Tuesday, January 14, 2025
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कम लागत में फलेगी मूंग

Khetibadi


कम लागत में मूंग फले, इसके लिए वैज्ञानिक तरीके से फसल उपजाना जरूरी है। किसान को पता होना चाहिए कि खेत कैसे तैयार करें, सिंचाई कब की जाए, बीज का चुनाव कैसे करें। फसल में कोई रोग या कीट लग जाए तो उसका निदान कैसे करें।

खेत की तैयारी

रबी की कटाई के बाद दो-तीन बार हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा व नींदा रहित करें। पाटा लगाकर खेत को समतल करें।

उन्नत बीज का चुनाव, मात्रा व उपचार

शुद्ध, प्रमाणित, रोग मुक्त बीज का चलन करें। भंडारित बीज को साफ करके, अंकुरण परीक्षण करने के बाद बोने हेतु उपयोग में लाएं। बोनी हेतु के. 851, पीडीएम 139, पूसा बैसाखी, पूसा विशाल, जवाहर मूंग 131 में से किसी भी एक किस्म का 12-15 किग्रा, बीज प्रति हेक्टर के मान से उपयोग करें। ग्रीष्मकालीन मूंग की बोनी का उपयुक्त समय मार्च से अपै्रल का प्रथम सप्ताह है।

कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. तथा बीज की दूरी 10 सेमी रखें साथ ही बीज को 3-4 सेमी की गहराई पर लगाएं। बुवाई से पूर्व बीज को कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा द्वारा प्रति किग्रा बीज दर से उपचार करें ताकि बीज जनित रोगों से छु़टकारा मिल सके।

खाद व उर्वरक

मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करें। यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट व म्यूरेट आॅफ पोटाश की 50:375:30 किग्रा प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग करें। 100 किग्रा डीएपी के साथ 30 किग्रा म्यूरेट आॅफ पोटाश प्रति हेक्टर का उपयोग भी किया जा सकता है। बुवाई से पहले फफूंदनाशक से उपचारित बीज को राइजोबियम व पीएसबी कल्चर से निवेशित करें चाहिए। इस हेतु 5 ग्राम कल्चर प्रति किग्रा बीज के मान से उपयोग किया जा सकता है।

सिंचाई

गर्मियों में फसल होने के कारण फसल को 5-6 सिंचाईयों की आवश्यकता पड़ती है। क्रांतिक अवस्था जैसे शाखा बनते समय, फलियां बनते समय तथा दाना भरते समय सिंचाई करना आवश्यक होगी।

पौध संरक्षण

मूंग की फसल में कई बार पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जो फैलकर पूरे पौधे को झुलसा देती है। साथ ही भभूतिया रोग का प्रकोप होता है। इस रोग में पत्तियों पर सफेद चूर्ण जमा हुआ दिखता है। दोनों ही रोगों के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम की एक ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मूंग की फसल पर फली बीटल, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, फली छेदक कीटों का प्रकोप होता है। इनके नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफॉस 400 मिली 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें।

उपज

मूंग की फलियां गुच्छों में लगती है तथा अधिकांश प्रजातियों में फल्लियां एक साथ नहीं पकती अत: 2-3 बार तोड़ाई पर पूरी फसल की फलियां तोड़ ली जाती हैं। मूंग के दानों को बैल चलाकर या डंडे से पीटकर अलग किया जाता है। पौध संरक्षण अपनाने पर 7-8 क्विंटल मूंग प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।
                                                                                               डॉ. ममता सिंह, डॉ. विनीता सिंह


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