- पालिका की मिलीभगत से तालाब के अधिकांश हिस्से पर हो चुका है कब्जा, विवाद पर एसडीम ने बैठाई जांच
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: कस्बे में स्थित अधिकांश तालाबों पर कब्जे हो चुके हैं। इसे पालिका की मिलीभगत कहें या लापरवाही, लेकिन आज यह तालाब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। घोसियान मोहल्ले में चर्च परिसर के पीछे स्थित तालाब का भी यही हाल है। कभी लगभग 18 बीघा रकबा में फैला हुआ यह तालाब आज 1800 मीटर भी नहीं बचा है। अधिकांश तालाब पर कब्जा हो चुका है। कब्जे का खेल अब भी जारी है।
हाल ही में किए जा रहे निर्माण पर एसडीएम ने जांच बैठा दी है। वहीं, पालिका प्रशासन पूरी तरह से आंखें मूंदे बैठा है। जिससे पालिका की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरधना में छोटे बड़े 14 तालाब हैं। मगर आज एक भी तालाब अपने अस्तित्व में नहीं है। ज्यादातर तालाबों पर कब्जे हो चुके हैं। बाकी बचे तालाबों पर आए दिन कब्जे होने की सूचना आती रहती है।
घोसियान मोहल्ले में चर्च परिसर के पीछे स्थित तालाब की बात करें तो पालिका रिकॉर्ड के अनुसार इस तालाब का रकबा 14550 मीटर है। मगर वर्तमान में यह तालाब 14 मीटर भी नजर नहीं आता है। क्योंकि तालाब की अधिकांश भूमि पर कब्जा हो चुका है। करीब एक साल पहले भी जहां पर दो भवन बना दिए गए थे। मगर पालिका प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। पिछले एक सप्ताह से फिर से कब्जे का खेल चल रहा है।
जमीन पर निर्माण करने वाले भूमि को अपने बता रहे हैं। मगर जांच पूरी होने का इंतजार नहीं कर रहे हैं। तहसील अधिकारी कई बार यहां भराव का कार्य बंद करा चुके हैं। रोक के बाद भी लगातार भराव करने की कोशिश की जा रही है। पालिका प्रशासन तो हिलने के लिए भी तैयार नहीं है। पालिका प्रशासन ने पूरी तरह सरेंडर कर रखा है। सूत्रों की मानें तो यह सब खेल मिलीभगत से हो रहा है।
नजूल बाबू मनोज कुमार का कहना है कि एसडीएम स्तर से मामले की जांच चल रही है। जांच पूरी होने तक कोई कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। मगर उनके स्तर से कब्जे रोकने की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं ईओ शशि प्रभा चौधरी का कहना है कि तालाब पर कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। कार्रवाई की जाएगी। तालाब का रकबा पूरा करने के सवाल पर उनके पास भी कोई जवाब नहीं है।
तालाब पर बन गए मकान और सड़क
नगर पालिका के रिकॉर्ड के अनुसार भी बात करें तो चर्च परिसर के पीछे स्थित तालाब खसरा संख्या 2288 रकबा 14550 मीटर है। वर्तमान में इस पर करीब 14-15 कच्चे पक्के मकान बने हुए हैं। इसके अलावा एक धर्मशाला बनी हुई है। इतना ही नहीं तालाब की जमीन पर पालिका ने सड़क व नाली तक बना डाली। कब्जे का खेल यहां खत्म नहीं हुआ है। यह खेल लगातार जारी है। कब्जा होने से रोकने के सवाल पर पालिका प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं हैं। मामला कोर्ट तक जाता भी है तो पैरवी के नाम पर खानापूर्ति होती है। इस बात को लेकर बोर्ड बैठक में सभासदों ने भी सख्त नाराजगी जाहिर की थी।