जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कोरोना महामारी से जूझ रही दुनिया के सामने मंकीपॉक्स का खौफ बढ़ता जा रहा है। अमेरिका में न्यूयॉर्क में सबसे ज्यादा मरीज मिले हैं। बढ़ती दहशत को देखते हुए न्यूयॉर्क के स्वास्थ्य आयुक्त ने विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO से इस वायरस का नाम बदलने की मांग की है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स अब तक 75 देशों में दस्तक दे चुका है। दुनियाभर में मरीजों की संख्या 16 हजार से ज्यादा हो गई है। डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में मंकीपॉक्स को लेकर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल का एलान किया है।
दरअसल, न्यूयॉर्क में मंकीपॉक्स के मरीजों की संख्या 1,092 हो गई है। इसे देखते हुए इस बीमारी से पीड़ित लोग बदनाम न हों और उनके इलाज व देखभाल में परेशानी न आए इसलिए बीमारी का नाम बदलने का आग्रह किया गया है। न्यूयॉर्क के पब्लिक हेल्थ कमिश्नर अश्विन वासन ने मंगलवार को डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस को पत्र लिखकर कहा है कि हमें मंकीपॉक्स संक्रमित की बदनामी व इलाज की चिंता है। संक्रमण के खौफ से मंकीपॉक्स रोगी इलाज से वंचित हो सकते हैं।
वासन ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि मंकीपॉक्स का नाम बदलने का सुझाव पिछले माह डब्ल्यूएचओ ने ही दिया था। नाम बदलने की अपनी मांग के समर्थन में वासन ने उस नस्लवादी इतिहास का भी जिक्र किया, जिसके कारण ‘मंकीपॉक्स’ शब्द का इस्तेमाल खास समुदाय की ओर इशारा करने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स दुनिया से खत्म हो चुके चेचक वायरस से भी मिलता जुलता नाम है, इसलिए भी बदला जाना चाहिए।
वासन ने यह भी कहा कि एचआईवी बीमारी के समय भी उसके बारे में भ्रांत जानकारियों के कारण लोगों के जेहन में मरीजों के प्रति नकारात्मक भाव पैदा हुए थे। इसी तरह पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कोविड-19 को ‘चायना वायरस’ करार देकर इस महामारी के लिए एशियाई समुदाय को परोक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया था।
एलजीबीटीक्यू समुदाय को इलाज में आएगी परेशानी
वासन ने डब्ल्यूएचओ को लिखे पत्र में यह भी कहा कि असल में ‘मंकीपॉक्स’ वायरस नरवानर (primates) प्रजाति से पैदा नहीं हुआ है, जैसा कि उसके नाम से पता चलता है। इसका इस्तेमाल जारी रखने से नस्लवाद के कलंक की दर्दनाक यादें फिर ताजा होंगी। इससे खासकर काले लोगों व एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन, गे, समलैंगिक किन्नर आदि) समुदाय के लोगों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। इससे इन लोगों को मंकीपॉक्स के उपचार में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।