गोकशी की घटनाएं जानी थाना क्षेत्र में लगातार बढ़ रही हैं। हिन्दू संगठन के लोग विरोध करते है तो उनके साथ इंस्पेक्टर मारपीट तक करने के लिए उतारू हो जाते हैं। भाजपा मंडल अध्यक्ष सचिन प्रजापित के साथ भी इंस्पेक्टर ने मारपीट की। मामला तूल पकड़ता, इससे पहले एक पूर्व विधायक के घर पर बैठकर इंस्पेक्टर ने मामले को मैनेज करने की कोशिश की, मगर भाजपा के कुछ नेता एसएसपी से मिले और लिखित में इंस्पेक्टर के खिलाफ तहरीर दी। तब भी पुलिस ने इंस्पेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। आला पुलिस अफसरों के इस रवैये से भाजपा नेता आहत हुए। अब प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी जनपद दौरे पर आये थे तो उनके सामने भाजपा नेताओं ने इंस्पेक्टर जानी के खिलाफ रोना रोया। तब प्रभारी मंत्री ने इंस्पेक्टर जानी व खरखौदा को हटाने के आदेश दिये थे। प्रभारी मंत्री के हटाने के आदेश, फिर एसपी देहात जांच के नाम पर पूरे मामले को लटका रहे। अब जांच भी पूरी हो गई, फिर भी कार्रवाई नहीं। आखिर ये हाल तो प्रभारी मंत्री के आदेश का हो रहा हैं, यहां आम आदमी को कैसे न्याय मिल सकता हैं, यह बड़ा सवाल हैं। नौकरशाही निरंकुश तो नहीं हो गई? प्रभारी मंत्री के आदेश…जांच पड़ताल के नाम पर आला पुलिस अफसरों ने इंस्पेक्टर को अभयदान देने की कोशिश, आखिर पांच दिन से खाकी के पीछे कुछ तो चल रहा हैं। इससे पहले जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक से गंगानगर इंस्पेक्टर के तबादले को लेकर उलझना। यहां भी राज्यमंत्री को ही अपमान का घूट पीना पड़ा था और अब प्रभारी मंत्री के आदेश का कैसे पालन हो रहा हैं, ये जगजाहिर हैं।
- जानी थाना प्रभारी संजय वर्मा को हटाने की एसपी देहात की रिपोर्ट पर भी कप्तान ने नहीं लिया निर्णय
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी ने चार सितंबर को हुई कानून समीक्षा की बैठक में गोकशी आदि की घटनाओं को लेकर डीएम और एसएसपी से जानी थाना प्रभारी संजय वर्मा और खरखौदा थाना प्रभारी को तत्काल हटाने के आदेश दिये थे। प्रभारी मंत्री के आदेश देने के छह दिन बाद भी एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने थानेदारों को नहीं हटाया। जबकि एसपी देहात ने जानी थाना प्रभारी को लेकर सख्त रिपोर्ट भी एसएसपी को भेज दी है।
लगभग तीन साल से जानी थाने में जमे इंस्पेक्टर संजय वर्मा के खिलाफ कार्रवाई पर सस्पेंस हो गया है। प्रभागीय मंत्री नंद गोपाल नंदी ने एसएसपी रोहित सिंह सजवाण को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिये हैं। प्रभारी मंत्री की नाराजगी को देखते हुए जानी और खरखौदा एसओ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अधिकारियों ने कागजी कार्रवाई शुरु कर दी थी।
माना जा रहा था कि जानी इंस्पेक्टर के खिलाफ बहुत जल्द कार्रवाई कर दी जाएगी। इस संबंध में एसपी देहात केशव कुमार ने इंस्पेक्टर के खिलाफ मिली शिकायतों के आधार पर गंभीर रिपोर्ट एसएसपी को सौंप दी है। गेंद एसएसपी के पाले में है, लेकिन कि वो प्रभारी मंत्री के निर्देशों पर कब अमल करते हैं, इस बारे में कोई कुछ भी नहीं कह रहा है।
प्रभारी मंत्री के आदेश देने के छह दिन बाद भी कोई कार्रवाई न होना यह साबित करता है कि लोकल पुलिस के लिये प्रभारी मंत्री के आदेश कोई मायने नहीं रखते हैं। प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी चार सितंबर को मेरठ आये थे। उन्होंने विकास भवन में कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए गोकशी की बढ़ती घटनाओं को लेकर जहां चिंता जाहिर की थी
वहीं इस बात पर सख्त नाराजगी जाहिर की थी कि जानी इंस्पेक्टर संजय वर्मा के खिलाफ गंभीर शिकायतें मिल रही है। जानी थाना क्षेत्र में जहां हत्याओं का ग्राफ बढ़ा है वहीं लूट और महिलाओं के खिलाफ अपराध भी बेइंतहा हुए है। इसके अलावा गोकशी की घटनाओं पर ब्रेक नहीं लग रहा है।
