नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिंदू धर्म में हर माह व्रत त्योहार होते हैं। वहीं, आज भाद्रपद माह का आखिरी बुध प्रदोष व्रत है। माना जाता है कि, प्रदोष व्रत को करने से शिवजी की विशेष कृपा बनी रहती है। साथ ही भोलनाथ इस व्रत को करने वाले सभी भक्तजनों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
दरअसल, प्रदोष व्रत हर माह में दो होते हैं। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। यह व्रत प्रदोष काल में किया जाता है। जिसमें माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। यह व्रत आज यानि 27 सितंबर को पड़ा है। हम आपको बताएंगे इस व्रत के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में…
व्रत तिथि
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 27 सितंबर 2023 को प्रात: 01 बजकर 45 मिनट पर हो रही है। इसका समापन 27 सितंबर को ही रात 10 बजकर 18 मिनट पर होगा।
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
इस दिन शिव पूजा के लिए उत्तम समय 27 सितंबर को शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजकर 36 मिनट तक है।
बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद शिव जी को याद करके व्रत एवं पूजा का संकल्प लें। फिर शाम के शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा करें।
पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं। उसके बाद सफेद चंदन का लेप लगाएं। महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, भस्म, शक्कर आदि अर्पित करें। इस दौरान ”ओम नमः शिवाय” मंत्र का उच्चारण करते रहें।
शिव चालीसा का पाठ करें
इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और बुध प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। फिर घी का दीपक जलाएं और शिव जी की आरती करें। इसके बाद पूजा का समापन क्षमा प्रार्थना से करते हुए शिवजी के सामने अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें। इसके अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद फिर से शिव जी की पूजा करें। फिर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।