Friday, July 5, 2024
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ममता के एक तीर से दो निशाने

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Capturefdgbdfgdfdइस बात में कोई दो राय नहीं कि तकरीबन 28 दलों की एकता से खड़े हुए इंडिया अलायंस पर कांग्रेस लगभग कब्जा कर चुकी है। अलायंस के महत्वपूर्ण फैसलों में कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां तक कि हालिया लोकसभा के स्पीकर चुनाव में खुद का कैंडिडेट उतारकर पार्टी अपने सहयोगियों को संदेश दे चुकी है कि उसके फैसले ही इंडिया गठबंधन के फैसले हैं। ऐसा नहीं कि कांग्रेस की ‘दादागिरी’ का विरोध किसी ने किया नहीं है। नीतीश कुमार इसी पार्टी की गठबंधन को हथियाने वाली नीति को जिम्मेदार बताकर इंडिया को छोड़ चुके हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी भली-भांति समझ रही हैं कि गठबंधन लगभग कांग्रेस के कब्जे में जा चुका है। खैर, अब ममता बनर्जी ने एक ऐसा दांव चल दिया है जिससे सिर्फ कांग्रेस की परेशानी नहीं बढ़ेगी बल्कि खुद ममता बनर्जी का पक्ष मजबूत हो जाएगा। संसद में सांसदों का संख्याबल बढ़ा है तो विपक्ष लोकसभा स्पीकर पद से लेकर डिप्टी स्पीकर पद पर कब्जे की कोशिश में लगा है। खैर, लोकसभा स्पीकर का चुनाव संपन्न हो चुका है और भाजपा के ओम बिरला लगातार दूसरी बार इस कुर्सी पर बैठे हैं हालांकि डिप्टी स्पीकर का पद खाली है जिसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों में मुकाबला हो सकता है। इसी बीच ममता बनर्जी ने डिप्टी स्पीकर पद के लिए एक नाम सुझाया है जिससे कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। ममता बनर्जी ने कैसे एक तीर से दो निशाने साध लिए हैं. इसको ऐसे समझ सकते हैं कि जब लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ तो कांग्रेस ने खुद ही अपने सांसद के सुरेश को कैंडिडेट के रूप में उतार दिया लेकिन इस एकतरफा फैसले से ममता बनर्जी खुश नहीं थीं। टीएमसी ने एक बयान में कहा था कि स्पीकर चुनाव में उम्मीदवार उतारने से पहले उससे सलाह नहीं ली गई थी। इसे टीएमसी ने ‘एकतरफा’ फैसला करार दिया था। यही नहीं, टीएमसी ने एक सुरेश के नामांकन पर साइन भी नहीं किए थे। इस पूरे घटनाक्रम में दिखा था कि ममता अकेले पड़ चुकी हैं क्योंकि किसी और दल ने के सुरेश को उम्मीदवार बनाए जाने पर आपत्ति नहीं जताई थी। ममता बनर्जी को पीछे हटना पड़ा था।

फिलहाल डिप्टी स्पीकर पद के लिए संभावित चुनाव की तैयारी चल रही है। वैसे डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की परंपरा रही है लेकिन भाजपा बिना चुनाव के ये पद विपक्ष को नहीं देना चाहती है। इस स्थिति में विपक्ष की तरफ से ममता बनर्जी ने एक नाम का प्रस्ताव रख दिया है। पुष्टि तो नहीं है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि ममता बनर्जी ने डिप्टी स्पीकर के लिए समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को दिया है। सूत्र कहते हैं कि राजनाथ सिंह ने ममता बनर्जी से फोन पर बात करके डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर चर्चा की थी।

