Saturday, May 17, 2025
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आसान नहीं मैन्युअली टिकट बनाने की डगर

  • रियलिटी चेक: परिवहन निगम की साइट हैक होने के साइड इफेक्ट, संचालन घटा और टाइम लगने लगा डेढ़ गुना

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की साइट पर हुए साइबर अटैक को चार दिन गुजर जाने के बावजूद अभी तक संचालन की गाड़ी पटरी पर नहीं आ सकी है। विभाग के अधिकारी भले ही सब कुछ सामान्य होने के दावे कर रहे हैं, लेकिन ई-टिकटिंग प्रणाली ठप होने के बाद अधिकांश बसों का संचालन जहां 350 की जगह 200-250 किमी होने से एक तिहाई तक घट गया है, वहीं मैन्युअली टिकट बनाने और इनका हिसाब-किताब तैयार करके कैश जमा कराने की प्रक्रिया में कई-कई घंटे लग रहे हैं। जिसके लिए बस स्टाफ को औसतन अपनी संचालन ड्यूटी से डेढ़ गुना अधिक समय लगाना पड़ रहा है।

मेरठ परिक्षेत्र की अगर बात की जाए, तो मेरठ, भैंसाली, सोहराब गेट, गढ़ मुक्तेश्वर और बड़ौत डिपो से औसतन 670 बसों का संचालन होता है, जिनमें प्रतिदिन डेढ़ लाख के करीब यात्री सफर करते हैं। विदेशी हैकरों द्वारा निगम के ई-टिकटिंग सिस्टम को हैक कर लेने के बाद से विभागीय अधिकारियों ने ईटीएम को उठाकर रखवा दिया है, और परिचालकों को टिकट बनाने के लिए डेढ़ दशक पहले संचालित होने वाली मैन्युअली प्रणाली से जोड़ दिया है। यानि अब हर टिकट को यात्रियों की संख्या, दूरी और किराये की राशि के हिसाब से भरकर देना पड़ता है।

टिकट का कार्य देखने वाले विभागीय अधिकारियों ने बताया कि औसतन ईटीएम से एक मिनट में आठ-नौ टिकट बन जाते हैं। लेकिन इसके विपरीत एक मिनट में मैनुअली प्रक्रिया से अधिकतम तीन टिकट बन पाते हैं। यानि प्रस्थान करने वाले स्टेशन पर बस में अगर 50 यात्री मौजूद हैं, तो उनके टिकट बनाने में 18-20 मिनट का समय लगना आम बात हो चली है। परिचालकों से मिली जानकारी के अनुसार लोकल मार्ग पर बस को दूसरे स्टैंड तक पहुंचने में 15 मिनट से भी कम समय लगता है, ऐसे में अगर टिकट पूरे न बन पाए, तो चेकिंग के दौरान डब्ल्यूटी की कार्रवाई का खतरा उनके सिर पर मंडराता रहता है।

हालांकि इस अवधि में बस चेक करने वाले अधिकारियों से भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए निर्णय लेने के मौखिक निर्देश उच्चाधिकारियों की ओर से दिए गए हैं। इसके बावजूद परिचालक कोई रिस्क लेने के बजाय बस को सड़क के किनारे खड़ा करके पहले टिकट बनाने का काम पूरा कने में लगे रहते हैं। यह अलग बात है कि इस दौरान उन्हें यात्रियों की खूब खरी-खोटी भी सुननी पड़ती है। परिचालक और संचालन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह 15-20 मिनट की देरी ऐसी है, जिससे सीधे यात्री प्रभावित हो रहे हैं।

इससे बड़ी बात यह है कि औसतन डेढ़ लाख यात्रियों का प्रतिदिन आवागमन होने की स्थिति में मैन्युअली बनाए जाने वाले इतने ही टिकटों का पूरा हिसाब कार्यालय में देना होता है। जिसमें टिकट बुक नंबर, टिकट नंबर, दूरी, यात्रियों की संख्या और वसूले गए किराये का शीट के साथ मिलान करने में कई घंटे का समय लग रहा है। भैंसाली डिपो में मौजूद परिचालक प्रवीन, अमित प्रदीप सिंह आदि ने बताया कि उन्हें टिकटों का हिसाब देने में 4-5 घंटे से अधिक का समय लग गया है।

