Sunday, July 13, 2025
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मनोभावों का अभिव्यक्त करती कविताएं

Ravivani 33


अजीत शर्मा ‘आकाश’ |

कहा गया है कि कविताएं मन के समस्त भावों को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम हैं। इन्हीं मनोभावों को कवयित्री ने अपने काव्य-संग्रह में अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। अपने कविता-लेखन के सम्बन्ध में कवयित्री का कथन है कि वह छंदमुक्त एवं नई कविताओं की रचना करती रही हैं, किंतु इस काव्य-संग्रह में उन्होंने गीत लिखने का प्रयास किया है।

काव्य सृजन की कोई विधा हो, उसमें अनुशासन अत्यावश्यक है। गीत एक छन्दबद्ध कविता होती है, जिसका एक शिल्प विधान है और उसका पालन किया जाना अनिवार्य होता है, तभी वह रचना गीत कहलाती है। कवयित्री के इस संग्रह की शामिल रचनाओं को गीत की कसौटी पर अभी और कसे जाने की आवश्यकता है। पुस्तक में संग्रहीत कविताओं के कथ्य को दृष्टिगत रखते हुए कहा जा सकता है कि लेखन में सरलता और सहजता है, लेकिन कवयित्री का भाषा और
अभिव्यक्ति पर पूरी तरह अधिकार प्रतीत नहीं होता है। संग्रह की कविताएं सामान्य स्तर की हैं। वर्ण्य विषय की दृष्टि से संग्रह की रचनाओं में श्रृंगार एवं प्रणय, वर्तमान समाज का चित्रण, जीवन की अनुभूतियां तथा संवेदनाएं, जीवन का यथार्थ, सामाजिक सरोकार, स्त्री की हृदयगत कोमल भावनाएं, आम आदमी की व्यथा आदि पहलुओं को स्पर्श करते हुए अपने एवं जमाने के दुख-दर्द को भी रचनाओं में अभिव्यक्ति प्रदान की गई है। कविताओं में जीवन में व्याप्त संत्रास, घुटन, वेदनाओं एवं अनुभूतियों को शब्द प्रदान किए गए हैं।

रचनाओं में यत्र-तत्र जीवन के अन्य अनेक रंग भी सामने आते हैं। संग्रह की अधिकतर रचनाएं संयोग एवं वियोग श्रृंगार विषयक हैं। इस प्रकार की कविताएं प्रेम के विभिन्न पक्षों, संबंधों, विसंगतियों, अनुभूतियों तथा व्यक्त और अव्यक्त प्रेम की अभिव्यक्तियों का चित्रण करती प्रतीत होती हैं। कविता में जो कुछ शब्दों के माध्यम से कहा गया दिखायी देता है, केवल वही कविता नहीं होती है। बल्कि, इन शब्दों के पीछे से जो कुछ अनकहा हम तक पहुंचता है, वही वास्तविक कविता होती है। अपनी इस पुस्तक की रचनाओं के माध्यम से कवयित्री ने सृजनात्मकता को उजागर करने का प्रयास किया है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कविता लेखन के क्षेत्र में यह एक सार्थक एवं सराहनीय लेखन है, जो सृजनात्मकता का द्योतक है। पुस्तक का मुद्रण एवं तकनीकी पक्ष सराहनीय है।

पुस्तक: दहलीज (काव्य संग्रह), कवयित्री: डॉ. मधुबाला सिन्हा, प्रकाशक: गुफ़्तगू पब्लिकेशन, प्रयागराज। मूल्य: 175 रुपये।


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