Friday, July 5, 2024
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अब विवि में बनेगा आक्सीजन जोन

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  • लैंड स्केपिंग के जरिए संवारा जाएगा चौधरी चरण सिंह विवि परिसर
  • विवि में लगाए जा रहे दुलर्भ प्रजाति के पौधे

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विवि में अब प्रदूषण को हराने के लिए आॅक्सीजन जोन बनाया जाएगा। जिसक प्लान विवि की ओर से तैयार कर लिया गया है। योजना के तहत विवि परिसर को हरा-भरा बनाने का भी प्लान हैं, जिसके लिए विवि परिसर में दुर्लभ प्रजाति के पौधों के साथ ही रंग-बिरंगी फूलवारी भी लगाई जाएगी। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग यूनिट से करोड़ों लीटर पानी बचाने में भी आॅक्सीजन जोन सहायक होगा।

विवि परिसर में कुछ-कुछ स्थानों को आॅक्सीजन जोन में बदल दिया जाएगा। वहीं आॅक्सीजन जोन की जगहों पर वाहनों की एंट्री पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी। 222 एकड़ में फैले विवि परिसर को लैंड स्पेकिंग के जरिए संवारा जाएगा। विवि को खूबसूरत बनाने के लिए बाहर से लेकर अंदर तक सदाबहार फूलों वाले पौधों को रोपा जाएगा। विवि इसके लिए विशेषज्ञों की मदद लेने की तैयारी कर रहा है।

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विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग मेें मैग्नोलिया ग्रैंडिफ्लोरा और पाइपर स्पीशीज के पौधों का प्लाटेशन किया गया। वहीं विवि में दुर्लभ प्रजातियों के पौधों को भी लगाया जा रहा है। जिसमें ओरोजाइलम इंडिकम शामिल हैं इसके 50 सीडलिंग को विवि परिसर के अलग-अलग हिस्सों जैसे गेस्ट हाउस के गार्डन और सड़क के किनारे व तपोवन इत्यादि में लगाया गया है।

अरोक्सिलम इंडिकम जिसे लोकप्रिय रूप से अरलू के नाम से जाना जाता है एक मध्यम से बड़े आकार का पर्णपाती वृक्ष है जो भारत के पूरे उष्ण कटिबंधीय जंगलों में 1000 मीटर की ऊचाई पर पाया जाता है। पौधे के विभिन्न भागों का उपयोग जैसे ज़ड़ की छाल, तने की छाल और बीज एंटी-एलर्जी, एंटीमाइक्रोबियल, एंटी फंगल, एंटी इंफ्लेमेट्री और एंटी कैंसर की दवा के रूप में किया जाता है।

इस पौधे के विभिन्न भाग जैसे पत्ते, फूल, फल और युवा अंकुर खाने योग्य होते हैं। फल का उपयोग टैनिन और रंगाई में और लकड़ी का उपयोग माचिस बनाने, लुगदी और कागज बनाने में उपयुक्त होता है। आमतौर पर यह पेड़ खेती की स्थिति में नहीं पाये जाते हैं इसलिये सारा दबाव प्राकृतिक वन पर है। क्योंकि दवा उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के लिये प्राकृतिक जंगलों से बड़ी मात्रा में कच्चे माल की खरीद की जाती है। इसके अलावा इसके अवैज्ञानिक और अधिक दोहन के कारण प्रजातियां अपने प्राकृतिक आवासों में दुर्लभ होती जा रही है जिस वजह से इसके संरक्षण की आवश्यकता है।

विवि को मिलेगा नया लुक

विवि परिसर में प्रवेश से लेकर अंदर तक हरियाली तो हैं, लेकिन प्रबंधन के मामले में यह पीछे है। नए प्रस्ताव में विवि में फूलों और सड़क के दोनों ओर हेज लगाते हुए इसे डिजाइन करने की तैयारी है। विवि के बाहर सड़क किनारे भी फूलवारी लगाई जाएगी। हालांकि इसका पूरा प्लान तैयार कर लिया गया है और प्रस्ताव बनाकर राजभवन को भेजा गया है।

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