मोदी कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, किसानों पर योजनाओं की बौछार

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि किसानों के लिए सरकार ने सात बड़े फैसले लिए हैं। 2 हजार 817 करोड़ रुपये के डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी गई है। खाद्य, पोषण के फसल विज्ञान के लिए 3 हजार 979 करोड़ रुपये और टिकाऊ पशुधन स्वास्थ्य के लिए 1 हजार 702 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी
दी है।

सोमवार को मोदी सरकार ने किसानों के लिए सात बड़े फैसले लिए हैं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार गठन के अभी 100 दिन भी पूरे नहीं हुए हैं और कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। पहले 85 दिनों के अंदर किसानों के लिए कई बड़े फैसले लिए गए हैं। इनसे किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2 हजार 817 करोड़ रुपये के डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खाद्य, पोषण के फसल विज्ञान के लिए समर्पित 3 हजार 979 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी है। टिकाऊ पशुधन स्वास्थ्य के लिए 1 हजार 702 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है। सरकार ने कुछ अच्छे पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। इनमें हमें सफलता मिली है।

डिजिटल कृषि मिशन की स्थापना

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उसी के आधार पर डिजिटल कृषि मिशन की स्थापना की जाएगी। बागवानी के विकास के लिए 860 करोड़ रुपये और कृषि विज्ञान केंद्रों के लिए 1 हजार 202 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी।

आइए जानते हैं डिजिटल कृषि मिशन से किसानों का क्या सहूलियत मिलनी वाली है…

  1. एग्री स्टैक किसान रजिस्ट्री गांव की भूमि मानचित्र रजिस्ट्री फसल बोई रजिस्ट्री। कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली भू स्थानिक डेटा सूखा/बाढ़ निगरानी मौसम/उपग्रह डेटा भूजल/जल उपलब्धता डेटा फसल उपज और बीमा के लिए मॉडलिंग।

  2. मृदा प्रोफाइल डिजिटल फसल अनुमान डिजिटल उपज मॉडलिंग फसल ऋण से जुड़े एआई, बिग जैसी आधुनिक तकनीकें।

  3. डेटा खरीदारों से जुड़े मोबाइल पर अपडेट कृषि के लिए डीपीआई। जो कि किसानों के जीवन में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी पर बल देता है। मोबाइल पर जानकारी मिलने से किसानों के जिंदगी में बदलाव आएगा। खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान अनुसंधान और शिक्षा पादप आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन भोजन और चारे की फसल के लिए आनुवंशिक सुधार।

  4. दलहनी एवं तिलहनी फसल में सुधार।

  5. वाणिज्यिक फसलों में सुधार।

  6. कीड़ों, रोगाणुओं, परागणकों आदि पर अनुसंधान।

  7. 2047 के लिए जलवायु को ध्यान में रखते हुए खाद्य सुरक्षा के लिए किसानों को तैयार करना।

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