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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। सनातन धर्म में नाग पंचमी के त्यौहार का विशेष महत्व है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस बार नाग पंचमी 21 अगस्त यानि आज मनाई जा रही है।
इस बार दुर्लभ संयोग से सावन का सातवां सोमवार व्रत और नाग पंचमी एक ही दिन यानी आज मनाई जा रही है। नाग पंचमी का त्यौहार देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। तो आइये जानते हैं नाग पंचमी का महत्व…
नाग पंचमी पूजन विधि
नाग पंचमी के दिन सबसे पहले स्नान आदि कर घर के दरवाजे के दोनों तरफ नाग की आठ आकृतियां बनाकर हल्दी, रोली, चावल, घी, कच्चा दूध, फूल एवं जल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। इस दिन एक दिन पूर्व बनाए गए भोजन का भोग लगाने का विधान है।
पूजन के बाद नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें। नाग पंचमा के दिन “ॐ नमोस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथिवीमनु ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्यः सर्पेभ्यो नम:” मंत्र का जाप जरूर करें।
नाग पंचमी का महत्व
भारत के प्राचीन महाकाव्यों में से एक, महाभारत में, राजा जनमेजय नागाओं की पूरी जाति को नष्ट करने के लिए एक यज्ञ करते हैं। यह अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए था, जो तक्षक सांप के घातक काटने का शिकार हो गये थे। हालांकि, प्रसिद्ध ऋषि आस्तिक जनमजेय को यज्ञ करने से रोकने और नागों के बलिदान को बचाने की खोज में निकल पड़े।
जिस दिन यह बलि रोकी गई वह शुक्ल पक्ष पंचमी थी, जिसे अब पूरे भारत में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। कई हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में सांप या नागा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां हैं।
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