- हाईकोर्ट ने तलब की रिपोर्ट, साल 2018-19 में आठ व साल 2020 में महज चार पर फायर एनओसी
- झांसी मेडिकल में 10 नवजातों की दर्दनाक मौत के बाद भी अफसर गहरी नींद में
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर में करीब 100 हॉस्पिटल अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। फायर एनओसी को लेकर भी निजी हॉस्पिटल का कोई बहुत अच्छा ट्रेक रिकॉर्ड नहीं है। झांसी मेडिकल अग्निकांड में एक ओर 10 नवजात मासूमों की जलकर मौत, वहीं दूसरी ओर साल 2018-19 में महज आठ व साल 2020 में महज चार पर फायर एनओसी होना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार के स्तर से भले ही कुछ भी दावे किए जाए और सरकार के अफसर भले ही कुछ भी दावे करें, लेकिन मेरठ में निजी हॉस्पिटल संचालकों का मानकों को लेकर यह रवैया वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है।
मेरठ में डंके की चोट पर संचालित किए जा रहे अवैध होटलों को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उनके खिलाफ कृत कार्रवाई की रिपोर्ट तलब कर ली है। दरअसल, शहर के अवैध हॉस्पिटलों को लेकर दायर की गई याचिका का हाईकोर्ट ने संज्ञान ले लिया है और राज्य सरकार से मेरठ में चल रहे अवैध तरीके से अस्पतालों के मामलों में कार्रवाई रिपोर्ट तलब किया है। याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली व न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र के समक्ष दलील दी कि याची एक सामाजिक कार्यकर्ता है। याची ने आरटीआई द्वारा जानकारी प्राप्त की, जिसमें 350 हॉस्पिटल शहर में चल रहे हैं। जिसमें 250 हॉस्पिटल सीएमओ द्वारा रजिस्टर्ड है।
100 अवैध तरीके से हॉस्पिटल चल रहे हैं। अंकुश चौधरी द्वारा डाली गई आईटीआई के जवाब में जो जानकारी प्राप्त हुई, वह चौंकाने वाली है कि वर्ष 2018-19 में मात्र 8 हॉस्पिटल और वर्ष 2019-20 में मात्र चार हॉस्पिटल ही फायर विभाग द्वारा रजिस्टर्ड पाए गए हैं। जिसमें अग्निशमन अधिकारी द्वारा अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्थाओं की कमियों के संबंध में उनके प्रबंधक को अवगत करा दिया गया था तथा कार्रवाई का अधिकार सत्ता प्राधिकारियों का है। याची के अधिवक्ता ने बताया कि पूर्व में न्यायालय के द्वारा जवाब तलब किया गया था,
लेकिन राज्य सरकार ने मात्र कुछ हॉस्पिटल को नोटिस जारी कर बिना कार्रवाई के वर्ष 2020 में जवाब दाखिल कर दिया गया था। याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में अस्पताल में आग लगने से 12 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। जिसमें एनएचआरसी ने मुख्य सचिव व डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। पूर्व वर्षों में देश में अलग-अलग जगह पर भी मानक पूरा न होने पर अस्पतालों में आग लग चुकी है।
याची अधिवक्ता की दलील सुनकर पुन: हाइकोर्ट ने कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए निर्देश जारी किया और वर्तमान स्थिति उत्तर प्रदेश अग्नि निवारण व अग्नि अधिनियम एवं नियमावली 2005 के अंतर्गत पूर्व में दिए गए आदेश पर कार्रवाई रिपोर्ट तलब कर सुनवाई की अगली तारीख 22 जनवरी नियत की गई। इस संबंध में सीएमओ अशोक कटारिया का कहना है कि समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाती रहती है। नोटिस भी दिए गए हैं। शासन को भी अवगत कराया गया है।