शहर में सुविधाओं की कमी पर उठ रहे सवाल, आज भी सिटी की आधी आबादी दर्द झेलने को मजबूर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान पर आधारित फिल्म टॉयलेट-एक प्रेमकथा ने समाज में एक ऐसी समस्या को बड़े पर्दे पर उजागर किया, जिससे समाज पीड़ित तो है पर बोलने से कतराता है। फिल्म में घर में शौचालय न होने की वजह से महिलाओं को आधी रात को शौच के लिये बाहर जाना पड़ता था या शाम होने का इंतजार देखना पड़ता था। इस विडंबना से आज 21वीं सदी में भी समाज दिन प्रतिदिन जूझ रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि घरों में तो शौचालय बन गये हैं पर बाजार आज भी शौचालयों के अभाव की मार झेल रहे हैं। आज भी जब महिलाएं बाजार जाती हैं, तो उनको शौच के लिये या तो इधर-उधर भटकना पड़ता है या वापस घर पहुंचने का इंतजार करना पड़ता है। जिससे वह कई बार असहज भी महसूस करती है। कुछ ऐसा ही हाल मेरठ की शान कहे जाने वाले बेगमपुल मार्केट का है।
टॉयलेट एक, दर्द हजार
शहर का मुख्य बाजार कहा जाने वाला बेगमब्रिज बाजार कई अन्य मुख्य बाजारों और मार्गों से जोड़ता है। जिसमें दिल्ली रोड़, गढ़ रोड़, सोतीगंज बाजार, लालकुर्ती बाजार, आबूलेन बाजार, पीएल शर्मा रोड तथा भैंसाली बस अड्डा जैसे कई भीड़भाड़ वाले एरियाज शामिल है। सुबह से रात तक इस बाजार से हजारों की तादाद में राहगीर गुजरते हैं व ग्राहक खरीदारी करने आते हैं। बता दें कि बेगमपुल बाजार में लगभग 200 दुकाने हैं। जिनमें दो से 25 की संख्या में भिन्न-भिन्न दुकानों पर कर्मचारी काम करते हैं। साथ ही बेगमपुल व्यापार संघ में 180 सदस्य है। जिनका भार केवल एक शौचालय संभालता हुआ खुद भी मदद की गुहार लगा रहा है।
200 दुकानें हैं मार्केट मेंं (लगभग)
4000 लोग करते हैं खरीदारी (लगभग)
2500 से अधिक महिलाएं आती हैं मार्केट (लगभग)
एक टॉयलेट के भरोसे है पूरा मार्केट
धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं
बेगमपुल व्यापार संघ द्वारा एक शौचालय बनवाया गया है। जो काफी पुराना हो चुका है। इसके संदर्भ में महापौर द्वारा नगर आयुक्त को इस पर शीघ्र कार्रवाई करने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं। बावजूद इसके आज तक भी इस पर धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। जिस कारण व्यापारी व आम नागरिक एक महत्वपूर्ण व अति आवश्यक जन सुविधा से वंचित हैं और अत्यधिक परेशानियों का सामना करते हैं। -पुनीत शर्मा, अध्यक्ष बेगमपुल व्यापार संघ।पिंक टॉयलेट की दरकार
पूरे बेगमब्रिज बाजार में एक भी शौचालय महिलाओं के लिए नहीं है, जो है वो बहुत दूर पड़ता है। ऐसे में या तो शॉपिंग छोड़कर घर भागना पड़ता है या दूर कहीं खुले में जाना पड़ता है। मेरठ भी अब मेट्रो सिटी है यहां पर दिल्ली की तर्ज पर जगह-जगह पिंक टॉयलेट बनने चाहिए।
-मंजू शर्मा, ग्राहक।बाजार में जाना हो जाता है स्थगित
बाजारों में शौचालय की भयंकर समस्या है। महिलाओं को कई बार मासिक धर्म की समस्या के कारण बाजारों में शौचालय की जरूरत महसूस होती है। ऐसे में शौचालयों के अभाव के कारण कई बार बाजार जाना ही स्थगित करना पड़ता है।
-सीमा, ग्राहक।असहज करते हैं महसूस
फील्ड वर्क की जॉब होने के कारण अत्यधिक समय बाजारों में घूमकर ही बीतता है। ऐसे में रोज शौचालय जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। पढ़े-लिखे व जिम्मेदार नागरिक होने के कारण सड़क किनारे जाने में असहज महसूस होता है।
-आकाश कुमार, डिस्ट्रीब्यूटर।मेयर ने माना, समस्या तो है…
महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कहा कि शौचालय की समस्या है। इस समस्या पर बात हो रही है। जल्द निदान कराया जाएगा।
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