Friday, May 16, 2025
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‘ग्रामीण विकास में जैविक कृषि और आत्मनिर्भर भारत’ की महत्ता पर व्याख्यान

जनवाणी ब्यूरो |

रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने ग्रामीण विकास में जैविक खेती की महत्ता पर इंस्टीट्यूट लेक्चर आयोजित किया। ‘ग्रामीण विकास और आत्म-निर्भर भारत में जैविक खेती का योगदान’ विषय पर इस पहल को रीजनल कार्डिनेटिंग इंस्टीट्यूट, उन्नत भारत अभियान और आईआईटी रुड़की द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।

इस इवेंट का मकसद समग्र सामुदायिक विकास सुनिश्चित करने और ग्रामीण भारत के विकास की राह मजबूत बनाने में जैविक खेती के योगदान पर विचार साझा करना और छात्रों को कृषि संबंधित चुनौतियों से अवगत कराना था।

आईआईटी रुड़की में आरसीआई-यूबीए के समन्वयक प्रो. आशीष पांडे ने वेबिनार का शुभारंभ किया, जिसमें प्रतिष्ठित भारतीय किसान, शिक्षक, प्रशिक्षक भारत भूषण त्यागी ने जैविक कृषि पर अपने विचार पेश किए।

आईआईटी रुड़की के उपनिदेशक प्रो. एम परीदा ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रामीण विकास में सक्रिय भागीदारी के लिए हमारी प्रेरणा को भारत भूषण त्यागी के अनुभव से ताकत मिलेगी।

श्री त्यागी द्वारा चलाई गई पहलों ने ग्रामीण इलाकों में जैविक खेती की लोकप्रियता बढ़ाने में अहम योगदान दिया है और यूबीए संस्थानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण होगा।

भारत भूषण त्यागी ने कहा, ‘कृषि ग्रामीण भारत का आधार है और यह क्षेत्र देश में सबसे बड़ा नियोक्ता है। कृषि आधार को मजबूत बनाने से खाद्य सुरक्षा सुनिष्चित करने, रोजगार पैदा करने, सहायक औद्योगिक विकास को सुगम बनाने और राष्ट्रीय आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

भारतीय युवाओं को कृषि और इससे संबद्ध क्षेत्रों में रोजगार के लिए आगे आना चाहिए क्योंकि यह क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान दे सकता है।’

त्यागी ने याद करते हुए कहा कि उनकी यात्रा कई चुनौतियों से जुड़ी रही, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और सफलता की राह पर पूरे समर्पण के साथ लगातार बढ़ते रहे।

त्यागी नेशनल सेंटर आफ आर्गेनिक फार्मिंग, इंटरनेशनल कम्पेटेंस सेंटर फाॅर आर्गेनिक एग्रीकल्चर (आईसीसीओए), कृषि मंत्रालय (भारत), एएफसी, और नेशनल बैंक फाॅर एग्रीकल्चर ऐंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) जैसे सरकारी संगठनों के साथ काम कर चुके हैं। उन्हें प्रख्यात जी बी पंत यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाजी, पंतनगर, उत्तराखंड द्वारा डाक्टर आफ साइंस की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह भारत में पहला कृषि विष्वविद्यालय है।

आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, ‘भारत भूषण त्यागी जैविक खेती की दिशा में भारत के प्रयासों के ध्वजवाहक हैं।

अपनी सफलता के साथ उन्होंने यह दिखा दिया है कि जैविक खेती लोगों का आंदोलन बन सकती है। कृषि के लिए अपने योगदान के लिए कई सम्मान पाने वाले त्यागी आज की पीढ़ी के रोल माॅडल हैं। उनकी उपलब्धियों में युवा वर्ग को पेषे के तौर पर कृषि का चयन करने के लिए प्रेरित करने की क्षमता है।’

उत्तर प्रदेश के बुलंदषहर निवासी भारत भूषण त्यागी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथमेटिक्स, फिजीकल और केमिस्ट्री में बी एससी की। वह कार्य करना चाहते थे, लेकिन उनके पिता इसके लिए तैयार नहीं थे, इसलिए वह अपने गांव लौट गए थे, जो भारती कृषि केबदलाव की दिशा में उनके लिए एक सुनहरा अवसिर साबित हुआ।

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