- एसआईटी ने जारी किया नोटिस, 950 लोगों के खिलाफ दर्ज है सिविल लाइन थाने में मुकदमे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: 100 करोड़ के स्टांप घोटाले में बिल्डरों के नाम सामने आते ही वह अपना मोबाइल फोन स्वीच आॅफ करके रातोंरात घरों से लापता हो गए। एसआईटी टीम का कहना है कि बिल्डरों ने विशाल के साथ सेटिंग करके फर्जी स्टांप पेपरों की रजिस्ट्री कराई। बिल्डरों के खिलाफ काफी सबूत मिल गये हैं। जल्द ही उन्हें स्टांप घोटाले में मुल्जिम बनाया जाएगा। जिससे चोरी के स्टांप की रिकवरी हो सकें। वहीं, एसआईटी के नोडल प्रभारी अवनीश कुमार का कहना है कि सबसे पहले टारगेट 25 हजार के इनामी विशाल वर्मा की गिरफ्तारी पर लगा हुआ है। उसकी गिरफ्तारी होते ही कई खुलासे किए जाएंगे।
शहर में हुए स्टांप घोटाले की गूंज लखनऊ तक पहुंच चुकी है। मेरठ में स्टांप घोटाला सामने आते ही पूरे प्रदेश में आठ साल पुराने बैनामों की जांच कराई जा रही है। इससे पहले मेरठ में तीन साल पुराने बैनामों की जांच में साढ़े सात करोड़ के फर्जी स्टांप का खुलासा हुआ था। इसके बाद पांच साल पुराने बैनामों की जांच फिर से शुरू हो गई है। कुल मिलाकर आठ साल पुराने बैनामों की जांच चल रही है। एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने 950 लोगों के खिलाफ स्टांप चोरी का मुकदमा दर्ज कराया है। इसके बाद उनके पास रिकवरी नोटिस भी भेजे है।
450 लोग स्टांप के रुपये भी जमा कर चुके हैं। स्टांप घोटाले के आरोपियों को पकड़ने के लिए एसएसपी ने एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी प्रभारी एसपी क्राइम अवनीश कुमार स्टांप घोटाले की जांच कर रहे हैं। जिसमें रोज नए खुलासे हो रहे हैं। स्टांप घोटाले में अब तक 40 से ज्यादा बिल्डरों व कालोनाइजरों के नाम सामने आए है। जिन्होंने विशाल वर्मा के साथ सेटिंग करके फर्जी स्टांप से रजिस्ट्री कराई है।
जांच में नामों का खुलासा होते ही कई बिल्डर व कालोनाइजर अपना मोबाइल स्वीच आॅफ करके घर से फरार हो गए हैं। उन्हें डर है कि उनकी एसआईटी गिरफ्तारी न कर लें। जबकि एसपी क्राइम अवनीश कुमार का कहना है कि 25 हजार के इनामी विशाल वर्मा की गिरफ्तारी के बाद कई नामों का खुलासा किया जाएगा। जिसके साथ स्टांप घोटाला किया गया है।
अनुशासनहीनता, वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में लेखाकार निलंबित
मवाना: कृषक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मवाना की प्रबंध समिति सचिव अर्चना वर्मा ने कालेज में कार्यरत लेखाकार नवीन वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया है। निलम्बन पत्र में लेखाकार पर अपने दायित्वों के प्रति घोर उदासीनता, अनुशासनहीनता और वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाये गये हैं। निलम्बन काल में लेखाकार महाविद्यालय के मुख्यालय से सम्बद्ध किये गये हैं। कृषक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मवाना की प्रबंध समिति की सचिव अर्चना वर्मा ने निलम्बन पत्र में कहा कि लेखाकार ने प्राचार्य के स्पष्ट निर्देश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली के केस के संबंध में मांगे गए अभिलेख, दस्तावेज निर्धारित समय सीमा तक प्रस्तुत नहीं किए गए।
आरोप है कि इस मामले में रिकॉर्ड मांगे जाने पर प्राचार्य के साथ अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हुए अनुशासनहीनता की गई। वर्ष 2015 से स्ववित्त पोषित कक्षाओं से जुड़े वित्तीय मामलों में अनियमितता और पारिश्रमिक वितरण में अनावश्यक जटिलता उत्पन्न करने के गंभीर आरोप हैं। इस प्रकरण की गंभीरता और प्राचार्य की संस्तुति के बाद लेखाकार नवीन वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। प्राचार्य डा. विमलेश मिश्र ने कालेज में लेखाकार को निलम्बन पत्र सुपुर्द कर दिया है।