जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: दुस्साहस तो देखिये कि राजेन्द्रपुरम में एक व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स का भीतर निर्माण चल रहा है, बाहर सील लगी हुई है। तीन मंजिल तक लेंटर डाल दिया गया है, लेकिन एमडीए के अधिकारियों ने तो लगता है आंखें ही मूंद ली है।
कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है। जब सील लगी हुई है फिर निर्माण क्यों चलने दिया जा रहा हैं? इसके लिए किसकी जवाबदेही बनती है। इतना तब है जब एमडीए उपाध्यक्ष का चार्ज डीएम के. बालाजी पर है। डीएम के आदेशों की भी अवहेलना की जा रही है।
डीएम बुधवार को एमडीए आॅफिस में तीन घंटा बैठे थे, जिसमें उन्होंने साफ कर दिया था कि अवैध निर्माण पर फोकस कर शमन शुल्क लिया जाए या फिर बिल्डिंग नियमानुसार शमन नहीं हो पा रही है तो ध्वस्तीकरण किया जाए। ये कॉम्प्लेक्स जिस स्थान पर बन रहा है,वहां पर चालीस फुट चौड़ी सड़क होनी चाहिए, मगर यहां पर 20 फीट चौड़ी सड़क है। इस तरह से इस सड़क पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण नहीं हो सकता है।
इसके ग्राउंड फ्लोर पर व्यवसायिक शोरूम बनाया जा रहा है। जिस पर बाहर तो एमडीए की सील लगी हुई है, लेकिन भीतर काम चल रहा है। करीब 40 कारीगर इसके निर्माण में जुटे हैं। रात-दिन काम चल रहा है। इसका मानचित्र भी स्वीकृत नहीं है। क्योंकि यह पूरा क्षेत्र आवासीय में है, ऐसे में व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स कैसे बन सकता है? एमडीए के जोनल अधिकारी विपिन कुमार का कहना है कि पहले एमडीए की टीम बिल्डिंग पर सील लगा चुकी है।
चोरी-छिपे निर्माण चल रहा होगा, इसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पिछले एक वर्ष से यह निर्माण चल रहा है। एक वर्ष से जोनल अधिकारी व इंजीनियरों की टीम को यह अवैध निर्माण चलता हुआ दिखाई नहीं दिया। तीन मंजिल तक लिंटर गिर गए, फिर भी एमडीए सील करने के नाम पर खानापूर्ति कर रहा है।