पिछला घटनाक्रम कहता है कि टीएमसी सुप्रीमो का ये दांव बहुत बड़ा है। ममता बनर्जी ने कहीं ना कहीं एक तीर से दो निशाने साध लिए हैं क्योंकि कांग्रेस अपनी प्लानिंग कर रही थी कि वो अपना स्पीकर बनाएगी। अब अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव बताता है कि विपक्ष में कांग्रेस सबसे बड़ा दल होने के बावजूद टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी चाहती हैं कि डिप्टी स्पीकर गैर-कांग्रेसी हो। उसके अलावा अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव अखिलेश यादव के लिए बड़ी खुशी जैसा फैसला होगा। इससे जाहिर है कि अखिलेश यादव का झुकाव ममता बनर्जी की तरफ होगा जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो कठऊक गठबंधन में ममता बनर्जी और मजबूत नेता बन जाएंगी। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षा भी प्रधानमंत्री बनने की रही है। कई बार मीडिया के सहारे टीएमसी के नेताओं ने इंडिया गठबंधन में ममता बनर्जी की दावेदारी को मजबूत किया है। अभी इसकी गुंजाइश बची नहीं है क्योंकि देश की जनता ने कठऊक गठबंधन को सत्ता में बैठने का मौका नहीं दिया है। हालिया लोकसभा चुनावों में गैर-एनडीए दल मिलकर भी सरकार नहीं बना पाए हैं। ये जरूर है कि विपक्ष की स्थिति बीते 10 साल में अब आकर सुधरी है।

एक पक्ष यह भी है कि अवधेश प्रसाद दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिसके चलते इंडिया गठबंधन उनके पीछे खड़े रह सकता है, लेकिन भाजपा के लिए एक कठिन प्रस्ताव है।कांग्रेस विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है, बावजूद इसके ममता बनर्जी ने लोकसभा डिप्टी स्पीकर के लिए सपा सांसद अवधेश प्रसाद के नाम का प्रस्ताव रखा है। कांग्रेस की तरफ से पहले दलित समुदाय से आने वाले वरिष्ठ सांसद के सुरेश के नाम की चर्चा थी लेकिन ममता ने अवधेश का नाम आगे बढ़ा दिया है। अखिलेश यादव की बिना मर्जी से ममता ने यह फैसला नहीं लिया होगा। यह स्पष्ट है कि सपा और टीएमसी में एक राय बनने के बाद ममता ने मास्टर स्ट्रोक चला है। कांग्रेस वक्त की नजाकत को देखते हुए अवधेश प्रसाद का विरोध नहीं करेगी, क्योंकि अभी उसके टारगेट पर भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी हैं। ऐसे में गठबंधन राजनीति के दूरगामी हितों को देखते हुए कांग्रेस डिप्टी स्पीकर पद के लिए अवधेश प्रसाद के नाम का समर्थन कर सकती है।

लोकसभा डिप्टी स्पीकर चुनाव के मौके पर संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर अवधेश के नाम को इंडिया गठबंधन आगे बढ़ाएगा। गठबंधन उनके नाम को आगे कर दलित समुदाय को खास संदेश देना चाहता है। इससे पहले स्पीकर के लिए दलित वर्ग से आने वाले के. सुरेश को विपक्ष ने उम्मीदवार बनाया था। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश में दलित वोटों को और अधिक एकजुट करने की यह रणनीति है। खास तौर पर अयोध्या हारने का भाजपा के जख्मों को भी हरा करने की है। इसीलिए ममता बनर्जी ने यह चतुराई के साथ उनके नाम को आगे किया। इस तरह कांग्रेस बनाम भाजपा के बजाय अब विपक्ष बनाम भाजपा के नैरेटिव बनाने का दांव चला है। ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ दोस्ताना रवैया दिखाया है। डिप्टी स्पीकर के लिए गैर-कांग्रेस उम्मीदवार होने से सभी विपक्षी दलों का समर्थन हासिल हो सकता है। खासकर वो दल जो कांग्रेस के साथ खड़े नहीं होना चाहते हैं, वो भी इस मुद्दे पर साथ आए सकते हैं। अवधेश प्रसाद के नाम पर इंडिया गठबंधन के घटकदलों के साथ-साथ आम आदमी पार्टी, अकाली दल और निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं का भी समर्थन मिल सकता है।

अवधेश प्रसाद के नाम को आगे बढ़ाकर विपक्ष ने भाजपा को कश्मकश में डाल दिया है। टीएमसी और सपा को लगता है कि फैजाबाद सांसद अवधेश प्रसाद एक अलग तरह के कैंडिडेट होंगे और उनकी उम्मीदवारी एक मजबूत संदेश देगी। सूत्रों की माने तो राहुल गांधी और अखिलेश से बातचीत में ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने कहा कि लोकसभा डिप्टी स्पीकर पद के लिए इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के चयन से एक ‘मजबूत संदेश’ देना चाहिए, क्योंकि संसद में संख्या बल के हिसाब से इंडिया गठबंधन कमजोर है। इसलिए प्रतीकात्मकता पर मैसेज देने की कोशिश करनी चाहिए।


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