Friday, July 5, 2024
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पुराने तो छोड़िए जनाब! नए पर लगाएं रोक

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  • ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में अवैध निर्माणों की बाढ़,जिम्मेदार कौन?

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेरठ एनसीआर का हिस्सा हैं। एनजीटी के आदेश है कि ग्रीन बेल्ट को कब्जा मुक्त किया जाए, लेकिन ग्रीन बेल्ट कब्जा मुक्त क्यों नहीं हो रही हैं? कहीं न कहीं ग्रीन बेल्ट में किये जा रहे अवैध निर्माणों को एमडीए इंजीनियरों का संरक्षण प्राप्त हैं। प्रत्येक तीन माह या फिर छह माह के बाद इंजीनियर को बदल दिया जाता हैं। वर्तमान में तैनात इंजीनियर ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण की जिम्मेदारी पिछले इंजीनियर पर थोप देते हैं।

इस तरह से इंजीनियरों का भी कोई कार्रवाई आला अफसर नहीं करते और अवैध निर्माण भी बनकर तैयार हो जाते हैं। ‘जनवाणी’ टीम ने परतापुर से लेकर बागपत बाइपास तक ग्राउंड स्तर पर ग्रीन बेल्ट पर अवैध निर्माणों की पड़ताल की। धरातल पर अवैध निर्माण की बाढ़ हैं। पुराने तो निर्माण है ही, साथ ही नये निर्माण भी वर्तमान में चल रहे हैं। इनको भी नहीं रोका जा रहा हैं।

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ऐसा तब है जब कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह और प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी ने सख्ती कर रखी हैं। ध्वस्तीकरण के अभियान भी चला रखे हैं, फिर भी अवैध निर्माण चल रहे हैं, इसमें इंजीनियरों पर बड़ी कार्रवाई हो सकती हैं। इससे भी इंजीनियर नहीं घबरा रहे हैं। आखिर इसी वजह से अवैध निर्माण ग्रीन बेल्ट में नहीं रुक पा रहे हैं, जिसके चलते अवैध निर्माण भी ऐसे कि होटल और रेस्टोरेंट तक बन गए हैं।

एनएच-58 पर तमाम ऐसे निर्माण पूरे हो गए हैं, जो व्यवसायिक हैं। इनसे एमडीए को बड़ा राजस्व मिल सकता था, लेकिन निर्माण ग्रीन बेल्ट में होने के कारण यहां पर एक भी निर्माण नहीं कराया जा सकता, फिर भी अवैध निर्माण कराये जा रहे हैं। परतापुर से ओवर ब्रिज से आगे बढ़ती है बायी साइड में अवैध निर्माणों की बाढ़ आई हुई हैं।

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निर्माणों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। आखिर इसमें इंजीनियर किस दबाव में काम कर रहे हैं? यह बड़ा सवाल हैं। कमिश्नर और प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करें, चाहे जितना बड़ा आदमी क्यों न हो। रेस्टोरेंट, होटल अन्य व्यवसायिक निर्माण किये जा रहे हैं।

वैवाहिक मंडप भी बनकर तैयार हो गए हैं। आखिर इनके निर्माण की अनुमति किसने दी? जब अवैध निर्माण को लेकर सख्ती है, फिर निर्माण कैसे होने दिये जा रहे हैं। ब्रावरा होटल के ठीक सामने नया होटल बनकर तैयार हो गया हैं। यह निर्माण पिछले छह माह के भीतर किया गया है। वर्तमान में इसमें फिनिशिंग चल रही हैं। ध्वस्तीकरण नहीं हुआ तो कुछ दिनों बाद रेस्टोंरेंट चालू भी कर दिया जाएगा।

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यहां भी भीड़ लगने लगेगी, जिसके बाद एमडीए के इंजीनियर हाथ खड़े कर देते हैं। इस होटल और जैन शिकंजी के निर्माण के ध्वस्तीकरण के आॅन रिकॉर्ड आदेश हो चुके हैं, फिर इनको क्यों नहीं गिराया जा रहा हैं? आखिर इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? क्या कार्रवाई नहीं करने वाले इंजीनियरों पर एमडीए उपाध्यक्ष या फिर कमिश्नर कोई कार्रवाई कर पाएंगे।

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तमाम अवैध निर्माण ऐसे है, जो इंजीनियरों के कार्यकाल मे हुए हैं, फिर वर्तमान में उन पर बुलडोजर चलाने की खानापूर्ति की जा रही हैं। यह दिखावा ही क्यों किया जा रहा है, जब पहले निर्माण आरंभ हुआ, तभी कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पहले कार्रवाई की गई होती तो वर्तमान में ध्वस्तीकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती।

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महत्वपूर्ण बात यह है कि ग्रीन बेल्ट में कार्रवाई के आदेश एनजीटी के है। डा. अजय ने एनजीटी में याचिका दायर की है। अजय ने कह भी दिया है कि ग्रीन बेल्ट को अवैध निर्माणों से खाली नहीं कराया गया है। फिर भी एमडीए कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा हैं, यह बड़ा सवाल है।

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