सिवालखास समेत तमाम इलाकों में गोकशी की घटनाएं बेधड़ल्ले हो रही हैं। प्रभारी मंत्री एसएसपी रोहित सिंह सजवाण से जानी इंस्पेक्टर के अलावा खरखौदा एसओ को भी हटाने के निर्देश दिये हैं। इंस्पेक्टर संजय वर्मा की तैनाती एसएसपी अजय साहनी के द्वारा की गई थी।
इसके बाद आए एसएसपी प्रभाकर चौधरी के समय में भी काफी आरोप लगे लेकिन एसएसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि गोकशी के कई मामले होने के बाद भी जानी थाने को नजरअंदाज किया जाता रहा। प्रभारी मंत्री के मीडिया सलाहकार बालाजी केसरवानी के मुताबिक जानी थाने के खिलाफ शिकायतों का अंबार है,
इसी कारण से प्रभारी मंत्री ने हटाने के निर्देश दिये हैं। मंत्री के आदेशों को पालन होगा। एसपी देहात केशव कुमार ने इंस्पेक्टर जानी के खिलाफ मिली शिकायतों के आधार पर सख्त रिपोर्ट एसएसपी को सौंपी है। छह दिन से रिपोर्ट एसएसपी के आदेश का इंतजार कर रही है। सवाल यह है कि जब प्रभारी मंत्री की बात अधिकारी नहीं सुनेंगे फिर सरकार का प्रभाव आम जनता तक कैसे जाएगा।
खटीक की कसक भी बाकी
मेरठ: प्रदेश के जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने गंगानगर इंस्पेक्टर को हटाने की मांग की थी, लेकिन कार्रवाई क्या हुई? आपके सामने हैं। इस्पेक्टर तो नहीं हटे, लेकिन राज्य मंत्री दिनेश खटीक के मन में यह कसक अवश्य होगी कि उनके कहने के बावजूद गंगानगर के इंस्पेक्टर को नहीं हटाया गया।
इस प्रकरण के बाद दिनेश खटीक ने सिंचाई विभाग में तबादलों को लेकर भ्रष्टाचार होने और कई अन्य मुद्दों को फोकस करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को त्यागपत्र भेज दिया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि त्यागपत्र स्वीकार नहीं हुआ, लेकिन इंस्पेक्टर गंगानगर भी नहीं हटे। यह पहला मामला नहीं अब प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी ने इंस्पेक्टर जानी और खरखौदा को हटाने की बात कही थी, लेकिन उन्हें नहीं हटाया गया।
छुट्टी पर गए इंस्पेक्टर
जब से प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी ने इंस्पेक्टर जानी को हटाने की मांग की थी, तब से ही इंस्पेक्टर जानी छुट्टी पर चले गए हैं। आखिर इंस्पेक्टर को छुट्टी क्यों दी गई? यह भी बड़ा सवाल हैं। छुट्टी सिर्फ इसलिए दी गई कि इंस्पेक्टर अपने आका के पास जाकर तबादला जानी थाने में ही रुका रहेगा। आखिर इंस्पेक्टर को लालच क्या हैं, जो जानी थाने में ही रुका रहना चाहते हैं। लंबे समय से वह जानी थाने में बने हुए हैं। चर्चा ये भी है कि एक आरएसएस के बड़े नेता का नाम लेकर दबाव बनाया जाता हैं।
थाना प्रभारी पर गाज गिरने की आहट से गुर्गों में बेचैनी?
जानी खुर्द: जानीकलां में रविवार को एक खेत में दर्जनों गायों की हत्या कर अवशेष मिलने पर बजरंग दल, हिन्दू वाहिनी व हिन्दू दलों के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा कर कई घंटे धरना-प्रदर्शन किया था। घटना स्थल पर पहुंचे सीओ सरधना आरपी शाही ने मौके पर ही स्वीकार किया था कि यहां कई दिनों से गोकशी की जा रही है।
हिन्दू दलों के कार्यकर्ताओं के हंगामे व थाना प्रभारी निरीक्षक संजय वर्मा के साथ-साथ एक कारखास दारोगा सहित पुलिस कर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की मांग को पुलिस के आलाधिकारियों से अवगत कराया था। सीओ सरधना आरपी शाही द्वारा दी गयी जानकारी पर पुलिस के आलाधिकारियों ने 24 घंटे में निलंबन की कार्रवाई का भरोसा देकर कार्यकर्ताओं को शांत कर मिले गोवंश के अवशेषों को दबाया गया था।
पुलिस के आलाधिकारियों के निर्देश पर एसपी देहात केशव कुमार को सौंपी गयी जांच में भी थाना प्रभारी निरीक्षक को दोषी पाया गया तो थाना प्रभारी निरीक्षक संजय वर्मा पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। वहीं, थाना प्रभारी निरीक्षक संजय वर्मा पर कड़ी कार्रवाई की आशंका के चलते अब गुर्गों में खलबली व बेचैनी दिखाई दे रही है। सूत्रों से पता चला है कि गुर्गे अपने आपको कार्रवाई से बचाने के प्रयास में जुट गये हैं।