- कमिश्नर ने दिये जांच के आदेश, टीम की गई गठित
- संपत्ति की खरीद फरोख्त में चल रहा महाखेल
- लखनऊ खंडपीठ के आदेशों की जा रही अवमानना
- भू-माफियाओं को चिह्नित कर की जाएगी कार्रवाई
- चर्च की संपत्तियों की खरीद मामले आ चुके हैं सामने
- गांधी आश्रम की संपत्ति का मामला सुर्खियों में
- वक्फ की संपत्ति पर भू-माफियाओं की गिद्ध दृष्टि
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मिशनरी संपत्तियों को सेटिंग से खरीदा जा रहा हैं। इसमें कुटरचित दस्तावेज प्रयोग में लाये जा रहे हैं। अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की चर्च एवं कब्रिस्तान की प्रमुख स्थलों की बेशकीमती सम्पत्तियों को फर्जी तरीके से स्वामित्वाधिकार के आधर पर भू-माफियाओं से सांठबांध कर अवैध खरीद-फरोख्त के मामले सामने आये हैं।
लखनऊ खंडपीठ के आदेशों की अवमानना की जा रही हैं। सम्पत्तियों पर कब्जे करने के मामले में कमिश्नरी को शिकायत की थी, जिसके बाद कमिश्नर ने इसकी जांच के लिए टीम गठित कर दी हैं। इसमें भू-माफियाओं को चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी स्वामित्वीय अधिकार के द्वारा सक्रिय भू-माफिया से मिलीभगत करके ट्रांसफर डीड अनाधिकृत लीज एवं कब्जा हस्तांतरण के अनुबंध पत्रों से क्रिय विक्रय किया जाता हैं, जबकि चर्च की सम्पत्तियों की खरीद-बेच पर प्रभावी रोक लगाई हुई हैं। मेरठ में चर्च की सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त के कई मामले सामने आ चुके हैं।
मिशन कंपाउंड के खसरा संख्या 321 पर निर्मित भवन एवं व्यवसायिक सम्पत्ति को रमन गुप्ता एवं नीरू गुप्ता द्वारा फर्जी लीज धारक के क्रय कर वर्ष 2007 में बैनामा कराया लिया गया तथा उक्त विवादित सम्पत्ति की तथाकथित चर्चित एवं माफियाओं ने जमीन को खरीदकर व्यवसायिक काम्पलेक्स का निर्माण करने की योजना बनाई जा रही हैं।
छीपी टैंक, मिशन कंपाउंड सेंट थामस इंटर कॉलेज के सामने एवं सिटी सेंटर के निटक 665 वर्ग मीटर के बहुउद्देशीय भूखंड की 17.07 वर्ष 2014 को कूट रचित दस्तावेजों से फर्जी लीज धारक द्वारा कई करोड़ रुपये मूल्य लेकर नियम विरुद्ध लीज हस्तांतिरित कर दी गई।
कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम दीपक मीणा को एक पत्र लिखा हैं, जिसमें एलके खुराना द्वारा की गई शिकायत का संज्ञान लेने के लिए कहा गया हैं। कहा है कि मिशन कंपाउंड बच्चा पार्क और छिपी टैंक, साकेत आदि स्थानों पर प्रमुख स्थलों पर ईसाई समुदाय के चर्च, मिशनरी की सम्पत्तियों का भू-माफियाओं से मिलकर फर्जी अभिलेख, ट्रांसफर लीज डीड आदि के माध्यम से अवैध खरीद-फरोख्त किये जाने की शिकायत मिली हैं।
शिकायतों की जांच के आधार पर जांच टीम गठित कर नियमानुसार भू-माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं। कमिश्नर के आदेश पर डीएम ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी हैं, जो अवैध तरीके से सम्पत्ति की लीज डीड तैयार कर जमीन पर कब्जा करने के मामलों की जांच करेगी। जांच रिपोर्ट आने के बाद इसमें भू-माफयाओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मिशनरी ही नहीं, गांधी आश्रम में भी चल रहा यहीं खेल
मिशनरी की सम्पत्तियों में तो अवैध तरीके से लीज डीड तैयार करने का रैकेट काम कर ही रहा हैं, साथ ही गांधी आश्रम में भी लीज तैयार कर करोड़ों की सम्पत्ति बेची जा रही हैं। पिछले दो वर्ष से गांधी आश्रम की सम्पत्ति को बेचने व लीज डीड करने का मामला सुर्खियों में बना हुआ हैं, लेकिन इसमें भी प्रशासनिक स्तर से कोई कार्रवाई भू-माफियाओं के खिलाफ नहीं की गई।
कौन-कौन लोग हैं, जो इस तरह से रैकेट तैयार कर जमीन को हड़पने का काम शहर में कर रहे हैं। ऐसे लोगों को भू-माफियाओं की श्रेणी में चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। लखनऊ में अवश्य ही आयोग की तरफ से रिपोर्ट दर्ज करायी गयी हैं, लेकिन गांधी आश्रम की करोड़ों की जमीन को लेकर प्रशासन कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं?
प्रशासन ने पत्र व्यवहार तो किये, लेकिन कार्रवाई करने से पीछे क्यों हटा? यह किसी के भी समझ में नहीं आ रहा हैं। क्योंकि गांधी आश्रम की जमीन का पूर्ण अधिकार डीएम को होता हैं, यह बॉयलॉज में भी लिखा हैं, जब डीएम एनओसी देंगे, तभी जमीन बिक सकती हैं, लेकिन यहां तो बिना डीएम की अनुमति के ही गांधी आश्रम की जमीन बेचने का खेल चल रहा हैं।
वक्फ की सम्पत्ति, फिर माफिया काबिज क्यों?
कंकरखेड़ा स्थित ड्रीम सिटी से सटकर वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति हैं। 17 बीघा इस जमीन की कीमत 70 करोड़ रुपये बताई गयी हैं, जो आॅन रोड हैं। इस जमीन पर तीन दशक से कब्जे के प्रयास होते रहे हैं। क्योंकि कीमती जमीन हैं, लेकिन मामला वक्फ का होने के कारण जमीन पर कब्जा नहीं होता हैं।
यदि यह जमीन विवादित नहीं है तो फिर इसमें पहले एफआईआर दर्ज क्यों कराई गयी थी? तब भी जमीन यही थी और अब भी जमीन यही हैं। इस जमीन को लेकर कुछ लोग कब्जा करने का निरंतर प्रयत्न कर रहे हैं। इस जमीन पर कब्जा करने के लिए कुछ सत्ताधारी लोग भी आ गए हैं, लेकिन वे पर्दे के पीछे हैं। सामने एक मुस्लिम व्यक्ति को करके जमीन को कब्जाने का प्रयास किया जा रहा हैं।
कावड़ यात्रा के दौरान ही इस जमीन पर कब्जा चालू कर दिया गया। मिट्टी डालकर रोड बनाने की कोशिश की गई। नींव भरने का काम भी शुरू कर दिया गया था। यहां प्लाटिंग काटकर कॉलोनी विकसित की जाएगी। इसकी शिकायत भी हुई, जिसके बाद तहसील और एमडीए की टीम भी मौके पर पहुंची। एमडीए की टीम ने मानचित्र स्वीकृत नहीं होने पर काम रुकवा दिया। तहसील की टीम ने मामला वक्फ बोर्ड का होने के कारण वक्फ बोर्ड से रिपोर्ट मांगी हैं।