा। इसके बाद उन्होंने जया एकादशी के व्रत के प्रभाव के बारे में संपूर्ण रूप से बताया। तभी से ऐसा माना जाता है कि जया एकादशी का व्रत करने से लोगों को पापों से मक्ति मिलती है।

माहात्म्य

पौराणिक कथाओं के अनुसार जया एकादशी के दिन पवित्र मन में किसी प्रकार की द्वेष भावना को नहीं लाना चाहिए और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। मन में द्वेष, छल-कपट, काम और वासना की भावना नहीं लानी चाहिए। इसके अलावा नारायण स्तोत्र एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना बेहद लाभकारी साबित होगा। इस व्रत का पालन पूरे विधि-विधान से करने से माता लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु की कृपा बरसती है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा-उपासना की जाती है। पद्म पुराण में निहित है कि जया एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों और अधम योनि से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सभी भौतिक और अध्यातमिक सुखों की प्राप्ति होती है।

जया एकादशी व्रत विधि

-एकादशी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
-व्रत का संकल्प लें और फिर विष्णु जी की पूजा करें।
-भगवान विष्ण़ु को पीले फूल अर्पित करें।
-इस दिन भगवान विष्णु के सामने घी में हल्दी मिलाकर दीपक करें।
-दूध और केसर से बनी मिठाई का भोग लगाएं
-एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं
-भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांट दें।

इस दिन बन रहा है खास योग

इस साल जया एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस दिन व्रत रखने से आपको दोगुना फल की प्राप्ति हो सकती है। यह योग सुबह 07:10 मिनट से लेकर अगले दिन दिनांक 02 फरवरी 2023 को दोपहर 03:23 मिनट तक रहेगा। यह योग बेहद शुभकारी माना जा रहा है क्योंकि इस योग में सभी काम सफलतापूर्वक पुरे हो जाते हैं। जया एकादशी के दिन इंद्र योग भी बन रहा है। यह योग सुबह से लेकर 11:30 मिनट तक रहेगा। इस योग में भगवान विष्णु को खीर का प्रसाद जरूर चढ़ाएं।

कब है जया एकादशी का पारण

जया एकादशी का व्रत रखने वालोंं को पारण का पालन करना बेहद जरूरी है। इस बार पारण 02 फरवरी को रखना है, जोकि सिर्फ 2 घंटे का ही है।


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