Tuesday, July 9, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh NewsMeerutकोर्ट का आदेश चाहिए खुद कुछ करने को तैयार नहीं

कोर्ट का आदेश चाहिए खुद कुछ करने को तैयार नहीं

- Advertisement -
  • ड्यूटी के दौरान कोरोना से मरी बेटी के फंड और ग्रेच्युटी के लिए पिता से करा रहे हैं पर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ड्यूटी के दौरान कोरोना के चलते जिंदगी गंवाने वाली बेटी की फंड व ग्रेच्युटी के लिए सालों से अफसरों की परिक्रमा कर रहे पिता की मदद के बजाए बीएसए कार्यालय ने बजाए मदद के अदालत से आदेश लाने को कह दिया है। पीड़ित पिता शासन में बैठे उच्चाधिकारियों से लेकर डीएम व बीएसए सरीखे तमाम अफसरों से कई बार गुहार लगा चुका है।

शासन में बैठे अफसरों तथा डीएम स्तर से बीएसए के लिए नियमानुसार कार्रवाई की बात तो जरूर की गयी है, लेकिन अभी तक कुछ भी ऐसा नहीं किया गया है जिससे डयूटी करते-करते जान देने वाली बेटी का जो बकाया विभाग पर है वो मिल सके।

ये है पूरा मामला

शहर के रेलवे रोड थाना के शांति नगर निवासी प्रदीप जैन बताते हैं कि उनकी बेटी शालिनी जैन जानी ब्लॉक के बहरामपुर स्थित परिषदीय स्कूल में साल 2009 में बतौर टीचर नियुक्त की गयी थी। उसकी शादी प्रदीप गुप्ता नाम के शख्स से हुई थी, लेकिन पति की बुरी आदतों के चलते दोनों के बीच तलाश हो गया था। उसकी एक बेटी है। प्रदीप जैन बताते हैं कि साल 2021 में पंचायत चुनाव के दौरान शालिनी की ड्यूटी रोहटा ब्लॉक में लगायी गयी थी। 28 अप्रैल को डयूटी के दौरान वह कोरोना संक्रमित हो गयी।

कोरोना संक्रमित होने के चलते उसको जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। 3 मई को कोरोना संक्रमण के चलते उपचार के दौरान उसकी मौत हो गयी। कोरोना संक्रमण के दौरान सरकार ने घोषणा की थी कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की कोरोना काल में डयूटी के दौरान मौत होती है तो उसको मुआवजा दिया जाएगा। शालिनी की मौत के बाद परिजनों ने पत्राचार किया और सरकार की ओर जो घोषणा की गयी थी, उसके मुताबिक मुआवजा राशि भी मिल गयी।

शिक्षा विभाग बना विलेन

पिता प्रदीप जैन का कहना है कि शालिनी की ग्रेच्यूटी व फंड की काफी रकम शिक्षा विभाग पर बकाया थी, जब उसके लिए लिखा पढी की गयी तो बजाए फंड व ग्रेच्युटी का भुगतान करने के शिक्षा विभाग के अधिकारी अपनी ही दिवंगत टीचर के परिजनों से विलेन सरीखा व्यवहार करने लगे। शिक्षा विभाग पर बकाए के भुगतान के लिए परिजन तमाम आला अफसरों से गुहार लगाते रहे।

gratuity main

जब काफी लिखा पढी कर ली गयी तब कहीं जाकर शिक्षा विभाग के अफसरों की नींद कुछ टूटी, लेकिन बकाए का भुगतान तब भी नहीं किया गया। पिता बताते हैं कि 8 अगस्त 2023 को मेरठ के बेसिक शिक्षा विभाग से एक पत्र भेजकर बताया गया कि शालिनी ने नॉमिनी फार्म ही नहीं भरा, इसलिए उनके फंड व ग्रेच्युटी का भुगतान किसी को भी नहीं किया जा सकता।

विभाग की जानकारी को बताया मिथ्या

वहीं, दूसरी ओर दिवंगत शालिनी जैन के पिता ने जो कुछ बीएसए कार्यालय द्वारा 8 अगस्त के पत्र में बताया गया उसको झूठ का पुलिंदा करार देते हुए विभाग को जानकारी दी गयी कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली लागू होने के बाद शालिनी जैन ने बाकायदा फार्म भर कर अपनी बेटी सांची का गार्जियन अपनी मां रेनू जैन को बना दिया था। नयी पेशन प्रणाली लागू होने के बाद जब अपनी बेटी का गार्जियन बना दिया था तो फिर दिक्कत क्या है। प्रदीप जैन का कहना है कि इसके बाद भी ना तो बीएसए और न ही बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लेखाधिकारी उनकी बात सुनने व मदद को तैयार हैं।

उलटे अब उनसे यह कह दिया गया है कि इस संबंध में अदालत से आदेश लेकर आओ उसके बाद ही कुछ सुनवाई हो सकेगी। बीएसए के रवैये से दुखी पिता का कहना है कि जब उम्र के इस पड़ाव में कहां कहां और कब तक ऐसे ही धक्के खाते रहें। उन्होंने बताया कि चंद रोज पहले एक बार फिर उन्होंने डीएम से गुहार लगायी थी, लेकिन लगता है कि अभी अफसरों को दिल पसीजा नहीं है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments