जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज (KUFOS) के कुलपति डॉ रिजी जॉन की नियुक्ति रद्द कर दी है। इसके साथ, नियुक्ति की तिथि से अवधि शून्य होगी। उच्च न्यायालय ने आदेश पर रोक लगाने की सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट ने चांसलर को एक नई सर्च कमेटी बनाने का भी निर्देश दिया और यह स्पष्ट किया कि वीसी की नियुक्ति को यूजीसी के नियमों का पालन करना चाहिए। यह फैसला डॉ केके विजयन और डॉ सदाशिवन की याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की खंडपीठ की तरफ से आया है।
केरल के राज्यपाल की बड़ी जीत
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के विपरीत सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के मद्देनजर राज्य के नौ विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर से 24 अक्तूबर तक इस्तीफा देने को कहा था जिसके बाद से सियासत तेज हो गई थी।
विजयन ने इस मामले को लेकर राज्यपाल पर बड़ा हमला बोला था और कहा था कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्यपाल का कदम लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार और अकादमिक रूप से स्वतंत्र माने जाने वाले विश्वविद्यालयों की शक्तियों का अतिक्रमण है।
राज्यपाल ने इन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफा देने के लिए कहा था
राज्यपाल ने जिन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफा देने के लिए कहा था उनमें केरल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ वी.पी. महादेवन पिल्लई, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ साबू थॉमस, कोचीन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीयूएसएटी) कुलपति डॉ के.एन. मधुसूदन, मत्स्यपालन एवं समुद्र विज्ञान अध्ययन (केयूएफओएस) विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ के. रिजी जॉन, कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गोपीनाथ रवींद्रन।
एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ एम.एस. राजश्री, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एम.वी. नारायणन, कालीकट विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एम.के. जयराज, थुंचथेझुथाचन मलयालम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ वी. अनिल कुमार शामिल हैं।