- मेरठी पुलिस खामोश, शस्त्र विक्रेताओं की दुकानों पर गैर जनपदों की पुलिस करती है कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पीएल शर्मा रोड स्थित शस्त्र मार्केट में चल रहे अवैध-धंधों की जानकारी दूसरे जनपदों और अन्य राज्यों के पुलिस को होती है लेकिन मेरठ पुलिस हर बार इससे अनजान रहती है। स्थानीय पुलिस को कार्रवाई का पता तब चलता है जब बाहर की पुलिस औपचारिकता के लिये जानकारी देती है।
एक यक्ष प्रश्न हमेशा उठता है कि क्या शस्त्र मार्केट में हो रहे अवैध कामों को क्या पुलिस का सरंक्षण मिला हुआ है। जिस तरह से मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने एक शस्त्र विक्रेता की दुकान में सर्च वारंट के साथ कार्रवाई की उसने इस सवाल को हवा दे दी है।
लालकुर्ती थाना क्षेत्र के पीएल शर्मा रोड के शस्त्र व्यापारी की दुकान पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इंटरनेशनल तस्कर के पास से मिली 45 पिस्टलों के मामले में सर्च वारंट के साथ पूछताछ कर रजिस्टर खंगाले थे। लालकुर्ती पुलिस को तब पता चला जब दिल्ली पुलिस ने औपचारिक जानकारी दी।
इसी तरह आगरा जीआरपी ने 22 अप्रैल को टूंडला रेलवे स्टेशन में 700 कारतूस मिलने के मामले में पीएल शर्मा रोड के गन हाउस के मालिक पुनीत को सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश पर पुनीत को पुलिस थाने लेकर आई थी। सिटी मजिस्ट्रेट को जानकारी भी आगरा जीआरपी ने दी थी। जिसमें मेरठ का नाम प्रकाश में आया था। आगरा से एसपी जीआरपी के नेतृत्व में हुई कार्रवाई में आगरा जीआरपी ने पीएल शर्मा रोड से पुनीत नामक व्यापारी को उठाया था।
इसी तरह वीआईपी और पॉश सिविल लाइन इलाके में देश के सबसे बड़े शस्त्र घोटाला उजागर हुआ था। रिटायर्ड कर्नल देवेन्द्र बिश्नोई की कोठी में शूटर प्रशांत बिश्नोई के कब्जे में 45 पैकेटों में रखा 117.50 किग्रा. मांस, 15 रायफल, 50 हजार कारतूस, एक करोड़ रुपये डीआरआई और वन विभाग ने छापेमारी करके बरामद किये थे। इतनी बड़ी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था, शायद ही किसी ने सोचा था।
इस कोठी के सामने महिला थाना है तो चंद कदमों की दूरी पर एसएसपी और आईजी आॅफिस। इसके बाद भी पुलिस को पता नहीं चला। महीनों जेल में रहे प्रशांत बिश्नोई के तार पी एल शर्मा रोड स्थित एक शस्त्र विक्रेता से जुड़े पाए गए थे। डीआरआई ने न तो शस्त्र व्यापारी से कोई पूछताछ की बल्कि न दिल्ली पुलिस ने नोटिस लिया। इससे शस्त्र व्यापारियों के हौसले बुलंद हो गए और गैरकानूनी कामों को खुलकर करने लगे।
कुल मिलाकर मेरठ का खुफिया तंत्र और लोकल इंटेलीजेंस भी पूरी तरह से धड़ाम हो गया था। इतना बड़ा जुर्म फलता फूलता रहा और कानों कान भी भनक नहीं लगी। इसी तरह पीएल शर्मा रोड पर साल में कई बार दूसरे जनपदों और दिल्ली आदि राज्यों से पुलिस बदमाशों को लेकर आती है और अवैध तरीके से बेचे गए हथियारों को लेकर कार्रवाई करती है लेकिन स्थानीय थानों को पता तक नहीं चलता है।
लाइसेंस बंद फिर भी कारोबार आसमान पर
हैरानी की बात है कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल से शस्त्र लाइसेंस न के बराबर बन रहे थे, इसके बावजूद पीएल शर्मा रोड पर शस्त्र विक्रेताओं की चांदी आ रही है। जब लाइसेंस नहीं बन रहे फिर इन दुकानों पर रखे मंहगे से मंहगे हथियार कौन खरीद रहा है। इनकी आय दिन दूनी रात चौगुनी कैसे हो रही है। इन शस्त्र व्यापारियों पर न तो पुलिस और न ही आयकर विभाग की नजर पड़ती है।