नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज हम बताने जा रहे है। महात्मा जातिराव गोविंदराव फुले के बारे में…
महात्मा जोतिराव गोविंदराव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था। गोविंदराव फुले एक भारतीय समाजसुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें महात्मा फुले एवं ”जोतिबा फुले के नाम से भी जाना जाता है।
सितम्बर 1873 में जोतिबा फुले ने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व पिछडे और अछूतो के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे।
मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार
फुले मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा है। फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे। अपना सम्पूर्ण जीवन उन्होंने स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया।
दरअसल, 19वी सदी में स्त्रियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी। फुले महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने कन्याओं के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थीं।
स्त्रियों की तत्कालीन दयनीय स्थिति से फुले बहुत व्याकुल और दुखी होते थे इसीलिए उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाकर ही रहेंगे। उन्होंने अपनी धर्मपत्नी सावित्रीबाई फुले को स्वयं शिक्षा प्रदान की। सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला अध्यापिका थीं।
जोतिराव गोविंदराव फुले के शुद्ध् विचार…
अच्छे काम करने के लिए कभी भी गलत उपायों का सहारा नहीं लेना चाहिए।
स्वार्थ अलग-अलग रूप धारण करता है, कभी जाति का तो कभी धर्म का।
आपके संघर्ष में शामिल होने वालों से उनकी जाति मत पूछिए।
ब्राह्मणों ने दलितों के साथ जो किया वो कोई कोई मामूली अन्याय नहीं है, इसके लिए उन्हें ईश्वर को जवाब देना होगा।
अगर कोई आपकी किसी भी तरह से सहायता करता है तो उससे मुंह मत मोड़िए।