- अब बंदियों को शाम को मिलने लगी चाय और बिस्कुट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: 1894 के बने हुए जेल मैनुअल में परिवर्तन का पहला असर शनिवार को देखने को मिला। 128 साल बाद पहली बार शनिवार को बंदियों को उनके परिजनों से मुलाकात कराई गई। पहले दिन 450 परिजनों ने मुलाकात की। अभी तक शनिवार के अलावा महीने में 17 दिन जेल अवकाश को छोड़कर बंदियों से उनके परिजनों की मुलाकात कराई जाती थी,
लेकिन अब जेल में रविवार को अवकाश रहेगा और शनिवार को मुलाकात कराई जाएगी। बंदियों को अब शाम के समय चाय के साथ बिस्किट और त्योहारों पर खीर भी दी जायेगी। इसके अलावा रक्षाबंधन का भी एक अवकाश बढ़ाया गया है इस तरह जेल अवकाश की संख्या 17 से बढ़कर 18 हो गई है।
जेलर मनीष कुमार ने बताया कि जिला जेल में नया जेल मैनुअल लागू हो गया है। उन्होंने बताया बंदियों को गर्मियों में एक समय तथा सर्दियों में दो समय चाय दी जाती थी, लेकिन अब मई व जून को छोड़कर दोनों समय बंदिओं को चाय के साथ बिस्किट भी दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया नए जेल मैनुअल के तहत होली दीपावली 15 अगस्त 26 जनवरी को खीर तथा बकरीद ईद पर बंदियों को सेवई दी जाएगी। इसके अलावा जेल की कैंटीन में बंदियों को समोसा व कोल्ड ड्रिंक भी उपलब्ध होगी।
कालापानी की सजा के लिए कैदी नहीं होंगे ट्रांसफर
कालापानी की सजा के लिए ट्रांसफर की व्यवस्था अब समाप्त कर दी गई है। (अंग्रेजों के जमाने से कालापानी की सजा के बाद बंदी को अंडमान निकोबार की जेल में भेजने का प्रावधान था।) उन्होंने कहा कि नये मैनुअल में लॉकअप जेल की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है
और इसके अलावा यूरोपीय बंदियों के लिए अलग जेल, रजवाड़ों के बंदी के लिये निर्धारित रिहाई और ट्रांसफर और नेपाल, भूटान, सिक्किम और कश्मीर के बंदियों की रिहाई और स्थानांतरण की पुरानी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। जेलों से सीधे कैदियों की पेशी वीडियो कांफ्रेंस के जरिये हो सके ऐसी व्यवस्था की जाएगी।
महिला कैदियों को अब मिलेंगी ये सुविधाएं
महिला बंदियों को सलवार सूट पहनने और मंगल सूत्र धारण करने की इजाजत दी गई है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं और माताओं के लिए पुष्टाहार और मेडिकल सर्विसेस का प्रावधान किया गया है। जेल मैनुअल-2022 में प्रस्तावित व्यवस्था के तहत कारागार में महिला बंदी के साथ रह रहे
तीन से छह साल तक की आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये शिशु सदन, समुचित शिक्षा, चिकित्सा, टीकाकरण और चार साल से छह साल तक की उम्र के बच्चों को, उनकी माता की सहमति प्राप्त करने के बाद कारागार के बाहर किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश दिलाया जाएगा। इसमें कहा गया है कि वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कारागारों में डिटेन्ड महिला बंदियों को सेनेटरी नैपकिन देने का प्रावधान किया गया है।
जेल में पैदा हुए बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा
बंदियों की मानवीय आवश्यकताओं के मद्देनजर उनके परिवारजन और दंपति की मृत्यु होने पर अंतिम दर्शन का भी प्रावधान किया गया है। प्रत्येक जेल में एक बंदी कल्याण कैंटीन और बंदी कल्याण कोष होगा। बयान में कहा गया है कि नई नियमावली के तहत जेल में जो बच्चा पैदा होगा उसका नामकरण संस्कार वहीं होगा और नामकरण उसके धर्म के मुताबिक धर्मगुरु करेंगे। इसमें कहा गया है कि इतना ही नहीं सरकार इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और खानपान की व्यवस्था भी करेगी।