- सरकारी फरमान बना बेसिक के टीचरों के लिए मुसीबत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकारी स्कूलों के टीचरों को अब खुद पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में आने वाले बच्चों को निपुण बनाने के नाम पर जो कुछ भी सूबे की सरकार करा रही है उससे टीचरों में खासी बेचैनी है। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे भी टीचर हैं जिनका रिटायरमेंट सिर पर है। ऐसे में बच्चों को पढ़ने से पहले खुद पढ़ाई करना उन्हें बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है, लेकिन करें भी तो करें क्या सरकारी नौकरी की मजबूरी और अफसरों का फरमान। पसंद भले ही ना हो, लेकिन मानना तो पड़ेगा ही।
डीआईओए और बीएसए को भी पड़ा पढ़ना
सूबे में निपुण भारत मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने कवायद तेज कर दी है। बच्चों में बुनियादी भाषायी व गणित में दक्षता के विकास के लिए 4.30 लाख शिक्षकों व शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए 25 अक्तूबर से 10 दिसंबर तक अभियान चलाया जा रहा है। निपुण लक्ष्य पाने के लिए शिक्षकों व ब्लॉक स्तरीय संदर्भदाताओं का प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। इसके लिए शासन की ओर से डीआईओएस, बीएसए व बीईओ आदि का प्रशिक्षण पूरा किया जा चुका है।
अब शिक्षकों और शिक्षामित्रों की बारी
इसी क्रम में अब प्राथमिक विद्यालय के सभी शिक्षकों व शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय किया गया है। जिससे वे विद्यार्थियों को निपुण बनाने के अभियान को गति दे सकें। इसके लिए ब्लॉक स्तरीय संदर्भदाताओं का प्रशिक्षण डायट स्तर पर होगा। वहीं, प्राथमिक विद्यालय के सभी शिक्षकों व शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण ब्लॉक संसाधन केंद्र पर छह नवंबर से दस दिसंबर के बीच होगा।
ब्लॉक स्तर पर तैयारी
इसके लिए ब्लॉक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। बताया गया है कि हर ब्लॉक में पांच एआरपी व सभी डायट मेंटर शामिल होंगे। इनको सीमैट प्रयागराज के संदर्भदाता प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण के सभी मद के लिए 28 करोड़ 90 लाख रुपये जारी किया गया है। महानिदेशक स्कूल विजय किरन आनंद के हस्ताक्षर से जारी पत्र में निर्देश दिए हैं कि शिक्षकों का बैच 50-50 का होगा। अगर शिक्षक अनुपस्थित मिलते हैं तो इसके लिए बीईओ जिम्मेदार होंगे।