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वहीं, दूसरी ओर भैंसाली डिपो के एआरएम अरविंद कुमार का कहना है कि अकेले उनके डिपो का औसत प्रतिदिन 45 हजार टिकट प्रतिदिन का रहा है। ऐसे में इन सभी टिकटों का मिलान मैन्युअली कराने में परिचालकों के साथ-साथ कार्यालय स्टाफ को भी कई घंटे का अतिरिक्त समय लग रहा है। लेकिन यह सब सामायिक समस्या है, जिसका समाधान शीघ्र होने की उम्मीद की जा रही है। वहीं एआरएम मेरठ डिपो जगदीश सिंह का कहना है कि करीब डेढ़ दशक पहले ईटीएम की शुरुआत हुई थी,

तब से लेकर अब तक सामान्य तौर पर कहीं मशीन खराब होने के कारण एक-दो बसों में मैन्युअली टिकट बनाने की नौबत आती रही है। ऐसे हालात पहली बार बने हैं कि समूची ई-टिकटिंग व्यवस्था प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा कि कोविड काल में रोडवेज स्टाफ ने जनसेवा का अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। यह समय उससे ज्यादा पेचीदा नहीं है, उम्मीद की जानी चाहिए कि जो व्यवधान आया है, शीघ्र उसका समाधान हो जाएगा।

ये हुआ है चार दिनों में

25 अप्रैल को रोडवेज की इलेक्ट्रॉनिक बस टिकटिंग प्रणाली का रखरखाव करने वाली फर्म की नवी मुंबई स्थित कंपनी में सेंध लगाकर विदेशी हैकरों ने टिकटिंग सर्वर को हैक करते हुए डाटा को इनक्रिप्ट कर दिया है। जिसके चलते उसी दिन से यूपी रोडवेज की आॅनलाइन टिकट बुकिंग की व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित है। हैकर्स के फिरौती के रूप में 40 करोड़ रुपये क्रिप्टो करेंसी के रूप में डिमांड करने की बात सामने आ रही है।

जिसको समय बीतने के साथ बढ़ाकर 80 करोड़ की धमकी दी गई है। सूत्र बताते हैं कि प्रारंभिक जांच में रैंसमवेयर के हमले की बात सामने आ रही है। वेबसाइट का प्रबंधन करने वाली कंपनी मैसर्स ओरियन प्रो ने वेबसाइट से डाटा रिकवर करने के लिए टीम लगाई हुई है। हालांकि इस काम को पूरा करने में एक सप्ताह से 10 दिन तक लगने की बात भी कही जा रही है।

वहीं साइबर अटैक से परिवहन निगम की वेबसाइट ठप होने के बाद अब मैनुअल टिकटिंग के जरिये ही टिकट बुक हो रहे हैं। साइबर अटैक और सर्वर हैक मामले में राज्य सरकार ने एमडी संजय कुमार पर एक दिन पहले ही गाज गिराते हुए उनको पद से हटा दिया है। परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव व परिवहन निगम के चेयरमैन एम. वेंकटेश्वर लू को एमडी का अतिरिक्त चार्ज दिया है।

यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए अधिकारियों और रोडवेज स्टाफ को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। हालांकि मैन्युअली टिकट बनाने का अभ्यास न हो पाने के कारण परिचालकों को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, और लेन-देन करते समय टिकटों के मिलान में अधिक समय लग रहा है। ड्यूटी अवधि बढ़ जाने के कारण स्वाभाविक रूप से थकान भी होती है।

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इसके बावजूद रोडवेज के सभी अधिकारी और कर्मचारी मिलकर इस आपदा की स्थिति में यात्रियों को बेहतर से बेहतर सेवा देने में लगे हैं। जिसके लिए पूरा स्टाफ बधाई और धन्यवाद का पात्र है। आने वाले एक दो-दिन में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आने की आशा है। -केके शर्मा, आरएम, मेरठ

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