नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का दिन बहुत खास माना गया है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए यह पर्व मनाया जाता है। वहीं, साल 2025 में यह त्योहार 26 फरवरी को मनाया जाएगा। शिवभक्त भी इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन, इस का पौराणिक महत्व के साथ साथ उसका वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में…
महाशिवरात्रि बहुत विशेष
कहा गया है कि, महाशिवरात्रि का रात्रि बहुत विशेष होती है. वैज्ञानिक रुप से महाशिवरात्रि का दिन अतिमहत्वपूर्ण है। भगवान शिव को वैज्ञानिक कहा गया है. शिव जी समस्त प्रकार के तंत्र, मंत्र, यंत्र ज्योतिष ग्रह के जनक भगवान शिव ही हैं!
इस दिन के पीछ वैज्ञानिक महत्व?
वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो यह रात्रि बहुत विशेष होता है. इस रात्रि पृथ्वी का उत्री गोलार्द्ध इस तकह अवस्थित होता है कि व्यक्ति के अंदर की ऊर्जा अपने प्राकृतिक तौर पर ऊपर की तरफ जाने लगती है।
शिवलिंग पूरे ब्रह्माण्डीय शक्ति को है सोखता
शिवलिंग ऊर्जा का एक पिंड है, जो गोल, लंबा और वृत्ताकार का होता है. शिवलिंग पूरे ब्रह्माण्डीय शक्ति को सोखता है. इस दिन रात में अभिषेक किया जाता है जिस कारण इसका उत्सव पूरी रात मनाया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा अवसर मिले।